इस वर्ष शहरी इलाकों में प्रदूषण मुक्ति पर रहेगा जोर, मिलेगी आर्थिक सहायता

शिव सरकार

-सरकार ने कार्बन क्रेडिट  बढ़ाने पर किया फोकस…


भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नए साल में प्रदेश की शिव सरकार शहरी इलाकों में प्रदूषण में कमी लाने के नए लक्ष्य को लेकर काम शुरू करने जा रही है। इसके लिए नगरीय निकायों को जिम्मा सौंपा जा रहा है। इसके तहत निकायों को कार्बन क्रेडिट पर फोकस करना होगा। इसके लिए इंदौर नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी के तहत किए गए काम का उदाहरण दिया जा रहा है।
इस काम के लिए निकायों को एप्को, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग जैसी संस्थाओं के अलावा राष्ट्रीय, राज्य स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के शिक्षक और विद्यार्थी भी मदद करेंगे। इसके तहत महाविद्यालयों के छात्रों को शोध करने का जिम्मा दिया जाएगा। इस काम के लिए निकायों को सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाएगा। योजना के तहत कार्बन क्रेडिट कम करने के लिए निकायों को पहला कदम मौजूदा बिजली खपत को आधा करना होगा। यह खपत सरकारी भवनों के अलावा स्ट्रीट लाइट, बिजली उपकरण, भवनों में माइक्रो एलईडी, बिजली की नए सिरे से फिटिंग, मॉनीटरिंग, एसी, पंखों का उपयोग कम करने के रुप में किया जाएगा।
इसी तरह से पानी की आपूर्ति के लिए सर्वाधिक बिजली निकायों द्वारा खर्च की जाती है। इसके लिए पूरी बिजली का उत्पादन निकायों को सोलर संयंत्रों से तैयार करना होगा। बिजली की कम खपत के लिए पानी की टंकियां ऊंचाई बढ़ाने पर फोकस करना होगा जिससे की पानी सप्लाई के समय मोटर के उपयोग की जरुरत नहीं पड़े। इसी तरह से पानी सप्लाई में सर्वाधिक बिजली के उपयोग को देखते हुए अब सतही जल का ज्यादा उपयोग करने पर भी फोकस किया जाएगा। इसके लिए सरकार द्वारा हर शहर से दो से अधिक तालाबों के गहरीकरण प्रस्ताव भी भेजने को कहा
गया है।
इस तरह के कामों पर भी रहेगा अंकुश
अब शहरों में कचरा जलाना पूरी तरह से प्रतिबंध तो रहेगा ही साथ ही वायु प्रदूषण कम करने के लिए पुराने वाहनों को शहर से बाहर करना होगा। इसके लिए सड़कों को भी ठीक करने का काम भी किया जाएगा। इसी तरह से वायु प्रदूषण कम करने के लिए निर्माण कार्य स्थल पर पानी का छिड़काव करना अनिवार्य रहेगा। इसकी वजह से कार्बन संचय किया जा सकेगा। निकायों को हरियाली बढ़ाने पर भी विशेष तौर पर ध्यान देना होगा। इसके लिए शहरों में वर्तमान हरियाली को दोगुना करना होगा। इसके लिए नए मकानों के निर्माण के साथ पौधरोपण की अनिवार्यता को लागू करना होगा और पेड़ कटाई के भी नियमों का पालन सख्ती से करना होगा। इसके तहत बड़े भवनों की ड्राइंग-डिजाइन इस तरह से की जाएगी, जिसमें कम से कम बिजली खपत हो। छोटे भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग का प्लान तैयार करने के अलावा कॉलोनियों में बारिश का पानी सहेजने के लिए हब बनाने होंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी होगा घर -घर से  कचरा कलेक्शन
शहरी क्षेत्रों के बाद अब सरकार का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन पर करने जा रही है। इसके तहत दो हजार या उससे ज्यादा जनसंख्या वाले गांवों को चिह्नित कर लिया गया है। नए साल में इन सभी गांवों में यह काम शुरू कर दिया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सरकार का प्रयास है कि शहरों के साथ गांवों में भी स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा हो। बेहतर कार्य करने वाले गांवों, पंचायतों को पुरस्कृत करने की भी योजना है। कचरा प्रबंधन और इसे खाद के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। निर्देश दिए गए हैं कि सभी जिलों को स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण की प्रगति की एंट्री की जाए। जिन जिलों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन का संभाग स्तरीय प्रशिक्षण हो चुका है, वे अपने गांवों की डीपीआर तैयार कर काम शुरू कराएं। गोशालाओं में बायोगैस संयंत्र स्थापना के लिए स्थान चयन के लिए भी कहा गया है।

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