मध्यप्रदेश में किन्नरों को मिलेगी सरकारी योजनाओं में भागीदारी

सरकारी योजनाओं
  • सुशासन संस्थान ने नीति बनाकर सामाजिक न्याय विभाग को भेजा

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    मप्र में अब किन्नर समाज भी मुख्यधारा में सक्रिय होगा। किन्नरों को सरकारी योजनाओं में भागीदार बनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग ने  उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का प्रारूप नियम प्रकाशित कर दिया है। इसके साथ ही प्रदेश में 30 हजार से अधिक किन्नरों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कवायद शुरू हो गई है।  जानकारी के अनुसार सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग ने उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का सरंक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत किन्नरों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही स्कूल और कॉलेज में समान रूप से पढ़ने का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा अस्पतालों में उनके लिए अलग से वार्ड तैयार किए जाएंगे। सुरक्षा के भी पूरे उपाय होंगे और हर सरकारी योजनाओं से जोड़ने जागरूकता अभियान चलेगा।
    सुविधाओं के लिए जागरूकता अभियान चलेगा
    किन्नरों को मुख्यधारा में लाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र और चिकित्सा शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन किए जाएंगे। अलग से आश्रम और अल्पावास गृह भी होंगे। एक समिति बनेगी जो किन्नरों को स्कूल या कॉलेज में धमकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। आश्रयों, अल्पावास गृहों और चिकित्सालयों में पुरुष व महिलाओं के लिए अलग वार्ड बनेंगे।
     किन्नरों को मिलेंगे पहचान पत्र
    विभाग ने नियम के अनुसार लोगों से एक माह के भीतर दावे-आपत्तियां मंगाई हैं। फिलहाल अभी तक कोई भी आपत्ति नहीं आने की सूचना है। प्रारूप नियम के अनुसार राज्य सरकार किन्नरों के पहचान पत्र जारी करेगी। पहचान पत्र 30 दिन में जारी किए जाएंगे। नियमों के प्रकाशन के बाद सरकार किन्नरों के लिए नीति सामने लाएगी। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान ने नीति बनाकर सामाजिक न्याय विभाग को सौंप भी दी है। अन्य कई राज्यों की तरह प्रदेश में भी राज्य उभयलिंगी बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के मंत्री होंगे। इसमें दो दर्जन से अधिक विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सदस्य बनाए जाएंगे। किन्नर समुदाय से पांच प्रतिनिधि भी रखे जाएंगे और किन्नरों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे दो समाजसेवी भी सदस्य बनेंगे। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला उभयलिंगी कल्याण बोर्ड का गठन होगा।
    भेदभाव दूर करने उठाए जाएंगे जरूरी कदम
    किसी सरकारी अथवा निजी संगठन, शैक्षणिक संस्था में भेदभाव बंद करने और कब्रिस्तानों सहित सामाजिक और सार्वजनिक स्थानों में जाने के अधिकार होंगे। ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस सीरो-सर्विलांस सेंटर और चिकित्सालयों में अलग से वार्ड और प्रतिष्ठानों में शौचालय बनाए जाएंगे। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक परिवहन, जन जीवन में भागीदारी, खेलकूद, अवकाश और मनोरंजन तथा लोक अथवा निजी पद धारण करने के अवसर सहित किसी सरकारी अथवा निजी संगठन अथवा प्रतिष्ठान में भेदभाव खत्म करने के उपाय बनाए जाएंगे। प्रावधान किया जा रहा है कि प्रत्येक प्रतिष्ठानों, भर्ती, पदोन्नति और अन्य संबंधित मामलों सहित रोजगार से संबंधित किसी भी मामले में किसी भी किन्नर के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

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