- कृषि विकास समिति की रिपोर्ट में उद्यानिकी विभाग के अफसरों की लापरवाही आई सामने
भोपाल/विनोद उपाध्याय / बिच्छू डॉट कॉम । मप्र में सरकार उद्यानिकी फसलों का बढ़ावा देने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों के लिए उद्यानिकी फसलों की खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। दरअसल उद्यानिकी विभाग के अधिकारी न तो किसानों का सब्सिडी दे पा रहे हैं और न ही फंड खर्च कर पा रहे हैं। यह खुलासा कृषि विकास समिति ने अपनी रिपोर्ट 2021-22 में किया है। यह रिपोर्ट हाल ही विधानसभा पटल पर रखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र में उद्यानिकी फसलों जैसे केला, आम, आंवला, संतरा, अनार, मसालों में धनिया, लहसुन, मिर्च और फूलों की खेती के लिए किसानों को मिलने वाली सब्सिडी का सौ फीसदी लाभ नहीं मिल रहा है। वैसे केंद्र व राज्य की दो दर्जन से ज्यादा योजनाएं संचालित हैं, लेकिन किसानों को अधिकांश योजनाओं की जानकारी ही नहीं है।
उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य
जानकारी के अनुसार प्रदेश में आम, संतरा, अमरुद, आंवला, पपीता, केला, अनार, धनिया, अदरक, हल्दी, मिर्च, लहसुन सहित फूलों की खेती जैसे कट फ्लॉवर, बल्बस तथा लूज फ्लॉवर का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य सरकार द्वारा रखा गया है। इन फसलों की खेती करने वाले करीब 5000 किसानों को सरकार द्वारा सब्सिडी देने का टारगेट तय किया गया था, लेकिन फायदा 400 को भी नहीं हुआ है।
पांच साल में न उत्पादन बढ़ा, न ही आय बढ़ी
सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य पांच साल पहले निर्धारित किया था, लेकिन आज तक न तो फसलों का उत्पादन बढ़ा और न ही आय बढ़ी। इसके पीछे उद्यानिकी विभाग के अफसरों की लापरवाही सबसे बड़ी वजह बनी है। विदिशा निवासी विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने 11 एकड़ में मसाला उत्पादन से जुड़ी फसलें लगाई थीं। सरकारी सहायता यानि सब्सिडी लेने के लिए आवेदन भी किया, लेकिन मेरी फसल का उत्पादन बढ़ा न आय में दोगुनी वृद्धि हुई। सरकार से सब्सीडी भी नहीं मिली। किसान अनूप सिंह ने बताया कि उन्हें उद्यानिकी से संबंधित किसी योजना की जानकारी ही नहीं है। यह हाल अकेले किसान विनोद और अनूप के साथ नहीं है बल्कि प्रदेश के हजारों किसान पांच साल में अपना उत्पादन नहीं बढ़ा पाए और न ही आय में बढ़ोत्तरी हुई, जबकि बढ़ती महंगाई से उनकी कमर और टूट रही है।
फंड का उपयोग की नहीं हो पाया
एक तरफ किसान सब्सिडी की आस लगाए बैठे हैं वहीं , दूसरी तरफ उद्यानिकी विभाग के भी आंकड़े बताते हैं कि मेन में एकीकृत बागवानी विकास को लेकर केंद्र से मिलने वाले फंड का उपयोग उद्यानिकी विभाग नहीं कर पा रहा है। इसके तहत प्रदेश में आम, संतरा, अमरुद, आंवला, पपीता, केला, अनार, धनिया, अदरक, हल्दी, मिर्च, लहसुन सहित पुष्प की खेती जैसे कट फ्लॉवर, बल्बस तथा लूज फ्लॉवर का उत्पादन दोगुना किया जाना है। इसके लिए केंद्र सरकार से 60 फीसदी और राज्य से 40 फीसदी अंश राशि खर्च की जाती है। किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए बीते 5 सालों में 337 करोड़ रुपए का आवंटन मप्र को मिला था, लेकिन इसमें से उद्यानिकी विभाग सिर्फ 169 करोड़ रुपए ही खर्च कर सका है। यदि टारगेट के हिसाब से किसानों को लाभ दिया जाता तो हर साल 4 से 5 हजार किसानों को फायदा मिलता।
जानकारी के अभाव में नहीं मिला लाभ
कृषि विकास समिति ने अफसरों की लापरवाही को परिलक्षित करते हुए कई मुददों पर सवाल उठाए हैं। हितग्राहियों के लिए योजनाओं की जानकारी समय पर नहीं दिए जाने के कारण उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, इसके क्या कारण है?, क्या कर्मचारियों, अधिकारियों पर जिम्मेदारी निर्धारित की जाती है? इसके जवाब में कहा गया है कि विभाग में पोर्टल पर कृषक आवेदन की पारदर्शी प्रक्रिया संचालित की जा रही है। इसमें शासकीय कर्मचारियों, अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक हित को प्रभावित करने की कोई भूमिका नहीं रहती। समिति का सवाल था कि हितग्राहियों के लिए प्रचार प्रसार के लिए कौन-कौन से माध्यमों का उपयोग किया जाता है। प्रदेश में तीन साल में विभिन्न योजनाओं पर कितना बजट जारी किया और कितना खर्च किया गया है? जवाब में कहा गया कि विभाग ने विभिन्न योजनाओं के टारगेट और खर्च राशि का हिसाब समिति को बताया। लेकिन जितनी भी योजनाओं की डिटेल दी गई, उनमें शत-प्रतिशत खर्च और किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रतिशत 40 से 50 प्रतिशत ही था।
न प्रशिक्षण मिला, न किसानों को जानकारी
एकीकृत बागवानी विकास के तहत योजना के लिए 40 जिलों में विशेष फोकस किया जाना था। विभाग के अनुसार भोपाल, बैतूल, होशंगाबाद, सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, उज्जैन, देवास, शाजापुर, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, धार, झाबुआ, खरगौन, खंडवा, मंडला, डिंडौरी, बुरहानुपर, बड़वानी, रीवा, सतना, हरदा, राजगढ़, गुना, नीमच, ग्वालियर, छतरपुर, सीहोर, विदिशा, सीधी, अलीराजपुर, सिंगरौली, अशोकनगर, रायसेन, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया तथा आगर-मालवा में किसानों को प्रशिक्षण देकर इन फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाना था। लेकिन न तो किसानों का प्रशिक्षण मिला और न ही उन्हें योजना के बारे में जानकारी है। किसानों का कहना है कि उद्यानिकी विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास के तहत फसलों का उत्पादन बढ़ाने और सब्सिडी दिए जाने की हमें कोई जानकारी नहीं है। कृषि विकास समिति के सभापति बहादुरसिंह चौहान का कहना है कि समिति चाहती है कि इसका लाभ किसानों को देने ठोस रणनीति बनाई जाए। उद्यानिकी फसलों की नवीन तकनीक क से कृषकों को समय समय पर अवगत कराया जाए। फल एवं सब्जी प्रशिक्षण केंद्रों में वृद्धि की जाए।
21/09/2022
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