- टेक्निकल विंग के पदों की मंजूरी के बाद अमले की भर्ती प्रक्रिया शुरू
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में जनजातियों के विकास से जुड़े निर्माण कार्य करने के लिए अब जनजातीय कार्य विभाग अपना अलग टेक्निकल विंग बनाने जा रहा है। कैबिनेट से इसके लिए पदों की मंजूरी के बाद अमले की भर्ती प्रक्रिया विभाग ने शुरू कर दी है। इससे पहले नगरीय विकास एवं आवास विभाग, स्वास्थ्य, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, पर्यटन और पुलिस विभाग के अपने अलग-अलग टेक्निकल विंग हैं। राज्य सरकार ने ट्राइबल टेक्निकल विंग के नए सेटअप को मंजूरी भी दे दी है। इसके लिए फिलहाल 177 पद स्वीकृत किए गए हैं।
टेक्निकल विंग बनाने का मकसद ये है कि विभाग के निर्माण कार्य समय पर पूरे हो सकें। अब तक विभाग अपने स्तर पर केवल 2 करोड़ रुपए तक के काम कर पाता था। इससे बड़े सभी काम दूसरी निर्माण एजेंसी को देने पड़ते थे । विभाग के अफसरों का कहना है कि हमारे विभाग के ज्यादातर काम 3-12 करोड़ के होते हैं, जो निर्माण एजेंसियों की प्रायोरिटी में फिट नहीं बैठते। इससे विभाग के प्रोजेक्ट देरी से पूरे होते थे। अब जनजातीय कार्य विभाग अपने खुद के टेक्निकल विंग के जरिए निर्धारित लागत तक के विकास कार्य ओपन टेंडर के जरिए करवा सकेगा। इससे फायदा यह होगा कि निर्माण कार्य समय-सीमा में हो सकेंगे। निर्माण कार्य की लागत नहीं बढ़ेगी। विकास एवं उन्नयन कार्य ओपन टेण्डर नियम-शर्ते रख सकेगा। निर्माण कार्य की लागत जनजातीय कार्य विभाग तय करेगा। विभागीय अधिकारियों की मानें तो दो महीने पहले कैबिनेट ने जरूरी अमले की स्वीकृत दे दी है। इसके साथ ही 177 पद मंजूर किये गए हैं। इन पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शाखा के प्रमुख एसई यानी अधीक्षण यंत्री होंगे। इनके सहयोग के लिये 6 कार्यपालन यंत्री होंगे। इनके साथ सहायक यंत्री (सिविल) के 25, सहायक यंत्री (विद्युत) के 3, उपयंत्री (सिविल) के 123, उपयंत्री (विद्युत) के 9, प्रगति सहायक के 7 और निर्माण सहायक, सहायक मानचित्रकार व अनुरेखक के एक-एक पद भी इसमें शामिल हैं। जनजातीय विभाग द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाओं में शामिल छात्रावास, आश्रम शालाएं एवं आदर्श विद्यालय, जेएसएस आदि का उन्नयन, विस्तार के साथ इन संस्थानों की छत पर सोलर सिस्टम और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग आदि की स्थापना के अलावा सांस्कृतिक भवन आदि के निर्माण विभाग द्वारा कराए जाते हैं। अब तक विभाग अपने स्तर पर केवल 2 करोड़ रुपए तक के काम कर पाता था। सरकार के नियमानुसार इससे बड़े सभी काम दूसरी निर्माण एजेंसी को देने पड़ते थे। वहीं 3-12 करोड़ के कार्यों को चयनित निर्माण एजेंसियां प्राथमिकता में नहीं रखती थी। जिससे अधिकांश निर्माण कार्य देरी से पूरे होते थे।
हर साल बचेगा 30 करोड़
जनजातीय कार्य विभाग जो हर साल लगभग 5 हजार रुपये के निर्माण कार्य कराता है, नए वित्तीय वर्ष से खुद के बूते पर निर्माण कार्य करेगा और भवन निर्माण पर होने वाले खर्च में से करीब 30 करोड़ रूपये हर साल बचाएगा। आगामी वित्तीय वर्ष से सभी तरह के निर्माण कार्य विभाग की तकनीकी शाखा द्वारा किए जाएंगे। कैबिनेट से इसके लिये पदों की मंजूरी के बाद अमले की भर्ती प्रक्रिया विभाग ने शुरू कर दी है। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिये स्कूल, छात्रावास सहित कई निर्माण कार्य समय-समय पर किये जाते हैं। इसके लिये वह लोक निर्माण विभाग (पीआईयू), मप्र भवन विकास निगम, मप्र पुलिस हाऊसिंग, अधोसंरचना विकास निगम एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा की सेवाएं लेता है। निर्माण और निगरानी के एवज में यह परियोजनाओं की लागत का छह प्रतिशत भुगतान करता है।