विधायकों पर विश्वास… कांग्रेस कर पाएगी कमाल?

कांग्रेस

प्रदेश में पार्टी ने 91 विधायकों को माना जिताऊ

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 को फतह कर भाजपा ने सरकार बनाने की जो रणनीति बनाई है उसके लिए उसने अपने विधायकों पर विश्वास जताया है। जहां एक तरफ भाजपा ने अपने 124 विधायकों में से 33 का टिकट काटा है, वहीं कांग्रेस ने 95 में से 91 विधायकों को टिकट दिया है।
पार्टी अपने इन 91 विधायकों को जिताऊ मान रही है। यानी कांग्रेस के गणित के अनुसार पार्टी को बहुमत का आंकड़ा पाने के लिए 25 और सीटें जीतने की जरूरत है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या विधायकों पर विश्वास जता कर कांग्रेस कमाल कर पाएगी? 230 विधानसभा सीटों वाले मप्र में बहुमत के लिए 116  सीटें जीतना जरूरी है। हालांकि, 2018 में कोई भी पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई थी। 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। लेकिन उस बार भी कांग्रेस ने 46 विधायकों को टिकट दिया था, जिसमें से 20 हार गए थे। यानि की 40 फीसदी नहीं जीत पाए थे। ऐसे में इस बार हर कोई आश्चर्यचकित है कि कांग्रेस ने अपने 95 विधायकों में से केवल चार का ही टिकट काटा है।
दबाव या भरोसा
कांग्रेस ने इस बार अधिकांश विधायकों पर भरोसा जताकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। ऐसे में लोगों को कहना है कि पार्टी ने किसी दबाव में यह फैसला लिया है या वाकई विधायकों की जीत पर भरोसा है। कांग्रेस ने 95 विधायकों में से 91 को टिकट देकर भरोसा जताया है। यह पहली बार है कि इतनी संख्या में विधायकों को चुनाव लड़ाया गया है। 2008 में पार्टी के 71 विधायक थे। इनमें से 2013 के चुनाव में 52 को प्रत्याशी बनाया गया, जिनमें से 20 चुनाव हार गए थे। इसी तरह 2013 में पार्टी के 58 विधायक थे। इनमें से 2018 के चुनाव में 12 के टिकट बदले गए। 46 को मैदान में उतारा था। इनमें से 20 हारे थे। पिछले चुनाव के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस ने बड़ा जोखिम उठाया है। 2018 में कांग्रेस के 114 प्रत्याशी चुनाव जीते थे। श्रीमंत की बगावत की वजह से कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और उनके 18 समर्थक व तीन अन्य विधायकों ने पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।  बाद में अन्य कारणों से कुछ और विधायकों ने पार्टी छोड़ी और कांग्रेस के पास कुल 96 विधायक रह गए।
बगावत का दिखा असर
वैसे देखा जाए तो कांग्रेस ने अधिकांश विधायकों पर बगावत के डर के कारण विश्वास जताया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार कुछ विधायकों के टिकट काटे जाने की तैयारी थी, पर बगावत और उसका चुनाव पर उसके असर की संभावना को देखते हुए पार्टी ज्यादा टिकट काटने का जोखिम नहीं उठा पाई। पहले गोटेगांव से एनपी प्रजापति, सुमावली से अजब सिंह कुशवाह और बड़नगर से मुरली मोरवाल का टिकट काटा गया। विरोध को देखते हुए पार्टी को निर्णय बदलना पड़ा और तीनों विधायकों को फिर प्रत्याशी घोषित कर दिया। गौरतलब है कि 2018 में हार कांग्रेस ने जिन विधायकों पर विश्वास जताया था, उनमें से रामनिवास रावत, हेमंत कटारे, चंदारानी गौर, प्रताप सिंह, मुकेश नायक, यादवेंद्र सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह, सुखेंद्र सिंह, सुंदरलाल तिवारी, अजय सिंह, सरस्वती सिंह, रामपाल सिंह, नीलेश अवस्थी, संजीव ठइके, मधु भगत, रजनीश सिंह, आरके दोगने, निशंक जैन, शैलेंद्र पटेल और गिरीश भंडारी हार गए थे।

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