- केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी कर चुके हैं पहले चरण का शुभारंभ …
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के चारों महानगरों में शामिल ग्वालियर की ऐतिहासिक स्वर्ण रेखा नदी पर मध्यप्रदेश में पहली प्रस्तावित एलिवेटेड रोड को लेकर इन दिनों स्थानीय स्तर पर राजनीति गर्मा गई है। खास बात यह है कि इस मामले में अब श्रीमंत के विरोध में भाजपा के स्थानीय सांसद ने ही मोर्चा खोल दिया है, जबकि कांग्रेस पहले से ही इस परियोजना को लेकर सवाल खड़ी करती आ रही है। गौरतलब है कि इसका केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ दिनों पहले ही शिलान्यास किया है।
अब इस मामले में विपक्ष के साथ ही भाजपा सांसद द्वारा कई तरह के गंभीर सवाल खड़े किए जाने से इस पूरी ही परियोजना के निरस्त होने का खतरा मडराने लगा है। बताया जा रहा है कि अब इस परियोजना में मलेशिया की तकनीक की जगह पुरानी डीपीआर और उसी की तकनीक का उपयोग किया जाएगा। दरअसल इसको लेकर पहले से ही कांग्रेस हमलावर बनी हुई थी , लेकिन इस मामले में जारी सियासत में जिस तरह से भाजपा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने हमला बोला है उसे पूरी तरह से सीधा श्रीमंत पर हमले के रुप में देखा जा रहा है।
शेजवलकर का आरोप महंगा है प्रोजेक्ट
बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का आरोप है कि आधा अधूरा एलिवेटेड रोड बनाने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट के रूप में माना जाना चाहिए। इसमें स्वर्ण रेखा नदी का विकास और उसके दोनों तरफ अच्छी सड़कें बनाने की कोई योजना नही है। उनका कहना है कि इसके साथ ही इस योजना में रिवरफ्रंट के साथ-साथ बोट क्लब को भी शामिल किया जाना चाहिए । सांसद ने कहा, यह प्रोजेक्ट काफी महंगा है और यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट में स्वर्ण रेखा नदी पर बन रहे एलिवेटेड रोड के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों का विकास हो और नदी को भी स्वच्छ और सुंदर बनाया सके।
कांग्रेस का आरोप होगा सीवेज सिस्टम ध्वस्त
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने इस प्रोजेक्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि श्रीमंत स्वयं को शहर में चमकाने के लिए ही फिजूलखर्ची करने में लगे हुए हैं। इसका श्रेय लेने की होड़ में इसे हड़बड़ी में लाया गया है। उनका कहना है कि, स्वर्ण रेखा नदी पर बन रही है यह एलिवेटेड रोड सफल प्रोजेक्ट नहीं है। उनका कहना है कि स्वर्ण रेखा नदी पर एलिवेटेड रोड आने पर शहर का पूरा सीवेज सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। इस नदी के आसपास इतनी जगह नहीं है कि, प्रॉपर एलाइनमेंट आ सके। इस बात को साबित करने के लिए साउथ की कंपनी को बुलाया गया था, जिन्होंने साफ तौर पर इंकार कर दिया है। इसके बावजूद श्रीमंत ने 900 करोड़ रुपए को पानी में बहाने की तैयारी कर ली है।
यह है प्रदेश की पहली एलिवेटेड रोड
ग्वालियर की एलिवेटेड रोड प्रदेश में इस तरह की पहली परियोजना है। इसका पूरा खर्च केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। इसकी लागत 829 करोड़ रुपए है। खास बात यह है कि ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी पर बनने वाला ये एलिवेटेड रोड प्रदेश का पहला रोड है, जो किसी नदी के ऊपर बनाया जा रहा है। इसका पहला फेज जलालपुर से लेकर रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल तक का है। इस पहले फेज की लंबाई करीब 6 किलोमीटर है। पहले फेज के लिए 406 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। इससे शहर के ट्रैफिक को रफ्तार मिलेगी। इसकी डीपीआर लोक निर्माण विभाग ने तैयार की है, उसके अनुसार एलीवेटेड रोड पर पैदल चलने वालों के लिए भी ट्रैक बनेगा। साथ ही अलग-अलग प्वाइंट पर रेल ओवर ब्रिज की तरह उतरने-चढ़ने के लिए सीढिय़ां भी बनाई जाएंगी।
श्रीमंत पर आरोप
इस मामले में बीजेपी के सांसद कांग्रेस का सर्मथन करते नजर आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले शहर की जर्जर हालातों को लेकर श्रीमंत समर्थकों और कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त मुन्नालाल गोयल ने ऐलान किया था कि, नगर निगम दफ्तर के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे। इस मामले को लेकर बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कांग्रेस विधायक का समर्थन किया और कहा, मुन्ना लाल के बारे में क्या कहूं। साल 2018 में जब बीजेपी की सरकार गिरी थी ,उसके बाद से श्रीमंत समर्थक नेता ही नगर निगम को चला रहे हैं। इस बयान पर जब सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मैं सांसद के बयान को लेकर कुछ नहीं कह सकता हूं। वह उनका निजी बयान और विचार है। इसके साथ ही कांग्रेस विधायक और महापौर पति सतीश सिकरवार का कहना है कि, बात सही है कि साल 2018 के बाद इस नगर निगम को श्रीमंत समर्थक ही चला रहे हैं। अब जब नगर निगम में कांग्रेस की महापौर जीतकर आई हंै तो उन्हें दर्द हो रहा है क्योंकि वह भ्रष्टाचार नहीं कर पा रहे हैं।