भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दो साल पहले प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से गायब हुई बाघिन मिल ही गई है। वह इस पेंच टाइगर रिजर्व से निकल कर छत्तीसगढ़ पहुंच गई थी। दो साल के लंबे समय तक तलाश के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था , जिससे बन महकमा मानने लगा था कि शायद उसकी मौत हो चुकी है। यह पहला मौका है जब किसी बाघिन द्वारा अपना नया ठिकाना बनाने के लिए इतनी लंबी दूरी तय की गई हो। वह जहां मिली है उसकी पेंच से दूरी करीब चार सौ किलोमीटर है। वहां पहुंचने के बाद उसने अपना नया ठिकाना बना लिया है, जिसकी वजह से वह जाने के बाद लौटी नहीं है। बाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के डेटा से इस बधिन की पहचान तीन दिन पहले हुई है।
प्रदेश के जंगलों में पिछली गणना के मुताबिक 785 टाइगर हैं। प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में क्षमता से अधिक टाइगर हो गए हैं। ऐसे में टाइगर टेरेटरी की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने लगे हैं, लेकिन पेंच टाइगर रिजर्व की एक बाघिन ने तो वन्यजीव विशेषज्ञों को अचरज में डाल दिया है। बाघिन करीब 400 किमी का सफर तय करके छत्तीसगढ़ तक पहुंच पहुंच गई। पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन का मानना है कि बाघिन पेंच से कान्हा टाइगर रिजर्व के रास्ते छत्तीसगढ़ के अचानकमार अभयारण्य तक पहुंची है। यह भी माना जा रहा है कि इस बाघिन ने बारिश के दौरान वह सफर तय किया है। इसलिए बाधिन पेंच टाइगर रिजर्व के ट्रैप कैमरे में नहीं आई। बारिश के समय अभयारण्य में लगे कैमरे खराब हो जाते हैं।
ऐसे हुई बाघिन की पहचान
छत्तीसगढ़ के अचानकमार अभयारण्य में करीब आधा दर्जन बाघ हैं। ऐसे में जब छत्तीसगढ़ अभयारण्य में बीते कुछ दिनों में जब नई बाघिन नजर आई, तो इसकी पहचान के लिए अभयारण्य ने अपने डेटा से मिलान किया, तो यह बाघिन वहां की नहीं निकली। इसके बाद उसका फोटो वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को भेजा गया। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टाइगर सेल ने जब डेटा की जांच की तो पता चला कि इस बाघिन का फोटो पेंच टाइगर रिजर्व में साल 2022 में खींचा गया था। इससे पता चला कि यह बाघिन पेच रिजर्व पेंज से 2022-23 3 के बीच अचानकमार अभयारण्य पहुंच गई।
बाघों के लिए कॉरिडोर की जरूरत
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि अब बाधों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर की जरूरत है। बाघ खुद कॉरिडोर बनाने लगे हैं। प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व को एक-दूसरे से जोडऩे के लिए कॉरिडोर बनाए जाने की तैयारी भी की जा रही है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की रिपोर्ट स्टेटस ऑफ टाइगर्स, को-प्रीडेटर्स एंड पे इन में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए क्षतिग्रस्त बाघ कॉरिडोर को ठीक करने का सुझाव दिया था। जिस मार्ग से होकर बाघिन ने यात्रा की, उन्हीं वनों की सघनता बढ़ाने की बात भी इसमें कही गई है।
26/10/2024
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