जिलाध्यक्षों के चयन में दिग्गज नेताओं को मिला महत्व

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  • अब तक 32 भाजपा जिलाध्यक्षों की घोषणा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में भाजपा जिलाध्यक्षों के चुनाव में जिस तरह की खींचतान इस बार देखने को मिल रही है, पहले कभी नहीं देखा गया है। पार्टी ने समन्वय बनाकर जिलाध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी, लेकिन नेताओं में एका नहीं हो पाने के कारण दिल्ली से सूची फाइनल हो रही है। अभी तक पार्टी ने तीन किस्तों में 32 जिलाध्यक्षों की घोषणा की है, जिसमें यह देखने को मिला है कि पावरफुल नेताओं की पसंद को महत्व दिया गया है। पार्टी एकमुश्त सूची जारी करने के बजाय अलग-अलग जिलों में चुनाव अधिकारियों को भेजकर अध्यक्षों की घोषणा कर रही है, ताकि कार्यकर्ताओं के विरोध को थामा जा सके। इस देरी के कई कारण हैं। प्रदेश के बड़े नेता अपने हिसाब से जमावट करवाना चाहते हैं, इस कारण सहमति नहीं बन पा रही है। कई जिलाध्यक्षों को लेकर बड़े नेताओं का दबाव इस कदर था कि गाइडलाइन को भी ताक पर रखना पड़ा है।
मप्र में मंगलवार को भाजपा के जिला अध्यक्षों की तीसरी सूची जारी हो गई है। भाजपा ने 12 और जिलों में अध्यक्षों की घोषणा की है। इससे पहले 20 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा की जा चुकी है। इसको मिलाकर अब तक कुल 32 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है। अब 30 और जिलाध्यक्षों की घोषणा होना बाकी है। ग्वालियर नगर में जयप्रकाश राजोरिया को जिला अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है। ये वही जिला है जिसको लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर आमने-सामने आ गए थे। ग्वालियर में जिला अध्यक्ष के नाम की घोषणा को लेकर अजीब तरह की कशमकश देखने को मिली। ग्वालियर जिला अध्यक्ष पद के लिए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने रामेश्वर भदौरिया का नाम दिया था, जबकि वीडी शर्मा ने जयप्रकाश राजोरिया का नाम सुझाया था। वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शैलेंद्र बरूआ का नाम आगे किया था। जब जिला अध्यक्ष के नाम की घोषणा की गई तो फाइनल नाम जयप्रकाश राजोरिया का था। यह सब हुआ जब आखिरी मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया सिंधिया ने राजोरिया के नाम का समर्थन किया। इसके बाद स्पष्ट हो गया कि ग्वालियर में नरेंद्र सिंह तोमर का खेमा अलग थलग पड़ गया है।
सागर में मंत्री गोविंद की चली
वर्तमान समय में सबसे खींचतान वाले जिले सागर में वरिष्ठों को दरकिनार कर शहर और ग्रामीण में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की चली। शहर से उनके करीबी श्याम तिवारी, ग्रामीण से रानी पटेल कुशवाहा को कमान दी गई है। तल्ख तेवर दिखाने वाले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव गुट को तवज्जो ही नहीं मिली। हालांकि पूर्व में रानी पटेल भार्गव गुट में रह चुकी हैं। 12 जिलाध्यक्षों वाली जो तीसरी लिस्ट जारी की गई, उसमें दो अध्यक्ष रिपीट हैं। दतिया में मौजूदा मंडल अध्यक्ष को जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। रघुवीर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के करीबी हैं। जबलपुर में रत्नेश महामंत्री रहे हैं। ग्रामीण अध्यक्ष घोषित राजकुमार पटेल भी महामंत्री से पदोन्नत किए गए हैं। भाजपा की तीसरी सूची में दो जिले कटनी और बालाघाट जिला अध्यक्ष को रिपीट किया गया है। कटनी का दीपक टंडन सोनी और बालाघाट का जिला अध्यक्ष राम किशोर कांवरे को बनाया गया है। कांवरे को लोकसभा चुनाव के पहले ही अध्यक्ष बनाया गया था। 12 जिलों के जिला चुनाव अधिकारियों ने जिलेवार अध्यक्ष की घोषणा की है। अब तक 32 जिला अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है और प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कराने के लिए जिला अध्यक्षों की संख्या पर्याप्त है।
सागर-ग्वालियर में शक्ति प्रदर्शन हुआ कमजोर
ग्वालियर जिले में कई बड़े नेता अपने-अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाए जाने के लिए प्रयास कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के बीच जोर आजमाइश फेल हो गई और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा समर्थक जयप्रकाश राजौरिया को जिलाध्यक्ष बना दिया गया। इधर, सागर में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच भी शक्ति प्रदर्शन कमजोर पड़ गया। भूपेंद्र सिंह मौजूदा अध्यक्ष गौरव सिरोठिया को हटवाकर पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह को अध्यक्ष बनवाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने श्याम तिवारी को अध्यक्ष बना दिया। तिवारी को निर्विवाद माना जाता है। वहीं, गोविंद सिंह सिरोठिया को ही रिपीट करवाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे थे।
सिंधिया का दबदबा
मप्र भाजपा के जिलाध्यक्षों की अभी तीन लिस्ट जारी हुई हैं। जिसमें सबसे पहले सीएम मोहन यादव और शिवराज सिंह चौहान के जिलों के अध्यक्ष शामिल हैं। दो हफ्ते देर से हुई घोषणा के बाद जो नाम सामने आए वो बेहद चौंकाने वाले निकले। संगठन चुनाव में सबसे ज्यादा दबदबा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का देखने को मिला। सिंधिया के संसदीय क्षेत्र के गुना, शिवपुरी और अशोकनगर जिले में उनके समर्थकों को तरजीह दी गई। गुना में धर्मेंद्र सिकरवार को दोबारा जिलाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, अशोकनगर जिले में भी आलोक तिवारी को दोबारा जिलाध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। शिवपुरी जिले में राजू बॉथम की जगह जसमंत जाटव को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। जसमंत जाटव सिंधिया के बेहद करीबी माने जाते हैं। जसमंत जाटव कांग्रेस से विधायक रहे हैं वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने सिंधिया के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। जाटव ने 2020 में भाजपा ज्वाइन की थी। हालांकि जसमंत के जिलाध्यक्ष बनने के बाद विरोध के स्वर भी तेज हो गई हैं। कुछ राजनेता इसे भाजपा के संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। क्योंकि भाजपा में संगठन चुनाव के लिए 6 साल की सदस्यता अनिवार्य है। जबकि जसमंत जाटव को भाजपा में महज 4 साल ही हुए हैं।

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