सीपीए के आधिपत्य को लेकर दो विभागों में खींचतान

सीपीए

पीडब्ल्यूडी संपत्तियां हस्तांतरित करने को तैयार नहीं

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। शिवराज सरकार ने जिस राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) को तीन मार्च 2022 को बंद कर दिया था, अब उसके पुर्नगठन की तैयारी चल रही है। जानकारी के अनुसार सीपीए अगले वित्त वर्ष यानी एक अप्रैल से ही शुरू हो पाएगा। इसके पहले सीपीए का सेटअप नए सिरे से तैयार करना होगा। पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को सौंपे गए सीपीए के काम उनसे वापस लेकर फिर से सीपीए को सौंपना होंगे।  इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग एक्शन में आ गया है। विभाग ने लोक निर्माण विभाग को फाइल भेजकर सीपीए की संपत्तियां उसे हस्तांतरित किए जाने को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगा है। लेकिन लोक निर्माण विभाग संपत्तियां हस्तांतरित करने के लिए राजी नहीं है, इसलिए विभाग ने फिलहाल फाइल को होल्ड कर दिया है। लोक निर्माण विभाग सीपीए का आधिपत्य अपने पास रखना चाहता है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार से सीपीए के पुर्नगठन के लिए आर्थिक व तकनीकी सहयोग मांगा है। यानी नवगठित सीपीए की शहर के विकास में भूमिका बढ़ भी सकती है। इस बीच सीपीए के पुर्नगठन की कवायद के बीच इसके आधिपत्य को लेकर दो विभागों में खींचतान जारी है। ढाई साल पहले सीपीए को बंद करने के बाद इसकी संपत्तियां (सडक़ों-बड़े सरकारी भवनों का मेंटेनेंस) लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थीं।  लेकिन लोक निर्माण विभाग अब सीपीए की संपत्तियों को छोडऩा नहीं चाहता है।

एनओसी मिलने के बाद ही आगे बढ़ेगा काम
जानकारों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा एनओसी दिए जाने के बाद ही सीपीए के पुर्नगठन का काम आगे बढ़ेगा। गौरतलब है कि सीपीए दोबारा चर्चा में तब आया, जब गत मार्च में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर सीपीए को दोबारा चालू करने की मांग की। इसके बाद मुख्य सचिव ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर सीपीए के पुर्नगठन को लेकर अभिमत है कि पीडब्ल्यूडी सीपीए के पक्ष में नहीं है। पिछले दिनों सीएम ने और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर सीपीए को पुर्नजीवित करने के लिए मंत्रालय से आर्थिक और तकनीकी मदद करने का अनुरोध किया था। इसके बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग तेजी से सीपीए की कवायद में जुटा है, लेकिन उसे अब तक  एनओसी नहीं मिल पाई है। एनओसी मिलने के बाद ही सीपीए के पुर्नगठन संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखा जा सकेगा। गौरतलब है कि तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 3 मार्च, 2022 को कैबिनेट ने सीपीए को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद सीपीए में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को मूल विभाग में भेज दिया गया था। शहर की सडक़ों और भवनों के मेंटेनेंस का काम लोनिवि और पार्कों को संधारित करने का दायित्व वन विभाग को सौंप दिया  था। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने 4 जुलाई को विस को बताया था कि सरकार का सीपीए को फिर से शुरू करने का कोई विचार नहीं है, क्योंकि भोपाल में निर्माण कार्य व सौंदर्गीकरण के लिए स्मार्ट सिटी, बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी जैसी कई सरकारी एजेंसियां हैं।

कैबिनेट में लाया जाएगा पुर्नगठन का प्रस्ताव
गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से सीपीए को पुर्नजीवित करने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया था। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सीपीए के पुर्नगठन को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। चूंकि सीपीए की संपत्तियां पीडब्ल्यूडी के आधिपत्य में हैं, इसलिए विभाग की एनओसी के बगैर प्रस्ताव को कैबिनेट में नहीं लाया जा सकेगा। यही वजह है कि नगरीय विकास विभाग ने एनओसी लेने के लिए पीडब्ल्यूडी को फाइल भेजी है। जानकारों का कहना है कि विभाग सीपीए का आधिपत्य इसलिए चाहते हैं क्योंकि उसके पास मंत्रालय, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल, विधानसभा भवन, विधायक विश्रामगृह, शहीद स्मारक, पर्यावास भवन, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, आवास के मेंटेनेंस के अलावा भोपाल के प्रमुख मार्गों और पार्कों को संधारित करने का काम सीपीए के जिम्मे था। यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन का काम भ वहीं देख रहा था। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इन कार्यों का बजट करोड़ों में है। मंत्रालय का रेनोवेशन 107 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोडक़र  करोड़ों की लागत से नए भवन बनाने की प्रक्रिया चल रही है। अभी यह काम पीडब्ल्यूडी के जिम्मे है, यदि सीपीए का पुर्नगठन होता है और इसका पूर्व की तरह अधिपत्य लोनिवि के पास आ जाएगा। सूत्रों का कहना है कि पुर्नगठन के बाद केन्द्र से मिलने वाली सहायता राशि को लेकर ही दोनों विभाग आमने सामने आ रहे हैं। अगर इसके पुर्नगठन तक पीडब्ल्यूडी को एनओसी प्रस्ताव को सौंप दिया जाता है, तो ये सभी कार्य उसे हस्तांतरित हो जाएंगे। यही वजह है कि दोनों विभाग सीपीए का आधिपत्य अपने पास रखना चाहते हैं।

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