- अधिकांश ग्राम पंचायतों ने इस संबंध में अभी तक बैठक भी नहीं की
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ शहरों का जन्म दिन गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, वहीं अधिकांश ग्राम पंचायतों ने अपने गांवों के गौरव दिवस की तिथि ही तय नहीं की है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों, शहरों का जन्म दिन गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। फरवरी में नर्मदा जयंती के दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत के जन्म दिन से गौरव दिवस मनाने की शुरूआत हो चुकी है। इसके बाद कुछ अन्य शहरों, नगरों के जन्मदिन मनाए जा चुके हैं। गौरतलब है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने फरवरी में सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी कर कहा था कि सभी ग्राम पंचायतों को 14 अप्रैल तक ग्राम सभाओं का आयोजन पूरा कर यह तय करना है कि गांव का गौरव दिवस किस दिन मनेगा? चूंकि दो महीने से किसान दिन-रात खेती के काम में लगे हैं, इसलिए अधिकतर पंचायतों में ग्राम सभा की बैठकें नहीं हुईं और बहुत से सरपंचों को तो यह भी नहीं मालूम की गांवों का जन्म दिन गौरव दिवस के रूप में मनाने के संबंध में सरकार ने कोई निर्देश जारी किए हैं। यही वजह है कि अब तक अधिकतर ग्राम पंचायतें गांवों का जन्म दिन मनाने की तारीख तय नहीं कर पाई हैं।
गांव के विकास का आधार बनेगा गौरव दिवस
गौरव दिवस पर ग्राम सभा के माध्यम से गांव के विकास की योजनाएं बनाई जाएंगी और योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करने का संकल्प ग्रामीण लेंगे। इसके लिए विभिन्न समितियां बनाई जाएंगी। गौरव दिवस के कार्यक्रम में गांव से जुड़े सभी लोग शामिल होंगे, चाहे वे गांव से बाहर जाकर नौकरी या व्यवसाय करने लगे हों। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 53 हजार गांवों का गजेटियर तैयार करने का निर्णय लिया है। गजेटियर तैयार करने का यह काम गांव के गौरव दिवस के जरिए किया जाएगा। चूंकि ग्राम पंचायतें गांवों का गौरव दिवस मनाने की तारीख तय नहीं कर पाई हैं, ऐसे में गांवों का गजेटियर तैयार करना संभव नहीं है। गौरव दिवस मनाया जाएगा, तो ही गांवों का गजेटियर तैयार किया जाएगा।
खेती-किसानी में व्यस्त हैं ग्रामीण
गौरव दिवस तय करने को लेकर हो रही देरी पर सरपंचों का कहना है की अभी किसान खेती किसानी में व्यस्त हैं। सागर जिले के रतनारी के पूर्व सरपंच अरविंद सिंह राजपूत का कहना है कि अभी गांव का गौरव दिवस मनाने की तारीख तय नहीं की गई है। चूंकि दो महीने से पूरे गांव के लोग खेती के काम में लगे हैं, इसलिए ग्राम सभा की बैठक नहीं हो पाई। वहीं दुगाहा कलां, खुरई जिला सागर के पूर्व सरपंच बाबूलाल अहिरवार का कहना है कि मुझे गांवों का गौरव दिवस मनाए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही मुझे ऊपर से कोई ऐसे निर्देश मिले हैं। जिला रायसेन उदयपुरा के पूर्व सरपंच चौरास राजू बुटियावत का कहना है कि सभी गांव वाले खेती के काम में लगे थे, इसलिए गांव का गौरव दिवस मनाने की तारीख तय नहीं कर पाए, जल्द इस बारे में निर्णय लेंगे।
सरपंचों की रूचि नहीं
जानकारों का कहना है कि प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल 2 साल पहले पूरा हो चुका है। मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया था, लेकिन ओबीसी आरक्षण मामला कोर्ट में पहुंच जाने के कारण गत दिसंबर-जनवरी में पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए गए थे। इसके बाद पूर्व सरपंचों को वित्तीय अधिकार वापस दे दिए गए हैं। ऐसे में सरपंचों को अपनी पंचायत में जनता से जुड़े कामों में बहुत रुचि नहीं है, वे सिर्फ उन्हीं चीजों पर ध्यान देते हैं, जिससे उन्हें कमाई होती है। ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की बैठकें भी खानापूर्ति के लिए हो रही हैं। इनमें भी सरपंचों, पंचों की कोई रुचि नहीं है। यही वजह है कि गांवों का गौरव दिवस मनाने में ग्राम पंचायतों की कोई रुचि नहीं है।