
-वीएफजे सहित चारों आयुध निर्माणियां फिलहाल 25 फीसदी कर्मचारियों के साथ कर रही हैं काम
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मूलत: सेना के लिए व्हीकल बनाने वाली जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री (वीएफजे) इस साल सौ शारंग तोपों का निर्माण पूरा करेगी। यह ऑर्डर उसे आयुध निर्माण बोर्ड से मिला है, जिसकी लागत 966 करोड़ रुपए बताई गई है। फिलहाल वीएफजे में तकरीबन तीन हजार कर्मचारी कार्यरत है। इन्हीं के सहारे 11 महीनों में इस बड़े आर्डर को पूरा करना है। हालांकि वीएफजे के पास पिछले साल भी एक हजार करोड़ का लक्ष्य था जिसमें से सिर्फ 450 करोड़ का ही काम हो सका। इस बार भी कोरोना संकट की वजह से काम प्रभावित है। बावजूद इसके प्रबंधन ने इस लक्ष्य को पूरा करने की योजना तैयार की है।
देश की सबसे बड़ी स्वदेशी तोप है शारंग
उल्लेखनीय है कि शारंग तोप देश की सबसे बड़ी स्वदेशी तोप है। 38 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक गोला बरसाने वाली इस टोप के लिए वीएफजे नोडल केंद्र है। बता दें कि फैक्ट्री प्रबंधन ने इसके निर्माण की तैयारियां पहले ही शुरू कर दी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए कर्फ्यू में काम प्रभावित रहा है। बहरहाल वीएफजे सहित चारों आयुध निर्माण फैक्ट्रियां 25 फीसदी कर्मचारियों के साथ फिलहाल काम कर रही हैं। यहां सेना के लिए वाहन तैयार होते हैं लेकिन, काम की कमी के कारण ओएफबी ने उसे 155 एमएम 45 कैलिबर की सौ शारंग तोप के निर्माण का काम दिया है। बता दें कि वीएफजे इसका निर्माण सफलतापूर्वक कर चुकी है।
जीसीएफ से शिफ्ट हुआ काम
जबलपुर स्थित वीएफजे में मूलत: सेना के वाहनों का निर्माण कार्य होता है। इन वाहनों में स्टालियन और एलपीटीए शामिल है। वित्तीय वर्ष के दौरान इनका भी उत्पादन किया जाएगा। लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन का अधिक जोर 155 एमएम 45 कैलिबर की शारंग तोप पर ही रहेगा। यही नहीं यह प्रोजेक्ट पूरी तरह गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) से वीएफजे शिफ्ट हो गया है। जीसीएफ अब केवल सुपरविजन का काम करेगी।
इनका कहना है
इस साल 100 शारंग तोप बनाने का लक्ष्य मिला है। इसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इसी प्रकार स्टालियन और एलपीटीए सैन्य वाहन भी तैयार किए जाएंगे।
राजीव कुमार, जनसंपर्क अधिकारी वीएफजे