आदिवासी इलाके में आते हैं यह सभी निकाय
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 200 सीटें जीतने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके लिए आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी को बड़ी जीत की जरूरत है। इसके लिए भाजपा पिछले कुछ सालों से तैयारी कर रही है। भाजपा की इन तैयारियों की अग्निपरीक्षा प्रदेश में हो रहे 19 नगरीय निकाय चुनावों में होगी। इसलिए 19 निकायों के चुनाव को विधानसभा चुनाव का ट्रायल माना जा रहा है। गौरतलब है कि मप्र में एक बार फिर 19 नगरीय निकायों में 20 जनवरी को वोटिंग होनी है। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ये आखिरी चुनाव हैं। ऐसे में इनके परिणाम काफी अहम होने वाले हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने कमर कस ली है। इनकी कोशिश है कि इन 19 निकायों में विधानसभा चुनाव का ट्रायल कर लिया जाए। इन चुनावों में प्रदेश की 19 निकायों के 343 वार्ड के लिए 720 मतदान केंद्र में वोटिंग कराई जाएगी। इसमें पुरुष मतदाता 2 लाख 60 हजार 301, महिला मतदाता 2 लाख 46 हजार 969 और 38 अन्य मतदाता शामिल होंगे।
भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत
प्रदेश के 19 निकायों में हो रहे चुनाव की अहमियत भाजपा भली भांति जानती है। इसलिए 20 जनवरी को होने वाले चुनावों को लेकर भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। इनके चुनावी नतीजों से भाजपा अपनी आगामी रणनीति तय करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा भाजपा के क्षेत्रीय महामंत्री अजय जामवाल जैसे संगठन के दिग्गज पदाधिकारी भी मैदानी स्तर पर चाक-चौबंद तैयारियों में जुटे हैं। इन निकायों में अनूपपुर, बड़वानी और धार जैसे आदिवासी जिले भी शामिल हैं। प्रदेश में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले आदिवासी अंचलों के इन 19 निकायों के चुनाव में भाजपा जीत सुनिश्चित करने हर संभव जतन कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को आदिवासी बहुल सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इस वजह से इस बार निकायों के तीसरे चरण के नतीजों का मैसेज अगले चुनावों को भी प्रभावित करेगा। इसलिए भाजपा ने अनूपपुर, खंडवा, बड़वानी और धार जिले की नगर परिषद और चुनाव वाली नगर पालिका क्षेत्रों में संगठन के आदिवासी नेताओं की ड्यूटी लगाई है। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री जामवाल भी दो दिन तक इन जिलों में घूमकर मैदानी कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए और संगठन की कसावट पर जोर दिया। पदाधिकारियों के साथ बैठकों में उन्होंने स्पष्ट तौर पर यही संदेश दिया कि राघोगढ़ की विजयनगर, ओंकारेश्वर, बड़वानी, सेंधवा, धार के मनावर, पीथमपुर और पानसेमल, हरसूद व राजपुर- अंजड़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में कोई रिस्क नहीं ले सकते। इन निकायों के नतीजे आदिवासी अंचलों के रुझान बताएंगे। इसलिए अगले चुनाव के लिहाज से इन चुनावों में पूरी ताकत लगाएं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा और मुख्यमंत्री चौहान इन क्षेत्रों में एक फेरी लगा चुके हैं। संभाग और जिलों के प्रभारियों के अलावा संबंधित क्षेत्र के मंत्री प्रभारी मंत्रियों की ड्यूटी भी लगाई गई है।
पूर्व के चुनावों में दिखा भाजपा का दम
करीब छह माह पहले हुए नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा का दम देखने को मिल चुका है। भाजपा ने 347 निकायों में से 256 में जीत दर्ज की थी। पर सात बड़े शहरों में हार ने इस उत्साह को थोड़ा फीका कर दिया था। कांग्रेस ने 58 निकाय में बढ़त ली थी। भाजपा ने 16 नगर निगमों में से 9 जीते थे। कांग्रेस के खाते में 5 गए हैं। आम आदमी पार्टी ने 1 और 1 निर्दलीय महापौर बने हैं। पिछली बार उसने शहरों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया था, एक भी सीट नहीं जीतने दी थी। विधानसभा चुनाव से पहले बड़े शहरों में जीत कांग्रेस का कम बैक कहा जा रहा है। नगर पालिका की बात करें तो उसने 76 में से 57 पर कब्जा जमाने का मौका मिला। जो कि पिछली बार से 4 सीट ज्यादा है। कांग्रेस के लिए कोई चेंज नहीं रहा। वह पहले भी 18 नगर पालिकाएं जीती थीं, इस बार भी यही आंकड़ा रहा। निर्दलीयों और तीसरे मोर्चे को इस बार सिर्फ 1 नगर पालिका में बहुमत मिला है। इनमें कई सीटें अभी भी फंसी हुई हैं, क्योंकि अधिकतर जगह निर्दलीय ही निर्णायक रहे हैं। नगर परिषदों में 255 में से 190 पर भाजपा का कब्जा था। यह पिछली बार से 43 ज्यादा है। यह आंकड़ा इतना बड़ा होने की एक वजह 29 नई नगर परिषदें जुडऩा भी है। इनमें भी अधिकतर पर भाजपा की जीत हुई । कांग्रेस नगर परिषदों में 60 से घटकर 35 पर आ चुकी है। निर्दलीय और तीसरे मोर्चे का बहुमत 30 सीटों पर दिखा है, यह पहले 45 हुआ करता था।