- पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे का खुलासा
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश के युवा रोजगार के संकट से सबसे अधिक जूझ रहे हैं। बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूरा फोकस औद्योगिक विकास पर है। इसके लिए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन किए जा रहे हैं। सरकार के इन प्रयासों का असर भी दिखने लगा है और इसी बीच पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मप्र में बेरोजगारी खात्मे की कगार पर है। यानी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मप्र देश का अकेला राज्य है जहां 1 प्रतिशत से भी कम बेरोजगार हैं। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट मप्र सरकार का उत्साहवर्धन कर रही है। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार मप्र में 23-24 वर्ष के 0.9 प्रतिशत बेरोजगार हैं। यानी एक प्रतिशत से भी कम। वहीं 22-23 वर्ष के 1.6 प्रतिशत और 17-18 वर्ष के 4.5 प्रतिशत बेरोजगार हैं। जानकारों का कहना है कि वर्तमान समय में मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जिस तरह औद्योगिक विस्तार पर जोर दे रहे हैं उससे मप्र में बड़ी संख्या में बेरोजगारों को नौकरी मिलने वाली है।
मप्र में 1 प्रतिशत से भी कम बेरोजगार
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे 2023-24 के मुताबिक एक साल के अंदर देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में घटी है। हरियाणा में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत है, जो 2022-23 में 6.1 प्रतिशत (गोवा 9.7 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक) थी। मगर, एक साल के अंदर इसमें 2.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो देश के किसी भी अन्य राज्य से कहीं अधिक है। वहीं, मप्र देश का एकमात्र राज्य है, जहां बेरोजगारी दर 1 प्रतिशत से भी कम (0.9 प्रतिशत) है। इस सूची में दूसरे नंबर पर गुजरात (1.1 प्रतिशत) और तीसरे पर झारखंड (1.3 प्रतिशत) है। पर्यटन की शान माने जाने वाले गोवा में बेरोजगारी दर देश में सबसे ज्यादा 8/5 प्रतिशत है। इसी तरह साक्षरता दर में देश में अव्वल केरल में बेरोजगारी दर 7.2 प्रतिशत है। जबकि देश की औसत बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत है। देश में सिक्किम का लेबर पार्टिसिपेशन रेट यानी राज्य की कुल आबादी में काम करने या काम खोजने वाले लोग सबसे अधिक 60.5 प्रतिशत हैं। महिलाओं की हिस्सेदारी 55त्न और पुरुषों की 65 प्रतिशत है। इस सूची में बिहार 29 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे है। इसके बाद यूपी (33.8 प्रतिशत) और झारखंड (34.6 प्रतिशत) का नंबर आता है। देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों का लेबर पार्टिसिपेशन रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसी तरह, कुल आबादी में काम करने वालों की संख्या यानी वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो देखें तो सिक्किम (58.2 प्रतिशत) सबसे ऊपर है। छत्तीसगढ़ (51.3 प्रतिशत) दूसरे पर है।
पंजाब में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे 2023-24 के मुताबिक देश के प्रमुख राज्यों की बात करें तो पंजाब में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 5.5 प्रतिशत है, जो पिछले साल 6.1 प्रतिशत थी। राजस्थान दूसरे पर है। साल की बेरोजगारी दर देखें तो राजस्थान 6 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में सबसे कम 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई। दिल्ली में सबसे ज्यादा 7.6 प्रतिशत कमी आई। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 51 प्रतिशत लोग कोई न कोई काम करते हैं। इस सूची में गुजरात (45 प्रतिशत) दूसरे और महाराष्ट्र (44.5 प्रतिशत) तीसरे नंबर पर। पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा 9 प्रतिशत बढ़ोतरी गुजरात ने दर्ज की है। मप्र एकमात्र राज्य है, जहां काम करने वालों में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
सबसे अधिक नौकरीपेशा दिल्ली में
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे में कामकाजी आबादी को तीन वर्गों में बांटा गया है। स्वरोजगार, नौकरीपेशा और दिहाड़ी मजदूर। देश में स्वरोजगार वाले सबसे ज्यादा 78 प्रतिशत अरुणाचल में हैं। सर्वाधिक 72.9 प्रतिशत नौकरीपेशा चंडीगढ़ में हैं। दिहाड़ी मजदूरों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी तमिलनाडु (31 प्रतिशत) में है। 11 प्रमुख राज्यों में देखें तो यूपी में स्वरोजगार वाले सबसे ज्यादा 72.7 प्रतिशत हैं। नौकरीपेशा में दिल्ली 56.1 प्रतिशत के साथ टॉप पर है। दिहाड़ी मजदूरों में बिहार 23.8 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर। वहीं, देश में स्वरोजगार वाले 58.4 प्रतिशत, नौकरी वाले 21.7 प्रतिशत और दिहाड़ी वाले 19.8 प्रतिशत हैं। लेबर पार्टिसिपेशन रेट के मामले में 11 प्रमुख राज्यों की सूची में छत्तीसगढ़ (52.8 प्रतिशत) टॉप पर है। महाराष्ट्र (46 प्रतिशत) दूसरे व गुजरात (45.8 प्रतिशत) तीसरे नंबर पर है। देश में सभी उम्र के लिए ये 40.3 प्रतिशत है। 2022-23 में 39 प्रतिशत था। देश में स्वरोजगार करने वाले 39 प्रतिशत लोग अकेले काम कर रहे हैं। 19.4 प्रतिशत अपने परिवार के कारोबार में हाथ बंटाते हैं। इन्हें अलग से कोई वेतन नहीं दिया जाता। कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा 82 प्रतिशत स्वरोजगार वाले हैं। 17 प्रतिशत दिहाड़ी वाले हैं। वहीं 11 प्रमुख राज्यों में छत्तीसगढ़ में कामकाजी लोग सबसे ज्यादा हैं। वहीं गुजरात दूसरे नंबर पर और बिहार में सबसे कम कामकाजी लोग हैं।