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- मप्र में एक साल में 34 बाघों की मौत …
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। टाइगर स्टेट मप्र के टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्कों में जिस तेजी से बाघों की संख्या बढ़ी है, उसी तेजी से उनकी मौत भी हो रही है। इस कारण टाइगर स्टेट मप्र बाघों की मौतगाह बन गया है। जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक मप्र में 34 बाघों की मौत दर्ज की गई है। जबकि यह संख्या कर्नाटक में 15 हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर दर्ज आकड़ों के अनुसार 2023 के पहले सप्ताह में देश में तीन बाघों की मौत हो चुकी हैं। इसमें दो मौतें मप्र में हुई है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के अलग-अलग टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क में मौजूद बाघों को मिलाकर मध्यप्रदेश में करीब 526 बाघ हैं। देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में है, जिसके चलते 2019 से प्रदेश को टाइगर स्टेट का खिताब मिला है, लेकिन हाल ही में जारी एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2022 में टाइगर स्टेट कर्नाटक की तुलना में दोगुने से ज्यादा बाघों की मौत हुई है, जहां कर्नाटक में बीते साल 2022 में महज 15 बाघों की मौत हुई तो वहीं, मध्यप्रदेश में बीते साल 34 बाघों ने जान गंवाई। बड़ी संख्या में बाघों की मौत के बाद अब प्रदेश को भारत के टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
बाघों की मौत बनी रहस्य
देश की बाघ जनगणना के सर्वेक्षण वर्ष में मौतों की सूचना दी गई थी, जिसके परिणाम बाद में 2023 में घोषित किए जाएंगे। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहना है कि मप्र में 34 बाघों की मौत एक रहस्य है। प्रदेश में बाघों की मौत दक्षिणी राज्य की तुलना में अधिक दर्ज की गई है, हालांकि दोनों में 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग समान थी। 2018 की जनगणना के अनुसार कर्नाटक, 524 बाघों का घर है, जबकि भारत के बाघ राज्य के टैग के लिए मध्य प्रदेश (526) के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। कर्नाटक ( 524) से दो अधिक, 526 बाघों का घर पाए जाने के बाद मध्यप्रदेश ने 2018 की बाघ जनगणना में शीर्ष स्थान हासिल किया।
उत्तराखंड 442 बिग कैट्स के साथ तीसरे स्थान पर रहा। पिछली जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाघों की अनुमानित संख्या 2006 में 1411 से बढ़कर 2018 में 2,967 हो गई थी। राष्ट्रीय बाघ जनगणना हर चार साल में एक बार आयोजित की जाती है। वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि नवीनतम अखिल भारतीय बाघ अनुमान (एआईटीई) 2022 में आयोजित किया गया था और इसकी रिपोर्ट इस साल जारी होने वाली है। देश गणना के निष्कर्षों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, यह जानने के लिए कि बाघों की आबादी के मामले में कौन सा राज्य कहां खड़ा है, इस बात का डेटा अब उपलब्ध है कि भारत ने कितने बाघों को खो दिया।
कारणों का उल्लेख नहीं
मध्यप्रदेश में सालाना लगभग 250 शावक पैदा होते हैं, प्रदेश के कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व बाघों के घर हैं। एनटीसीए की वेबसाइट के अनुसार 2022 के दौरान मध्यप्रदेश में दर्ज 34 बाघों में से, सबसे बड़ा नुकसान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को हुआ, जहां 12 महीने की अवधि में नौ बाघों की मौत हुई इसके बाद पेंच (पांच) और कान्हा (चार) का स्थान रहा। मप्र पिछले एक दशक से बाघों की प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत में देश में अग्रणी रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश ने 2022 में 34 बाघों को खो दिया, जबकि टाइगर स्टेट की स्थिति के लिए इसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, कर्नाटक में 15 बाघों की मौत दर्ज हुई। बाघों की मौतों के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया था। बाघ संरक्षण को मजबूत करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एनटीसीए एक वैधानिक निकाय है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष भारत में कुल 117 बाघों की मृत्यु हुई थी।