- मानसून सत्र के बाद ही तबादलों से हटेगा प्रतिबंध
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अधिकारी-कर्मचारी तबादलों पर से प्रतिबंध हटने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे उपयुक्त जगह पर अपना तबादला करा सकें। लेकिन उनकी राह में मंत्रियों का प्रभार रोड़ा बन रहा है। दरअसल, अभी तक सरकार ने मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं सौंपा है। ऐसे में सरकार तबादलों पर से प्रतिबंध कैसे हटा सकती है। क्योंकि जिलों में मंत्रियों के अनुमोदन पर ही तबादले होते हैं। ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा के मॉनसून सत्र के बाद ही तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में अमूमन मई-जून में कर्मचारियों के तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया जाता है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी होने से सरकार नई तबादला नीति को मंजूरी नहीं दे पाई। छह जून को आचार संहिता हट गई, लेकिन तबादलों के लिए कर्मचारियों को अभी इंतजार करना होगा। इसकी वजह मंत्रियों को जिलों का प्रभारी नहीं दिया जाना है। मप्र सरकार की तबादला नीति के मुताबिक जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से जिला संवर्ग के कर्मचारी और राज्य संवर्ग के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के तबादले किए जाते हैं। ऐसे में मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपे जाने के बाद ही नई तबादला नीति को मंजूरी मिलने के आसार है।
ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य
तत्कालीन शिवराज कैबिनेट ने 2 अगस्त, 2022 को स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दी थी। नई ट्रांसफर पॉलिसी नीति 2023-24 से लागू की जाना थी। इस ट्रांसफर पॉलिसी में शिक्षकों के स्थानातंरण के संबंध में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं। इस नीति के तहत शिक्षा विभाग से जुड़े सभी तरह के तबादले की प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी किए जाने का प्रावधान है। दो साल बीत जाने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं कर पाया है। इस साल भी अब तक शिक्षकों के तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। नई ट्रांसफर पॉलिसी में प्रावधान है कि तबादले के लिए पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा। पहले प्रशासनिक स्थानांतरण और फिर स्वैच्छिक स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जाएगी। नए नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में कम से कम तीन साल और अपने पूरे सेवाकाल के कम से कम 10 साल काम करना होगा। 10 वर्ष या इससे अधिक अवधि से एक ही संस्था विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों का ग्रामीण क्षेत्रों के उन स्कूलों में तबादला किया जाएगा, जहां शिक्षक नहीं हैं या कम शिक्षक हैं। ऐसे शिक्षक जिन्हें रिटायर होने में तीन साल बचे हैं या जिन्हें गभीर बीमारी है या दिव्यांग हैं, उन्हें इससे मुक्त रखा जाएगा। शिक्षकों को निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ तैनात नहीं किया जाएगा। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सीएम राइज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे। प्राचार्य, सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे, लेकिन उनका निपटारा ऑफलाइन भी किया जा सकेगा। रिलीविंग और ज्वाइनिंग की कार्रवाई ऑनलाइन होगी। एक बार अपनी पसंद की पोस्टिंग लेने के कम से कम तीन साल तक फिर दोबारा तबादला नहीं हो सकेगा, सिर्फ विशेष परिस्थिति में छूट रहेगी।
अगले माह सौंपा जा सकता है प्रभार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रियों को जुलाई में जिलों का प्रभार सौंपा जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हाल में 15 अगस्त से पहले मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने के संकेत दे चुके हैं। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार तबादला नीति घोषित कर तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। वैसे भी प्रशासनिक आवश्यकता या शिकायत के आधार पर तबादले मुख्यमंत्री समन्वय के माध्यम से अभी भी हो रहे हैं। हालांकि इनकी संख्या बहुत कम है। प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मनीष रस्तोगी का कहना है कि कर्मचारियों के तबादलों के संबंध में निर्णय सरकार को लेना है। उल्लेखनय है कि पिछले साल सरकार ने 15 जून से तबादलों से प्रतिबंध हटाया था। 15 से 30 जून तक तबादले किए गए थे। तबादला नीति के मुताबिक जिलों में तबादले का अधिकार प्रभारी मंत्री को दिया गया था। प्रदेश स्तरीय तबादले यानी एक जिले से दूसरे जिले के लिए विभाग के मंत्री की मंजूरी जरूरी से, जबकि प्रथम श्रेणी के अफसरों के तबादले मुख्यमंत्री की स्वीकृति से किए गए थे। वर्ष 2021 में एक मई से तबादलों से प्रतिबंध हटाया गया था। उम्र में 11 जून को योगी कैबिनेट नई तबादला नीति को मंजूरी दे चुकी है। वहां 30 जून तक कर्मचारियों के तबादले किए जा सकेंगे।