पाठ्यक्रम बनाने के लिए दूसरों के भरोसे विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय
  • स्थापना के 11 साल बाद भी हिंदी विवि में एक भी नियमित शिक्षक नहीं

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना को 11 साल हो गए हैं लेकिन आज भी व्यवस्था दूसरों के भरोसे चल रही है। आलम यह है कि विश्वविद्यालय में आज भी एक नियमित शिक्षक तक नहीं है। इस कारण इस विवि में न तो विद्यार्थी शोध कर सकते हैं और न ही सामान्य कोर्स की पढ़ाई ठीक से हो पा रही है। हिंदी विवि में 78 पाठ्यक्रम संचालित हैं, जो 29 अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहे हैं।  बता दें कि कोई भी विश्वविद्यालय अपना पाठ्यक्रम खुद ही तैयार करता है, क्योंकि उनके पास नियमित प्रोफेसर होते हैं। वे बोर्ड ऑफ स्टडीज में अपने यहां के प्रोफेसर के अलावा दूसरे विवि के विशेषज्ञ को भी शामिल कर पाठ्यक्रम तैयार करते हैं, लेकिन हिंदी विवि में एक भी नियमित प्रोफेसर नहीं है। इस कारण पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए प्रदेश के दूसरे विवि से प्रोफेसर को बुलाया जाता है, जबकि उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा था कि हिंदी विवि की स्थापना इस उद्देश्य से की गई है कि दूसरे विवि को पाठ्यक्रम तैयार कर उपलब्ध करवा सकें।
    प्रतिनियुक्ति पर बुलाए जाते हैं प्रोफेसर
    हिंदी विवि में अगर कोई वैधानिक बैठक या समारोह होता है तो दूसरे विवि से प्रतिनियुक्ति पर एक प्रोफेसर को बुलाया जाता है। दिसंबर में दीक्षा समारोह होना था तो भोज विवि से समारोह के एक दिन पहले एक नियमित प्रोफेसर राजीव वर्मा को प्रतिनियुक्ति पर बुलाना पड़ा, जो विवि में अध्ययन केंद्रों के डायरेक्टर भी हैं, परीक्षा नियंत्रक भी हैं और प्रोफेसर भी हैं। वहीं विवि में महीने में दो या तीन बार अध्ययन मंडल की बैठक बुलाकर खानापूर्ति की जाती है। इसके लिए दूसरे विवि से प्रोफेसर बुलाए जाते हैं और यहां के अतिथि विद्वान बैठक में शामिल होते हैं। विवि के 78 पाठ्यक्रम के प्रत्येक विषय के पांच सदस्य होते हैं। जिनकी समय- समय पर बैठक बुलाई जाती है।
    शुरू नहीं हो पाई मेडिकल व इंजीनियरिंग की हिंदी में पढ़ाई
    शासन ने हिंदी विवि में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में कराने की बात कही थी। इसके बाद 2017 में पूर्व कुलपति डॉ. रामदेव भारद्वाज ने हिंदी में मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने के लिए मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया को पत्र लिखा था, लेकिन काउंसिल ने अनुमति नहीं दी। पैरामेडिकल और प्राथमिक चिकित्सा कोर्स शुरू करने के लिए 100 बिस्तर का अस्पताल और पूरा मेडिकल स्टाफ उपलब्ध कराया जाना था। इस कोर्स की शुरूआत भी नहीं हो पाई। इसके बाद दूसरे विवि को हिंदी में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना था, जो अब तक नहीं हो पाया।

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