त्रिपाठी फंसे मुश्किल में

नारायण त्रिपाठी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अपने तेवरों की वजह से भाजपा के बाद कांग्रेस द्वारा भी मौजूदा विधायक और विंध्य पार्टी के प्रमुख नारायण त्रिपाठी को चुनाव के अंतिम दिनों में दिनों में टिकट ने देकर भरी मुश्किल में डाल दिया था। इसके बाद से उन्हें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है उनका स्वयं कड़े मुकाबला फंसना  और  साथ ही उनकी पार्टी की एक प्रत्याशी द्वारा उनके ही खिलाफ मोर्चा खोल देना। इसके उनकी पार्टी के खिलाफ फूट के रुप में देख जा रहा है। यह पहला मौका है जब त्रिपाठी को भी उन तेवरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी वजह से भाजपा उनसे लगातार परेशान रही है। दरअसल भाजपा व कांग्रेस द्वारा उन्हें इस बार टिकट नहीं दिए जाने से वे अपनी खुद की पार्टी बनाकर न केवल स्वयं चुनावी मैदान में उतरे हैं, बल्कि उनके द्वारा विंध्य इलाके की 29 विस सीटों पर भी प्रत्याशी उतारे गए हैं। खास बात यह है कि त्रिपाठी ने अधिकांश प्रत्याशी भाजपा के बागियों को ही बनाया है। इस बार त्रिपाठी खुद के ही चुनाव में बुरी तरह से उलझ गए हैं, जिसकी वजह से वे अपना चुनाव क्षेत्र नहीं छोड़ पा रहे हैं, इसकी  वजह से वे अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के प्रचार में भी नहीं पहुंच पा रहे हैं और न ही उनकी अन्य किसी तरह से मदद कर पा रहे हैं।  इस वजह से  अब पार्टी के दूसरे प्रत्याशियों ने त्रिपाठी पर चुनाव में धोखा देने के गंभीर आरोप लगाना शुरु कर दिए हैं। इस बीच त्रिपाठी का यह बयान भी चौंकाने वाला है कि हमने जल्दबाजी में बिना तैयारी के ही उम्मीदवार उतार दिए और मैं खुद चुनाव लड़ गया। मुझे चुनाव नहीं लडऩा था। मैं खुद चुनाव लडक़र अपने प्रत्याशियों की मदद नहीं कर पा रहा हूं।
प्रत्याशी ने लगाया धोखा देने का आरोप
जयसिंह नगर सीट से विंध्य विकास पार्टी की उम्मीदवार और शहडोल जिला पंचायत उपाध्यक्ष फूलबती सिंह ने पार्टी के सुप्रीमो नारायण त्रिपाठी पर बड़ा आरोप लगाया है। फूलबती ने कहा कि मैं निर्दलीय चुनाव लड़ना चाह रही थी। नारायण त्रिपाठी ने मुझे अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया और कहा कि अगर आप हमारी पार्टी सेे चुनाव लड़ेंगी तो हम बैनर पोस्टर समेत अन्य खर्चों के लिए 20 लाख रुपए तक की मदद करेंगे। फूलबती सिंह ने कहा कि उनसे मदद की उम्मीद मिलने के बाद मैंने निर्दलीय की जगह उनकी पार्टी से चुनाव लड़ा। अब वो अपने वादे से मुकर रहे हैं। वो किसी प्रकार से मेरी कोई मदद नहीं कर रहे हैं। यहां तक कि मैंने कहा कि एक दिन के लिए चुनाव प्रचार के लिए ही शहडोल आ जाइए तो कहते हैं माफ करना, मैं शर्मिंदा हूं। खुद चुनाव लडक़र मैं अपनी सीट में ही फंस गया हूं।

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