एक हजार करोड़ का नया कर्ज लिया… दो हजार करोड़ की भी तैयारी

कर्ज

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लिया है और इसके साथ ही अगले दो हफ्ते में एक-एक करोड़ का और नया कर्ज लेने की तैयारी की जा रही है। अगर नए वित्त वर्ष में देखें तों अब तक सवा दो माह में सरकार द्वारा 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। इसी माह दो हजार और नया कर्जा लेते ही इस साल का कर्ज नौ हजार करोड़ हो जाएगा।  सरकार ने अभी एक हजार करोड़ का नया कर्ज आरबीआई के माध्यम से बॉन्ड जारी करके लिया है। अब इसी माह में सरकार 14 और 21 जून को भी 1-1 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है। नए वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह लगातार तीसरा महीना होगा जब सरकार मार्केट से 3000 करोड़ रुपए उठाएगी। इससे पहले अप्रैल और मई में भी पांच बार में बाजार से 3-3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। सरकार द्वारा लगातार लिए जाने वाले कर्ज से लगने लगा है की उसे कर्ज का न समाप्त होने वाला रोग लग गया है। सरकार लगातार कर्ज ले रही है। यह कर्ज कभी बाजार से, कभी नाबार्ड— एनसीडीसी, एलआइसी या बैंक से तो कभी केंद्र सरकार से उठाया जा रहा है। ताज्जुब तो यह है कि ये उधार कब तक और कैसे चुकता किया जाएगा, इसका कोई रोडमैप तैयार नहीं है। हां, इतना जरूर है कि सरकार इस कर्ज से गरीबों को मकान, राशन, शिक्षा, उपचार जैसी कई जरूरतों को पूरा करने का प्रयास भी कर रही है। अधिकृत जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 से 2022 तक के वित्तीय वर्षों में 1.91 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। सरकार के ऊपर मार्च 2021 की स्थिति में दो लाख 53 हजार 335 करोड़ रुपये का ऋण था, जो अब बढ़कर दो लाख 75 हजार करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें बाजार का ऋण सर्वाधिक है। इस मामले में सरकार को कहना है कि नियमों के दायरे में रहते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विकास परियोजनाओं के लिए ऋण लेती है और उसके लिए बजट में प्रविधान भी किए जाते हैं। जानकार कहते हैं कि बेशक गेहूं की कम खरीद से प्रदेश पर कर्ज का बोझ कम होगा। लेकिन बिजली समेत दूसरे मदों में दी गई सब्सिडी से सरकार पर करीब 8-10 हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ने वाला है। सरकार के अनुसार 2022-23 में वह 51 हजार 829 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यानी अब हर महीने लगभग 4,300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिए जाते हैं, उस पर प्रतिवर्ष ब्याज भी देना होता है। वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर 11,045 करोड़ रुपए ब्याज दिया था। बढ़ते कर्ज की वजह से प्रदेश का हर शख्स पर 41 हजार का कर्जदार हो चुका  है।
अब हर माह 400 करोड़ रु. ज्यादा कर्ज लेगी सरकार
मध्यप्रदेश सरकार ने 2020-21 में 52 हजार 413 करोड़ रुपए, 2021-22 में 40 हजार 082 करोड़ रुपए का शुद्ध कर्ज लिया। यानी एवरेज हर महीने करीब 3 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। सरकार के अनुसार 2022-23 में वह 51 हजार 829 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यानी अब हर महीने लगभग 4,300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है।
22 हजार करोड़ सिर्फ ब्याज
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिए जाते हैं, उस पर प्रतिवर्ष ब्याज भी देना होता है। वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर 11,045 करोड़ रुपए ब्याज दिया था। 2020-21 में सरकार द्वारा 15,917 करोड़ व 2021-22 में 20,040 करोड़ रुपए ब्याज दिया जा रहा है। सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22,166 करोड़ रुपए केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी।
पिछले तीन सालों में राज्य सरकार की उधारी
2018-19 20,496
2019-20 22,371
2020-21 21,258
(राशि करोड़ रुपए में।
स्रोत: आरबीआई)
5 सालों में 74 हजार करोड़ ब्याज चुकाया
मध्यप्रदेश पर उसके सालाना बजट से भी ज्यादा कर्ज है। यानी स्टेट की स्थिति उस घर की तरह हो गई है, जिसकी आय कम और कर्जा ज्यादा है। विशेषज्ञ हैरान हैं कि कर्ज में डूबी सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन उठा लिया है। यह अब तक लिए गए कुल लोन का एक तिहाई है। इसका असर यह हुआ कि मप्र के हर व्यक्ति पर पांच साल में ही कर्ज बढ़कर डबल हो गया। अगर कर्ज की यही रफ्तार बनी रही तो अगले साल हर व्यक्ति पर 47 हजार रुपए तक का कर्ज हो जाएगा। 2017 तक यह कर्ज 21 हजार रुपए था। अगर डेढ़ दशक पहले की बात की जाए तो दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन के आखिरी साल यानी 2003-04 में प्रदेश पर 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था जो प्रति व्यक्ति 3300 रुपए आता है।
मध्यप्रदेश पर उसके सालाना बजट से भी ज्यादा कर्ज है। यानी स्टेट की स्थिति उस घर की तरह हो गई है, जिसकी आय कम और कर्जा ज्यादा है। विशेषज्ञ हैरान हैं कि कर्ज में डूबी सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन उठा लिया है। यह अब तक लिए गए कुल लोन का एक तिहाई है। इसका असर यह हुआ कि मप्र के हर व्यक्ति पर पांच साल में ही कर्ज बढ़कर डबल हो गया। अगर कर्ज की यही रफ्तार बनी रही तो अगले साल हर व्यक्ति पर 47 हजार रुपए तक का कर्ज हो जाएगा। 2017 तक यह कर्ज 21 हजार रुपए था। अगर डेढ़ दशक पहले की बात की जाए तो दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन के आखिरी साल यानी 2003-04 में प्रदेश पर 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था जो प्रति व्यक्ति 3300 रुपए आता है।

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