भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में तमाम छोटी बढ़ी परियोजनाएं ऐसी हैं जो कई सालों बाद भी आधी -अध्ूारी पड़ी हुई हैं। इसकी वजह से नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत प्रदेश के निर्माण विभागों पर पूरी तरह से लागू होती है। ऐसा ही मामला है रीवा जिले के त्योंंथर में बन रहे एक बांध का जिसका काम नौ साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। इस बांध की लागत 239 करोड़ रुपए है। खास बात यह है कि इस बांध के पूरा होने के लिए तय की गई अवधि भी छह साल पहले ही पूरी हो चुकी है। इसका काम हैदराबाद की मेसर्स एचईएस इंफ्रा नामक कंपनी के पास है। सरकार ने इस देरी पर जब कंपनी को नोटिस थमाया तो ठेकेदार ने यह तर्क देते हुए कि भू-अर्जन कार्य नहीं होने और कोरोना के चलते कार्य नहीं कराया जाने का बहाना बनाते हुए प्रशासन को ही दोषी ठहरा दिया है। ठेकेदार की इस लापरवाही की वजह से इलाके के लाखों किसानों की करीब 25 हजार हेक्टेयर में सिंचाई नहीं हो पा रही है। इस मामले में जल संसाधन विभाग द्वारा अब कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। दरअसल जल संसाधन विभाग ने टर्न की योजना के तहत रीवा जिले के त्योंथर बहाव योजना का ठेका 2013 में हैदराबाद की कंपनी मेसर्स एचईएस इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को 37 हजार 50 हेक्टेयर में सिंचित कमांड एरिया के लिए टमस मुख्य नहर, महान वितरक, चिल्ला शाखा नहर, माइनर एवं सब माइनर नहरों का निर्माण, मिट्टी एवं स्ट्रक्चरों का कार्य सहित स्पेसीफिकेशन आदि का ठेका 228 करोड़ रुपए में दिया था। ठेकेदार को यह कार्य 30 सितंबर 2016 तक पूरा करना था। इसके बाद सिंचाई रकबा बढ़ाकर 40 हजार 50 हेक्टेयर कर दिया गया और ठेके की लागत बढ़कर 239.33 करोड़ रुपए हो गई। 2013 के बाद 9 साल बीतने पर भी प्रोजेक्ट कंपलीट नहीं हो सका और सिंचाई क्षमता 40 हजार हेक्टेयर के स्थान पर मात्र 15 हजार हेक्टेयर में ही विकसित की जा सकी।
सीएम से मिलकर बात करूंगा
इस मामले में स्थानीय विधायक को भी अब चुनावी समय पास आने पर इस बांध में होने वाली देरी की याद आयी है। विधायक त्योंथर श्यामलाल द्विवेदी का कहना है कि वे इस सिंचाई प्रोजेक्ट की देरी का मुद्दा कई बार उठा चुका हूं। इस मुद्दे पर विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव भी लाया था, लेकिन अब विभाग ने ठेकेदार का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है और नए सिरे से काम कराने में काफी समय लगेगा। मैं इस मामले में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जनता का पक्ष रखूंगा।
कई नोटिस देने पर भी नहीं दिया जवाब
ठेकेदार द्वारा अनुबंधित कार्य पूर्ण नहीं किए जाने पर जल संसाधन विभाग द्वारा कई नोटिस जारी किए गए। इस मामले में कंपनी ने 18 अक्टूबर को अपना जवाब देते हुए तर्क दिया कि समय पर भुगतान न होना, कोरोना महामारी की आपदा तथा पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति न होने के कारण कार्य पूरा करने में दिक्कत हुई है। विभाग ने ठेकेदार द्वारा दिए गए कारणों को ठुकराते हुए कहा कि कार्य पूर्ण न होने से राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में 1715 करोड़ की कमी ठेकेदार की लापरवाही से हुई है, जो कि राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है, इसलिए मेसर्स एचईएस इंफ्रा को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाता है।
29/10/2022
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