परिवहन आरक्षक एक दशक बाद भी नहीं किए गए थे नियमित

परिवहन आरक्षक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग में महिलाओं की जगह भर्ती किए गए पुरुष आरक्षकों  पर शुरु से ही तलवार लटकी हुई थी, जिसकी वजह से ही उनकी तय अवधि निकले के बाद भी उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की गई थी। सरकार की यह आशंका सही साबित हुई और आखिर सरकार को उनकी बर्खास्तगी ही करनी पड़ी। अहम बात है कि इनके साथ ही भर्ती हुए अन्य परिवहन आरक्षकों को नियमित कर दिया गया था। गौरतलब है कि शासन ने 11 साल पहले नियुक्त किए गए 45 परिवहन आरक्षकों को हाल ही में नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई सरकार को उच्च न्यायालय के आदेश पर करनी पड़ी है। मप्र उच्च न्यायालय ने 2014 में ही महिला आरक्षकों की जगह नियुक्त किए गए पुरुष आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश दे दिए थे। लेकिन परिवहन विभाग सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। वहां भी राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने का आदेश मिला। जिसके बाद विभाग ने नियुक्तियां निरस्त कर दी हैं। 13 सितंबर को ग्वालियर उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान परिवहन विभाग को 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश प्रस्तुत करना था, लेकिन न्यायालय में सुनवाई ही नहीं हुई। ऐसे में अगली सुनवाई के दौरान पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।परिवहन विभाग के अधिकारियों ने 45 आरक्षकों की बर्खास्तगी का मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी ला दिया है। क्योंकि इन आरक्षकों की नियुक्ति 2013 में भाजपा की सरकार के समय में ही हुई थी। फिलहाल परिवहन विभाग उच्च न्यायालय में बर्खास्तगी का आदेश प्रस्तुत करने से पहले कोई तरकीब निकालने में जुटा है। जिससे बिना शोर- शराबे के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन हो जाए।
यह है मामला
बर्खास्त आरक्षक 11 साल पहले वर्ष 2013 में नियुक्त किए गए थे। इनमें से 45 परिवहन आरक्षकों को बर्खास्तगी के आदेश दिए गए हैं।  इन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा परिवहन विभाग ने  व्यापमं से आयोजित कराई थी। इसके महिला आरक्षकों के 100 पदों में से 53 पर पुरुष आरक्षकों को नियुक्ति दे दी गई थी। इस मामले में ग्वालियर निवासी हिमाद्री राजे ने उच्च न्यायालय की शरण ली हुई है।  ग्वालियर उच्च न्यायालय ने नियुक्ति निरस्त करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ परिवहन विभाग सर्वोच्च न्यायालय गया था। वहां पर सरकार की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाए।
खोजता जा रहा है रास्ता
न्यायालय के आदेश के परिपालन में नियुक्तियां निरस्त कर दी हैं। लेकिन नियुक्तियां निरस्त होने के बाद प्रभावित उम्मीदवार फिर से न्यायालय की शरण में जाएंगे। इससे बचने के लिए परिवहन मुख्यालय के अधिकारी कैवियट लगाने को तैयार नहीं है। इसके पीछे बर्खास्त परिवहन आरक्षकों को राहत पहुंचाने की मंशा है। परिवहन विभाग महिला आरक्षकों के पदों पर नियुक्त किए गए पुरुष आरक्षकों को सामान्य रिक्त पदों पर नियुक्त करने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन मौजूदा स्थिति में सामान्य पद खाली ही नहीं है। वहीं दूसरी ओर परिवहन मुख्यालय के अधिकारियों ने अलग कैडर बनाने का सुझाव दिया था।

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