
- शिकायतों के निराकरण में मिला पांचवा स्थान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री से लेकर उच्च अधिकारी समय-समय पर निर्देश देते रहते हैं, लेकिन इसके बाद भी राजधानी में पदस्थ अफसरों की प्राथमिकता में ऐसे मामले नहीं होते हैं।
शायद यही वजह है कि भोपाल इस मामले में पहले तीन स्थानों में भी जगह नहीं बना पा रहा है। भोपाल को इस मामले में पांचवा स्थान दिया गया है। दरअसल भोपाल में पदस्थ होने वाले अफसर रसूखदार होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पता है कि लापरवाही के बाद भी उनका कुछ बिगडऩा नहीं हैं। इसकी वजह से वे अपने हिसाब से से ही काम करते हैं। भोपाल में रैकिंग बिगाडऩे में सबसे बड़ा हाथ नगरीय विकास एवं आवास विभाग का है। इसकी वजह है सर्वाधिक शिकायतें भी इसी विभाग की ही होती हैं। 21 दिसंबर तक अकेले इसी विभाग में 2832 शिकायतें हुई हैं। इनमें अधिकांश शिकायतें साफ-सफाई, स्ट्रीट लाइट, अतिक्रमण और पीएम आवास से जुड़ी हुई हैं। विभाग ने 24.05 फीसदी शिकायतों का निराकरण किया है।
भोपाल जिले की शिकायतों की बात की जाए तो 21 दिसंबर तक भोपाल जिले में 7315 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में दर्ज हुई हैं। इनमें से 18.87 फीसदी शिकायतों का निराकरण करते हुए उन्हें बंद किया गया है। शिकायतों के निराकरण में भोपाल का कुल वेटेज स्कोर 45.32 प्रतिशत पाया गया है। अहम बात यह है कि इस मामले में सीहोर में 49.87 फीसदी स्कोर हासिल कर पहले स्थान पर आया है। सीहोर में इसी अवधि में 3283 शिकायतें दर्ज हुई थीं, जबकि बुरहानपुर (वेटेज स्कोर 48.74) दूसरे, सिवनी (वेटेज स्कोर 47.38) तीसरे और बड़वानी (वेटेज स्कोर 46.64) चौथे स्थान पर आया है। यह वे जिले हैं, जो राजधानी से छोटे और पिछड़े माने जाते हैं। दरअसल सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के त्वरित निराकरण में प्रतिस्पर्धा के लिए जिले की रैंकिंग जारी की जाती है। इसमें कुल वेटेज स्कोर 100 प्रतिशत के आधार पर रैंकिंग जारी होती है। इसमें संतुष्टी के साथ बंद शिकायतों का वेटेज स्कोर 60 प्रतिशत, 50 दिवस से अधिक लंबित शिकायतों का वेटेज स्कोर 20 प्रतिशत, निम्नगुणवत्ता से बंद शिकायतों का वेटेज स्कोर 10 प्रतिशत और नॉन अटेंडेंट शिकायतों का वेटेज स्कोर 10 प्रतिशत तय किया गया है।
11 विभागों की नहीं मिली कोई शिकायत
अहम बात यह है कि 11 विभाग ऐसे रहे हैं, जिनकों लेकर कोई शिकायत ही नहीं आयी है। इनमें उच्च शिक्षा विभाग, नर्मदाघाटी, पर्यावरण विभाग, संसदीय कार्य विभाग, एमएसएमई, नवीनीकरणीय ऊर्जा, ग्रामोद्योग, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, विमुक्त घुमक्कड़ और संस्कृति विभाग शामिल है। भोपाल के कुल वेटेज स्कोर की बात करें तो यह 45.32 प्रतिशत है। इसमें संतुष्टी के साथ 1380 शिकायतें बंद हुई है। 50 से अधिक दिनों तक लंबित 497 शिकायतें है। निम्न गुणवत्ता के साथ 9717 शिकायतें बंद हुई हैं, वहीं 721 शिकायतों को तो देखा तक नही गया है।
ऊर्जा विभाग अव्वल
सीएम हेल्पलाइन पर भोपाल जिले में शिकायतों के निराकरण के मामले में सबसे अच्छा काम ऊर्जा विभाग में किया गया है। इस विभाग से संबधित दिसंबर माह में शिकायतें 875 दर्ज हुई थीं, जिसमें से 30.39 प्रतिशत यानी 266 शिकायतें संतुष्टी के साथ बंद की गई हैं। इसकी वजह है इस विभाग में अधिकांश शिकायतें मीटर या बिजली को लेकर ही होती हैं। यदि कोई बड़ा फॉल्ट न हो तो विद्युत आपूर्ती अधिकतम 30 मिनट से लेकर 1 घंटे के अंदर बहाल हो ही जाती है। यही कारण है कि इस विभाग का प्रदर्शन अन्य की तुलना में सबसे अच्छा है।