ई-फैक्टर कंपनी पर पर्यटन विभाग की कृपा

पर्यटन विभाग
  • बिना टेंडर खोले और  बगैर वर्क ऑर्डर के ही करा दिए करोड़ों का काम…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पांच दिवसीय मांडू उत्सव भले ही समाप्त हो गया हो किंतु इवेंट कंपनी से जुड़े विवाद समाप्त नहीं हो रहे है। दरअसल, मांडू उत्सव में ई-फैक्टर कंपनी पर पर्यटन विभाग ने जमकर कृपा बरसा दी। बिना टेंडर खोले और वर्क ऑर्डर के ही करोड़ों का काम करा लिया। अनियमितता की यह कहानी ई-टेंडर की वेबसाइट पर नजर आ रही है। मामला सामने आया तो विभागीय अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
गौरतलब है कि मांडू उत्सव कराने के लिए पर्यटन विभाग ने टेंडर जारी किए थे। उत्सव के लिए विभाग ने 6 दिसंबर को ऑनलाइन टेंडर जारी कर 15 दिसंबर भरने की तारीख तय की थी। टेंडर प्रक्रिया में ई-फैक्टर और लल्लू जी एंड संस ने हिस्सा लिया। टेंडर में एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 25 प्रतिशत अंक प्रेजेंटेशन के दिए थे। प्रेजेंटेशन में ई-फैक्टर कंपनी को 50 प्रतिशत अंक दिए। दोनों कंपनियों ने बिड जमा की। विभाग ने ऑनलाइन कागजात ओपन किए, लेकिन दूसरी में यह ओपनिंग प्रोसेस बता रहा है। यानी, कंपनी को वर्क आर्डर जारी किए बिना 4 करोड़ से अधिक का काम दे दिया गया।  फायनेंशियल बिड खुलने की तारीख ऑनलाइन में 16 जनवरी बताई जा रही है। 19 दिसंबर को प्रजेंटेशन और वित्तीय बिड खुली। सूत्र बताते हैं, कंपनी से सीधा जुड़ाव भाजपा के एक मंत्री का है। इसलिए कंपनी को कई रियायतें दी गई।
नियमों का किया उल्लंघन
किसी भी सरकारी काम के लिए एक लाख रुपए का काम करने के लिए भी टेंडर प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। टेंडर मिला तो बकायदा वर्क आॅर्डर जारी होते हैं। इसके बाद काम कराया जाता है। लेकिन मांडू उत्सव में ई-फैक्टर कंपनी पर पर्यटन विभाग ने जमकर कृपा बरसा दी। बिना टेंडर खोले और वर्क आॅर्डर के ही करोड़ों का काम करा लिया। अनियमितता की यह कहानी ई-टेंडर की वेबसाइट पर नजर आ रही है। मामला सामने आया तो विभागीय अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पर्यटन निगम के डिप्टी डायरेक्टर युवराज पटोले कहते हैं कि मांडू उत्सव समाप्त गया है। उसका चैप्टर क्लोज हो गया है। पूरा काम नियम से हुआ है। वर्क आर्डर कब जारी हुआ, ये अभी बता नहीं सकता। वहीं ई-फैक्टर कंपनी के राघवेंद्र सिंह का कहना है कि मांडू उत्सव तो हो गया। विभाग ने पूछा था कि कोटेशन पर काम करने को तैयार हो तो हमने हां कर दिया।  इसके बाद एग्रीमेंट हो गया।  एग्रीमेंट के बाद वर्क आर्डर की क्या जरूरत है।
अभी तक तकनीकी बिड नहीं खुली
यह अनोखी शर्त मप्र पर्यटन निगम ने रखने का दुस्साहस किया अन्यथा कभी भी शासकीय स्तर पर ऐसी अनोखी शर्त नहीं रखी जाती लेकिन, विभाग के कर्ताधर्ताओं को शासन के नियम से क्या लेना देना उन्हें तो अपनी चहेती ई फैक्टर को लाभ जो पहुंचाना था। इस गड़बड़झाले के लिए जिम्मेदारों ने सभी हदें पार कर दीं। मांडू उत्सव 11 जनवरी को समाप्त हो गया, लेकिन 13 जनवरी तक इस आयोजन के लिए तकनीकी बिड, ही नहीं खुली। सूत्र बताते हैं, वित्तीय बिड नहीं खुलने पर टेंडर प्रक्रिया अपूर्ण मानी जाती है। पर्यटन विभाग ने टेंडर फॉर्म की कीमत 5900 रुपए रखी थी। प्रोसेसिंग फीस 295 रुपए यानी कंपनी को कुल 6195 रुपए जमा कराने थे। ईएमडी भी दो लाख रुपए भरी गई है।
70 फीसदी राशि कैसे दी?
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब टेंडर प्रक्रिया ही नहीं पूरी अपनाई गई तो इवेंट कंपनी को 70 प्रतिशत राशि कैसे दे दी गई। इन अधिकरियों के मंसूबे इतने मजबूत हंै कि विभाग की मंत्री उषा ठाकुर को भी गुमराह करने से नहीं हिचके। उन्हें भी विभाग के इस भारी आर्थिक अनियमितता की खबर नहीं लगने दी। वे जब उद्घाटन करने मंत्री आई तो वहां के लोगों ने कंपनी की हठधर्मिता और मांडू उत्सव की सार्थकता पर सवाल उठाए थे। जिस पर मंत्री ने यहां तक पत्रकारों से चर्चा में कहा था कि मैंने इवेंट कंपनी को डाट पिलाई है और वो यहां तक बोल गई थी कि छह दिन पहले ही कंपनी को आर्डर मिला।  इस लिए परेशानी आ रही है। अगली बार हम टेंडर प्रक्रिया छह महीने पहले कर देंगे। लेकिन मंत्री को यह भी नहीं मालूम है कि टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं की गर्ई और विभाग ने अपनी चहेती कंपनी को काम दे दिया।

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