आउट सोर्सिंग के नाम पर हर साल हो रही तीन अरब की बर्बादी

 बिजली कंपनियां

-बिजली कंपनियों में बैठे आला अफसरों का कंपनी की आय बढ़ाने के बजाय उपभोक्ताओं की जेब काटने पर ध्यान ज्यादा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
 लगातार बड़े घाटे में चलने वाली प्रदेश की बिजली कंपनियां हर साल सिर्फ कमीशन के नाम पर ही तीन अरब रुपए से अधिक का भुगतान करती हैं। कंपनियों में पदस्थ आला अफसरों व सरकार में बैठे लोग अगर चाहें तो हर साल इस रकम की बचत कर उसका उपयोग बेहतर बिजली आपूर्ति में कर सकती हैं। दरअसल इन कंपनियों में बैठे अफसर व कर्मचारी अब इन्हीं आउट सोर्स कर्मचारियों के सहारे ही अपनी नौकरी चला रहे हैं। इसकी वजह से सरकार को नुकसान होने पर भी वे इसके पक्ष में बने रहते हैं। हालत यह है कि इन कंपनियों में बैठे आला अफसर कंपनी की आय बढ़ाने की जगह उपभोक्ताओं की जेब कैसे काटी जाए इस पर ही पूरा ध्यान लगाए रहते हैं। इसकी वजह से लॉइन लॉस कम करने से लेकर बिजली चोरी तक रोकने के प्रयास तक नहीं किए जाते हैं। खास बात यह है कि इन कंपनियों द्वारा ठेके पर आउट सोर्स के माध्यम से रखे गए कर्मचारियों के नाम पर हर साल 1300 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है। इसमें करीब एक चौथाई राशि विभिन्न करों व कमीशन की होती है। खास बात यह है कि अगर इन कंपनियों द्वारा आउट सोर्स के कर्मचारियों की जगह भर्ती कर कर्मचारी रखे जाएं तो 25 फीसद राशि की बचत हो सकती है। यह राशि करीब तीन सौ करोड़ के आसपास होती है। इससे इन कंपनियों का घाटा कम किया जा सकता है। खास बात यह है कि यह रकम इतनी अधिक है कि अगर कंपनियां इनका उपयोग बिजली सुविधाओं में करें तो हर साल करीब आधा सैकड़ा नए बिजली के सब स्टेशनों का भी निर्माण कर सकती है।  प्रदेश में करीब 35 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही हैं। इनमें से करीब पांच हजार अकेले भोपाल में ही कार्यरत हैं। यही नहीं उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने के लिए बनाए गए कॉल सेंटर भी इन्हीं आउटसोर्स कर्मचारियों के हवाले हैं। आउटसोर्स के कर्मचारी होने की वजह से बिजली कंपनियों का भी उन पर दबाव कम रहता है। इसके अलावा इन कर्मचारियों द्वारा कई ऐसे काम जिनसे कंपनियों की आय होती है, उन्हें बाला बाला किया जाता है। इसके एवज में वे उपभोक्ता से पैसा लेकर अपनी जेब में डाल लेते हैं। इसकी वजह से भी कंपनियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। फिलहाल प्रदेश में छह बिजली कंपनियां कार्यरत हैं। इनके द्वारा बिजली उत्पादन से लेकर बिजली वितरण तक का काम किया जाता है। इन कंपनियों में करीब 35 हजार कर्मचारी काम करते हैं। इनमें करीब आठ हजार कर्मचारी अकुशल बताए जाते हैं। खास बात यह है कि इन कर्मचारियों को किए जाने वाले भुगतान पर कंपनियों को 18 फीसद जीएसटी, 2 प्रतिशत टीडीएस और 5 फीसदी ठेकेदार को कमीशन का भुगतान करना होता है।
अब बन रहे मुसीबत
खास बात यह है कि अब यही आउटसोर्स कर्मचारी बिजली कंपनियों के साथ ही सरकारी कर्मचारियों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं । इसकी वजह है उनके द्वारा नियमित किए जाने की मांग शुरू कर दी गई है। नियमितीकरण की मांग को लेकर इन कर्मचारियों द्वारा अब आंदोलन की राह भी पकड़ ली गई है। यही नहीं शासन स्तर पर भी इनके नियमितीकरण के लिए पॉलिसी बनाने की तैयारी कर ली गई है।
पेंशन फंड के साढ़े सात अरब किए हजम
दरअसल बिजली कंपनियों के प्रमुख आईएएस अफसर होते हैं। इनके वेतन और पेंशन का भुगतान सरकार की प्राथमिकता होती है। इसकी वजह से उनके द्वारा कंपनियों के कर्मचारियों के मामले में पूरी तरह से लापरवाही बरती जाती है। इन कंपनियों के कर्ताधर्ताओं की लापरवाही इससे समझी जा सकती है कि कर्मचारियों के पेंशन खाते के लंबे समय से साढ़े सात सौ करोड़ रुपए ही जमा नहीं किए गए। यह राशि इन कंपनियों द्वारा टर्मिनल बेनीफिट एवं पेंशन ट्रस्ट फंड में जमा की जानी है। हालत यह है कि इस मामले में अब विद्युत नियामक आयोग को न केवल राशि एक माह के अंदर जमा करने के निर्देश देने पड़े हैं, बल्कि एक लाख जुर्माना भी लगाना पड़ा है। खास बात यह है कि करीब चार साल पहले वर्ष 2017 – 18 में आयोग ने इसकी बकाया राशि 120 करोड़ रुपए जमा करने के आदेश बिजली कंपनियों को दिए थे, पर इन कंपनियों ने घाटे का बहाना बनाकर वह राशि जमा ही नहीं कराई। जिसकी वजह से उक्त राशि बढ़ कर अब 750 करोड़ रुपए हो गई। गौरतलब है कि इस मामले में ऊर्जा नियामक आयोग के समक्ष अभियंता संघ ने याचिका दायर की थी। इस मामले में आयोग ने 11 मई को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 का उल्लंघन मानते हुए फटकार भी लगाई थी। आयोग ने विद्युत कंपनियों पर विद्युत दर निर्धारण आदेश वर्ष 2017-18, 2018-19, 2020-21 प्रत्येक उल्लंघन के लिए एक लाख का जुर्माना लगाया है। इसका भुगतान आदेश के दिनांक से 30 दिनों में आयोग में जमा कराना होगा। इसके साथ ही आयोग ने विद्युत कंपनियों को 750 करोड़ की बकाया राशि के अलावा बैंक दर से ब्याज सहित भुगतान मार्च 2022 तक टर्मिनल बेनिफिट ट्रस्ट फंड में जमा करने के भी निर्देश दिए हैं।

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