- सरकार ने किया प्रोजेक्ट तैयार
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में जब चंबल के बीहड़ों की बात होती है तो लोगों के मन में डर और उसकी कहानी आंखों के सामने आ जाती है। जिस चंबल के बीहड़ों से लोग थरथर कांपते थे, जहां खूंखार डकैत दिनदहाड़े लूट, अपहरण और हत्या की वारदात को अंजाम देते थे, अब उन्हीं खूंखार डकैतों के बसेरों का कायाकल्प किया जाएगा। लोगों की सोच को बदलने के लिए सरकार ने नई पहल की शुरुआत की ह,ै ताकि यहां आने वाले लोग चंबल के बीहड़ों की पहचान अपने जहन में सकारात्मक रखें। इसके लिए मुरैना से लेकर भिंड और श्योपुर तक चंबल नदी के किनारे 180 किलोमीटर क्षेत्र में फैले बीहड़ में सैलानियों के लिए रेत पर काटेज बनाए जाएंगे। जहां से वह चंबल नदी में पाए जाने वाले डाल्फिन, घडिय़ाल, मगरमच्छ जैसे जलीय जीवों व इंडियन स्कीमर जैसे पक्षियों को निहार सकेंगे। चंबल के बीहड़ों को अब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाकर नई पहचान दिलाने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन ने बीहड़ सफारी नाम से प्रोजेक्ट बनाया है। सबलगढ़ के पास रहूघाट पर जहां चंबल नदी झरना बनकर चट्टानों से होकर बहती है, इस जगह का नजारा ऋषिकेश की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। खास बात यह होगी कि आत्मसमर्पण कर चुके डकैतों व उनके स्वजन से मुलाकात कर सैलानी दस्यु प्रभावित उन दिनों के किस्से और उनके जीवन से रूबरू हो सकेंगे। बीहड़ सफारी की शुरुआत सात मई से मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील के कढ़ावना गांव से होगी।
यहीं होती थी डाके की प्लानिंग
चंबल नदी के किनारे गहरी उबड़-खाबड़ खाईओं को बीहड़ के नाम से जाना जाता है। चंबल के बीहड़ खूंखार डाकुओं की शरण स्थली थे। 70 के दशक में डाकू पान सिंह तोमर, मलखान सिंह, पुतलीबाई, मुन्नी बाई, फूलन देवी, माखन सिंह और सुल्तान सिंह जैसे खूंखार डकैत इन्हीं बीहड़ों में रहते थे। यहीं से इन डाकुओं ने अपने हक की लड़ाई के लिए बगावत शुरू की और यहीं वे लूट, हत्या, अपहरण जैसी संगीन घटनाओं को अंजाम देने की प्लानिंग करते थे। चंबल के बीहड़ों के बारे में सोच बदलने के लिए जिला प्रशासन अनोखी पहल की शुरुआत कर रहा है। यहां पर प्रशासन बीहड़ सफारी तैयार कर रहा है। इस सफारी के माध्यम से देश भर के पर्यटकों को चंबल के बीहड़ में घुमाया जाएगा ताकि वे इनके बारे में जान सकें।
बीहड़ करेंगे रोमांचित
अक्टूबर में प्रस्तावित बीहड़ महोत्सव तक यह सफारी पूरी तरह आकार ले लेगी। बीहड़ सफारी के लिए अभी बीहड़ में 10 किलोमीटर लंबा ट्रैक तैयार किया जा चुका है, जहां से सात मई को पर्यटकों को मोटरबोट से चंबल में रेतीले टापू और बीहड़ की सैर कराई जाएगी। सबलगढ़ के कढ़ावना के पास ही भर्रा व रहू घाट हैं, जहां झरने व चट्टानों के बीच पैरासिलिंग की सुविधा भी शुरू की जाएगी। बीहड़ों के ऊंचे-नीचे, घुमावदार रास्ते चंबल सफारी को रोमांचित करेंगे। भिंड-मुरैना के डकैतों के किस्से और कहानियां देश ही दुनिया के कई हिस्सों तक पहुंची हैं, इनकी हकीकत क्या है, उस समय क्या हालात थे, इसके बारे में आत्मसमर्पण चुके डकैत ही सैलानियों के बीच अपनी जिंदगी के किस्से बताएंगे। श्योपुर निवासी पूर्व दस्यु रमेश सिकरवार और लहार (भिंड) निवासी पंचम सिंह तथा मुरैना के विख्यात पान सिंह के स्वजन आदि यहां मौजूद रहेंगे। कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया कि जहां रेत का अवैध उत्खनन होता था, वहां बीहड़ सफारी रोजगार मुहैया कराएगी। पर्यटकों को यहां का इतिहास व महत्व की चीजें बताने के लिए स्थानीय युवाओं को ही गाइड बनाया जाएगा। पर्यटकों के लिए डकैतों की ड्रेस व नकली बंदूकें रहेंगी, जिसे पहनकर पर्यटक बीहड़ में फोटो सेशन करा सकते हैं। एडवेंचर से भरपूर रास्ते में सन राइज व सन सेट प्वाइंट बनाए जाएंगे। चंबल किनारे काटेज के अलावा ग्रामीणों के घरों को होम स्टे की तरह विकसित करवाया जाएगा, जहां पर्यटक स्थानीय खान पान, संगीत व संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। पर्यटकों की सुरक्षा के लिए हर पर्यटन केंद्र पर पुलिस की तैनाती रहेगी।