अनियमितता मिलने के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री ने मूल विभाग भेजने का दिया था निर्देश
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विभागीय समीक्षा के दौरान अनियमितता सामने आने के बाद मप्र पाठ्यपुस्तक निगम में पदस्थ महिला वित्त अधिकारी अंजू सिंह को स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के निर्देश पर हटा दिया गया था और उनकी सेवाएं मूल विभाग को सौंप दी गई थी। लेकिन करीब डेढ़ माह बाद अंजू सिंह को हटाने का फैसला स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को आखिरकार बदलना पड़ा। इसको लेकर प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में चर्चाओं का दौर जोरों पर है। गौरतलब है कि महिला वित्त अधिकारी की कार्यप्रणाली से नाराज होकर स्कूल शिक्षा मंत्री ने 23 सितंबर को मूल विभाग में भेजने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रबंध संचालक, मप्र पाठ्यपुस्तक निगम ने इन्हें कार्यमुक्त करते हुए मूल विभाग में भेजने के आदेश भी जारी कर दिए थे, लेकिन अब स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव ओएल मंडलोई ने इस आदेश को निरस्त करते हुए महिला वित्त अधिकारी अंजू सिंह को पाठ्यपुस्तक निगम में ही यथावत रखने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके आदेश के बाद विभागीय गलियारों में हडक़ंप मच गया है। कर्मचारियों से लेकर अधिकारी वर्ग तक दबी जुबां से बस यही चर्चा है कि महिला वित्त अधिकारी अंजू सिंह की जिद के आगे स्कूल शिक्षा मंत्री को झुकना पड़ गया।
अपने खिलाफ जांच पर उठाए सवाल
अंजू सिंह की पूर्व में निगम में शिकायतें हो चुकी है। पूर्व में राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा ने भी इसकी जांच के आदेश दिए थे। प्रबंध संचालक विनय निगम ने इसकी जांच की थी। 15 जनवरी के पत्र की जांच में सामने आया कि वर्तमान में सभी वित्त अधिकारी सातवां वेतनमान ले रहे हैं, लेकिन अंजू छठवां वेतनमान ही ले रही है। इसके अलावा जांच पत्र में कई बिंदु है। विभागीय जानकारों के अनुसार, महिला वित्त अधिकारी अंजू सिंह पाठ्यपुस्तक निगम के एमडी विनय निगम पर गंभीर आरोप लगा चुकी है।
समीक्षा के दौरान मिली थी 5 बड़ी अनियमितताएं
दरअसल, मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के कामकाज की समीक्षा करने के दौरान प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को वित्त महाप्रबंधक अंजू सिंह की 5 बड़ी अनियमितताएं मिली थी। मंत्री को यह जानकारी भी दी गई थी कि उनके सरकारी रिकॉर्ड से जुड़े वो दस्तावेज भी सामने आए हैं। एक में उनके पति का नाम राकेश कुमार सिंह और दूसरे में ऋषि राज वर्मा लिखा है। एक दस्तावेज 8 जनवरी 2024 का है और दूसरा 10 नवंबर 2017 का है। संदिग्ध पहचान का मामला सामने आने के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने तीन बार अंजू सिंह को पत्र लिखकर अपना पक्ष मय दस्तावेजों के साथ रखने के लिए कहा था। अंजू सिंह ने इस पर अपना पक्ष नहीं रखा है। इस खुलासे के बाद मंत्री ने अंजू सिंह की सेवाएं उनके मूल विभाग को लौटाने का आदेश दिया। मंत्री ने कहा कि जिस अफसर की पहचान संदिग्ध है, उससे फाइनेंस से जुड़ा बड़ा काम कैसे ले सकते हैं। पाठ्य पुस्तक निगम में बड़े पैमाने पर टेंडर और बैंकों का भुगतान किया जाता है। पाठ्यपुस्तक निगम के एमडी ने 23 सितंबर 2024 को अंजू की सेवाएं उनके मूल विभाग को वापस कर दी।