वीडी के तीखे तेवर, अब बर्दाश्त नहीं करेंगे बयानबाजी

भाजपा

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह विधानसभा उपचुनाव के प्रतिकूल परिणामों के बाद भाजपा के कुलीनों में मची कलह के बाद अब संगठन भी तीखे तेवर दिखाने के पूरे मूड में आ गया है। संघ की पाठशाला से निकले प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा इस मामले में पूरी तरह से सख्त रुख अपनाए हुए हैं। दरअसल वे सार्वजनिक रूप से की जाने वाली बयानबाजी से बेहद खफा बताए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह बयानबाजी भी उन नेताओं द्वारा की जा रही है जो या तो अब राजनैतिक रूप से हांसिए पर जा चुके हैं या फिर उसके आसपास हैं। इन नेताओं की पकड़ भी अब मतदाताओं पर नहीं रह गई है। इसके बाद भी लगातार प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें सत्ता के साथ ही संगठन में पूर्व की तरह सक्रिय भागीदारी मिलती रहे। पार्टी निर्णय के खिलाफ बयानबाजी की वजह से अब संगठन ने तय कर लिया है कि ऐसे नेताओं से पूरी तरह दूरी बना ली जाए। संगठन के निर्णयों के विरोध की बढ़ती परंपरा के चलते अब माना जा रहा है कि वीडी ने कड़वी दवा देने का मन बना लिया है। कहा जाता है कि जो दवा जितनी कड़वी होती है वह उतनी ही असरकारक भी होती है। इसी तर्ज पर अब इन विद्रोही स्वर वाले नेताओं पर इसी तर्ज पर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि इससे न केवल कड़ा संदेश जाएगा, बल्कि पार्टी में वंशवाद की परंपरा पर भी रोक लगेगी। संगठन का मानना है कि पार्टी की वजह से ही इन नेताओं को बहुत अधिक मिला है। इसके बाद भी अगर वे विद्रोही तेवर दिखा रहे हैं तो फिर उनकी निष्ठा पर भरोसा कैसे किया जा सकता है। यही वजह है कि अब संगठन ऐसे नेताओं से पूरी तरह से किनारा करने का मन बना चुका है।  दरअसल इन में से कुछ नेता तो समय-समय पर अपनी बयानबाजी की वजह से चर्चा में बने रहते हैं। पार्टी द्वारा माना जा रहा था कि भाजपा का गढ़ होने की वजह से यह सीट हर हाल में उसके ही खाते में आएगी, लेकिन समीकरण और लोगों की भाजपा प्रत्याशी को लेकर नाराजगी का असर यह हुआ है कि राहुल लोधी अब तक की सबसे बड़ी हार का सामना करने को मजबूर हो गए। इसके बाद से ही पार्टी नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का जो दौर शुरू हुआ, वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यही वजह है कि इस मामले में अब संगठन ने कड़ा रुख अख्तियार करने का मन बना लिया है। गौरतलब है कि यहां पर स्थानीय सांसद और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और सात बार के पूर्व विधायक जयंत मलैया के बीच पटरी नहीं बैठती है, जिसकी वजह से प्रहलाद पटेल ने भाजपा प्रत्याशी और अपने करीबी राहुल लोधी की हार के बाद पूरी तरह से मलैया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। फलस्वरुप संगठन ने मलैया के बेटे सहित पांच मंडल अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए मलैया को भी नोटिस जारी कर दिया। संगठन की इस कार्रवाई के बहाने पार्टी के ही कई बड़े नेता जो अब सक्रिय राजनीति के नेपथ्य में जा चुके हैं संगठन को निशाने पर लिए हुए हैं। इन नेताओं में पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेल, हिम्मत कोठारी , ध्यानेंन्द्र सिंह जैसे नेता शामिल हैं।
किसी ने भी नहीं दिया नोटिस का जबाब
संगठन द्वारा दमोह के जिन नेताओं को नोटिस दिया गया है , उनमें से किसी भी नेता ने अब तक संगठन को कोई जवाब नहीं दिया है। इन नेताओं को 7 मई को यह नोटिस जारी किए गए थे। फिलहाल दस दिनों में जवाब भेजने को कहा गया था। माना जा रहा है कि सभी के द्वारा एक साथ जवाब दिया जाएगा। जवाब देने के पहले जयंत मलैया द्वारा अपना पक्ष दिल्ली में रखा जा सकता है।
असंतुष्ट हो रहे लामबंद
सूत्रों का कहना है कि कुछ नेता जहां खुलकर मलैया के पक्ष में आ चुके हैं, वहीं कुछ नेता ऐसे भी हैं , जो मलैया को फोन पर चर्चा कर उन्हें अपना समर्थन दे चुके हैं। इनमें कुछ ऐसे नेता भी शामिल हैं , जिन्हें अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व नरेन्द्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है। यह नेता फिलहाल खुलकर सामने आने के पहले वेट एंड वॉच की स्थिति में बने हुए हैं।

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