राज्य सेवा के अफसरों की डीपीसी पर मंडराया खतरा

राज्य सेवा

देरी की वजह से बढ़ रहा है असंतोष

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को पदोन्नत करने में कोई चूक नहीं की जाती है , लेकिन यही मामला अगर राज्य के अफसरों व कर्मचारियों का हो तो फिर उसमें देरी होना तय है। इसकी बानगी है राज्य सेवा के अफसरों की पदोन्नति के लिए होने वाली डीपीसी में हो रही देरी। अब डीपीसी के लिए तारीख तय हो चुकी है, लेकिन उस पर टलने का खतरा मंडराने लगा है। इसकी वजह है डीपीसी की तारीख के ही दिन प्रदेश की विधानसभा का बजट शुरु होना। इसकी वजह से माना जा रहा है कि एक बार फिर से डीपीसी में देरी हो सकती है। बीते लंबे समय से  राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति की राह देख रहे अफसरों का इंतजार और बढ़ सकता है। गौरतलब है कि लंबे अर्से बाद राज्य प्रशासनिक सेवा व राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत कर आईएएस व आईपीएस अवार्ड के लिए वर्ष 2022 में डीपीसी ही नहीं की गई। इसको लेकर दोनों सेवा के अधिकारियों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि केवल अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति समय पर मिलती है, अन्य सेवा के अधिकारियों के साथ ऐसा क्यों नहीं होता। बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश के आला अधिकारियों को भी अपने मातहतों की चिंता नहीं रहती है। इसी कारण वर्ष 2022 की डीपीसी आगामी 27 फरवरी को नई दिल्ली स्थित यूपीएससी के मुख्यालय में होना तय हुआ है।

बताया जाता है कि अभी केवल राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस अवार्ड के 27 फरवरी की तिथि तय की गई है। इसमें आईपीएस की डीपीसी का कहीं कोई उल्लेख तक नहीं है। कहा यह भी जा रहा है कि उसी दिन राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को आईपीएस अवार्ड के लिए डीपीसी होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए केन्द्र को पत्र भी लिखा है । इस बीच एक नया पेंच फंस गया है कि 27 फरवरी से मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। बजट सत्र की शुरूआत राज्यपाल के अभिभाषण से होती है। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यसचिव, डीजीपी सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी विधानसभा की गैलरी में उपस्थित रहते हैं। ऐसे में सीएस व डीजीपी यूपीएससी द्वारा बुलाई गई बैठक में क्या शामिल हो पाएंगे, इसको लेकर असमंजस बना हुआ है। यह बात अलग है कि राज्य प्रशासन व राज्य पुलिस सेवा के अफसरों से पहले राज्य वन सेवा के अधिकारियों को आईएफएस अवार्ड के लिए डीपीसी हो जाएगी। इसकी वजह है इसके लिए 15 फरवरी की तारीख का तय होना। राप्रसे के जिन अफसरों को पदोन्नति मिलनी है उनमें  विवेक सिंह, सुनील दुबे, राजेश जैन, प्रमोद शुक्ला, मंजू सराय, संजना जैन, कीर्ति खुरासिया सहित 57 अधिकारी के नाम शामिल हैं। इन सभी अधिकारी में से कुछ आईएएस के पद पर पदोन्नत होंगे।

इन्हें अवार्ड होना है आईपीएस
 राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को भारतीय पुलिस सेवा के पद पर पदोन्नति दी जानी है। डीपीसी में संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य और मुख्य सचिव के अलावा अपर मुख्य सचिव और डीजीपी भी शामिल रहेंगे। राज्य पुलिस सेवा से भर्ती पुलिस सेवा के पद पर पदोन्नति के लिए जिन अफसरों के नाम पर विचार विमर्श किया जाना है। उसमें देवेंद्र पाटीदार, वीरेंद्र जैन, सुनील मेहता, विनोद कुमार सिंह, मनीष खत्री, प्रकाश चंद्र परिहार, राजेश त्रिपाठी आदि नाम शामिल है।

इस तरह से भेदभाव  
प्रदेश में अगर अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की पदोन्नति की बात की जाए तो पद खाली होते ही उन्हें पदोन्नत करने के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। अगर कई बार पद भी रिक्त नहीं होते हैं , तो पद का सृजन तक कर दिया जाता है या फिर उसके लिए नया रास्ता खोज लिया जाता है। लेकिन जब बात अन्य अफसरों व कर्मचारियों की आती है तो सरकार व शासन सुप्तवास्था में चला जाता है। जिसकी वजह से उन्हें उनका हक मिलने में देरी होती है, जिसके परिणामस्वरुप उनमें हताशा बढ़ जाती है और जिसका असर उनके कामकाज पर भी पड़ता है। हद तो यह है कि कई विभाग ऐसे हैं जिनमें कई पद सालों से खाली पड़े हुए हैं , लेकिन शासन उनमें पदोन्नति करने का मन ही नहीं बना पा रहा है।

Related Articles