- काम के बोझ से दबे आईएएस अफसर
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक बार फिर से नौकरशाहों की कमी का असर दिखने लगा है। आलम यह है कि प्रदेश में तय कैडर से कम आईएएस, आईपीएस और आईएफएस पदस्थ है। खासकर आईएएस अफसरों की कमी का असर देखा जा रहा है। इसका असर यह है कि प्रदेश के कई आईएएस तीन-तीन विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस कारण काम के बोझ से आईएएस दबे पड़े हैं। हालांकि ऐसा ही कुछ हाल आईपीएस और आईएफएस का भी है।
कार्मिक मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 1060 अफसरों की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 842 ही काम कर रहे हैं। इनमें आईएएस के 459 में 361, आईपीएस के 305 में से 249 और आईएफएस के 296 में से 251 अफसर हैं। अभी भी 199 अफसरों की दरकार मप्र को है। अगर केवल आईएएस की बात करें तो, आठ साल बाद आईएएस अधिकारियों की सबसे ज्यादा कमी है। कुल 459 पद (सीधी भर्ती और पदोन्नति वाले) मंजूर हैं, लेकिन 361 लोग ही हैं। 98 अफसरों की कमी है जो 2014-15 के बाद सबसे कम हैं। तब 102 अफसरों की कमी थी। आईएएस अफसरों की कमी का कारण यह है कि 1991 के बाद 2006 तक केंद्र से बमुश्किल 4-5 अफसर ही मिले। जबकि देखा जाए तो वर्ष 2012-13 से लेकर 2022-23 तक 210 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं।
इन पर कार्यभार अधिक
आईएएस की कमी के चलते कई अफसरों पर कार्यभार बहुत अधिक है। कई अफसरों को एक से अधिक पद भी सम्भालने पड़ रहे हैं। इसका असर सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, समय पर पूरा करने, बेहतर प्रदर्शन पर भी पड़ता है। जनता को सरकारी तंत्र का लाभ पूरा नहीं मिल पाता है। अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया वन के साथ उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण का जिम्मा संभाल रहे हैं। अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा गृह के साथ धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का काम देख रहे हैं। अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव रेवेन्यू बोर्ड के साथ तकनीकी शिक्षा एवं कौशल और कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग संभाल रहे हैं। प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) के साथ खेल एवं युवक कल्याण विभाग, प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी वाणिज्यिक कर, आबकारी के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी राजस्व और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ लोक सेवा प्रबंधन, प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ खनिज, प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह पीडब्ल्यूडी के साथ ट्रांसपोर्ट और सचिव एम सेलवेंद्रन पंजीयन के साथ कृषि संचालक का कार्यभार संभाल रहे हैं। वहीं इस समय प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव मछुआ विभाग, सचिन सिन्हा सिर्फ श्रम और संजीव झा अकेला आनंद विभाग देख रहे हैं, जिसका सालाना बजट ही बमुश्किल 5 करोड़ होता है। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि इस स्थिति में सुधार जल्द नहीं होने वाला है। इसके भविष्य में भारी नुकसान है। असल में यह प्रमोशन की चाह का मामला है। ऊपर बैठे अफसर समय पर प्रमोशन लेते हैं और इस चक्कर में पद क्रिएट किए जाते हैं।
एक अधिकारी के जिम्मे 3-3 विभाग
आईएएस अफसरों की कमी का असर यह देखने को मिल रहा है की अभी कई अफसरों के पास 2-3 विभागों का जिम्मा है। हाल ही में हुए तबादलों में फैज अहमद किदवई को आयुष विभाग का प्रभार दे दिया गया। अब उनके पास जेल, सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग के साथ आयुष भी होगा। यह स्थिति असम-मेघालय कैडर के अफसर प्रतीक हजेला के मूल कैडर में लौटने से बनी। इसी तरह इंदौर कमिश्नर पवन कुमार शर्मा को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण आयुक्त (फील्ड) के साथ श्रम आयुक्त का भी चार्ज दे दिया गया। दूसरी तरफ 2021 में प्रमोशन से 19 एसएएस अफसरों को आईएएस अवॉर्ड होना था, 6 अक्टूबर 2022 को जीएडी ने प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा। डीपीसी की तारीख 27 फरवरी तय हुई, लेकिन डीपीसी नहीं हो पाई। 2022 में प्रमोशन के लिए 8 पद और हो गए। साथ ही कैडर रिव्यू से 6 पद मिलने हैं। समय पर यह हो जाए तो 33 आईएएस मिल सकते थे, जो अब अप्रैल के बाद मिलेंगे।