साधन संपन्न बनेंगे गांव

  • टैक्स देकर गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं पा रहे ग्रामीण
  • हरीश फतेहचंदानी
गांव

सुविधाओं की तलाश में शहरों की ओर भागने वाले ग्रामीण अब टैक्स देकर शहरों जैसी सुविधाएं गांव में पाने लगे हैं। इससे गांवों की तस्वीर बदल रही है। साथ ही गांव साधन संपन्न हो रहे हैं। यह प्रयोग राजधानी भोपाल से लगी पंचायतों में कारगर साबित हुआ है। शहर की तर्ज पर पंचायतों में लोग संपत्ति, जल और स्वच्छता टैक्स देने के लिए आगे आने लगे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में बैरसिया और फंदा की पंचायतों से जलकर स्वच्छता और संपत्ति कर के 2.34 करोड़ रुपए वसूला जाएगा। दरअसल, पंचायतों में यह जिम्मेदारी महिलाओं को दी गई है। इन्हें टैक्स सखी नाम दिया गया है। शुरुआत में टैक्स देने के लिए कम ही लोग आगे आ रहे थे, लेकिन अब तस्वीर बदलने लगी है। वर्तमान समय में अधिकांश लोग कर जमा कर रहे हैं। दरअसल इसकी वजह है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया द्वारा पंचायतों को अधिकार सम्पन्न बनाकर लोगों को जागरुक करना है।  जिला पंचायत भोपाल की ग्राम पंचायतों में विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए टैक्स वसूली का काम शुरू किया गया है। इसके लिए स्वसहायता समूह के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देने के बाद टैक्स वसूली में लगाया गया है। जिले की 222 पंचायतों में कुल 354 टैक्स सखियां संपत्ति कर, स्वच्छता कर, व्यावसायिकर कर और जलकर वसूली का काम कर रही है। इन्होंने मार्च से लेकर अक्टूबर तक पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 का 187 ग्राम पंचायतों से कुल 3 करोड़ 75 लाख रुपये कर वसूल किया है।
कर नहीं देने की यह आ रही वजह सामने…
ग्राम पंचायतों में कर नहीं देने की कई वजह सामने आ रही हैं। दरअसल पंचायतों में तय कर से अधिक कर ग्रामीणों को बताया जा रहा है, इससे वह देने में आनाकानी कर रहे हैं। वहीं कचरा वाहन समय पर नहीं आने से लोग स्वच्छता कर देने से मना कर देते हैं, इसी तरह नल भी समय पर नहीं आते हैं तो यह कर भी नहीं दे रहे हैं। वहीं व्यवसायिक कर की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय करने वाले कारोबारी कर नहीं देने के लिए नेता, सरपंच से दबाव बनवाते हैं। इसी वजह से महिलाएं यह कर नहीं वसूल पाती हैं।
10 प्रतिशत दिया जाना है हिस्सा
पंचायतों में टैक्स वसूली का काम कर रहीं इन सखियों को कर वसूली का कुल 10 प्रतिशत हिस्सा वेतन के रूप में दिया जाना है। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायतों में महिलाओं को ही टैक्स वसूली के लिए लगाया गया है। अब ऐसे में अधिकांश लोग टैक्स देने से बच रहे हैं। इसमें नवागत पंचायतों के सरपंच और पहले से जमे सचिव कोई ज्यादा मदद इनकी नहीं कर रहे हैं। इसी वजह से टैक्स वसूली का काम धीमा चल रहा है।
 एक पंचायत में दो महिलाएं तैनात
जब यह योजना शुरू की गई थी, तब भोपाल जिले में 187 ग्राम पंचायत थी। वर्तमान में यह संख्या बढक़र 222 पहुंच गई है। हालांकि 187 पंचायतों से ही तोडक़र नई पंचायतों का गठन किया गया है। इनमें 614 गांव आते हैं। जिला प्रशासन ने इन गांवों में टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी हुई है। जिसमें एक पंचायत में दो महिलाएं टैक्स कलेक्शन का कार्य कर रही हैं। इन्हें टैक्स सखी नाम दिया गया है। जनपद पंचायत फंदा की 87 पंचायतों में 10816 लोगों को संपत्ति कर के दायरे में रखा गया है। इनसे 2 करोड़ 8 लाख 35 हजार 44 रुपए की वसूली की जानी है। वर्तमान समय तक 1 करोड़ 37 लाख 68 हजार 184 रुपए की वसूली की जा चुकी है। जनपद पंचायत बैरसिया की 126 पंचायतों में 11398 लोगों को संपत्ति कर के दायरे में रखा गया है। इनसे 67 लाख 35 हजार 721 रुपए की वसूली की जानी है। वर्तमान समय तक 44 लाख 44 हजार 28 रुपए की वसूली की जा चुकी है। जनपद पंचायत फंदा की 96 पंचायतों में वर्तमान में 43 से ही टैक्स जलकर वसूला जा रहा है। 16.85 लाख रुपए वसूला जाना था। अभी तक 12 लाख 98 हजार 84 रुपए की वसूली की गई है। इधर, बैरसिया जनपद की 126 में 50 पंचायतों को ही इस दायरे में रखा गया है। इनसे से 39.44 हजार रुपए वसूला जाना था। अभी तक 33 लाख 27 हजार 228 रुपए टैक्स वसूला गया है।
पंचायतों में वसूली अब टैक्स सखी के जिम्मे
जिला पंचायत भोपाल की ग्राम पंचायतों में विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए टैक्स वसूली का काम शुरू किया गया है। इसके लिए स्वसहायता समूह के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देने के बाद टैक्स वसूली में लगाया गया है। जिले की 222 पंचायतों में कुल 354 टैक्स सखियां संपत्ति कर, स्वच्छता कर, व्यावसायिक कर और जलकर वसूली का काम कर रही है। इन्होंने मार्च से लेकर अक्टूबर तक पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 का 187 ग्राम पंचायतों से कुल तीन करोड़ 75 लाख रुपये कर वसूल किया है। बता दें कि भोपाल जिला पंचायत के सीईओ ऋतुराज सिंह ने सभी पंचायतों में टैक्स वसूली का काम शुरू कराया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के कार्य में बजट की दिक्कत न हो।

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