
- बारदाने का खर्च होगा तीन गुना अधिक
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने इस साल 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है। इसके भंडारण में इस बार पूरी तरह से जूट के बोरों का उपयोग किया जाएगा। इसकी वजह से वारदाने पर आने वाला खर्च तीन गुना तक अधिक बढ़ जाएगा। फिलहाल बारदाना की खरीदी पर लगभग 960 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। वहीं अगर जूट की जगह प्लास्टिक के बारे का उपयोग किया जाता तो इस का खर्च कम होकर महज तीन सौ करोड़ रुपये ही रह जाता। दरअसल अब प्रदेश में गेंहू की खरीदी की तैयारी है। प्रदेश सरकार केंद्र द्वारा तय किए गए दामों पर गेहूं की खरीदी की जानी है। प्रदेश सरकार ने इस बार गेहूं की खरीदी पर प्रति क्विंटल 125 रुपये बोनस देने का फैसला किया है। इससे सरकार के खजाने पर 3850 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आएगा। दरअसल, अभी गेंहू का समर्थन मूल्य 2275 रुपये हैं, जो बोनस के बाद 2400 प्रति क्विंटल पर हो जाएगा। सरकार ने इस बार तय किया है कि प्रदेश में गेंहू को रखने के लिए सिर्फ जूट के बारदाने का ही उपयोग किया जाएगा। इसकी वजह से भी सरकार को इस साल 480 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। अभी तक सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं रखने के लिए 50 फीसदी जूट के और 50 फीसदी प्लास्टिक के बोरे का उपयोग करती थी। वहीं अब सौ फीसदी जूट के बोरे का उपयोग किया जाएगा। बताया जाता है कि प्लास्टिक के एक बोरे की कीमत करीब 24 रुपये है, जबकि जूट के बोरे की कीमत 72 रुपये है। दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 1.00 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए करीब 960 करोड़ रुपये के जूट के बोरे खरीदें जाएंगे। वहीं अगर जूट की जगह प्लास्टिक का बोरा खरीदा जाता तो इसमें करीब तीन सौ करोड़ रुपये का खर्च आता है। लेकिन प्लास्टिक के बोरे की क्वालिटी को लेकर आ रही लगातार शिकायतों के चलते सरकार ने इस बार बदलाव का निर्णय लिया है। इससे गेहूं की क्वालिटी पर भी असर नहीं पड़ेगा।
क्या है दोनों बोरे में अंतर
जूट के बोरे में गेहूं की क्वालिटी लंबे समय तक बरकरार रहती है। ये बोरे प्लास्टिक से ज्यादा मजबूत भी होते हैं और इससे गेहूं खराब होने के झंझट से भी छुटकारा मिलता है। वहीं यह भी बताया जाता है कि प्लास्टिक के बोरे को सिर्फ एक बार ही उपयोग किया जाता है, लेकिन जूट के बोरे का दो से तीन बार उपयोग किया जा सकता है। इन बोरों की खरीदी भारतीय केंद्रीय जूट निगम कोलकाता के माध्यम से की जाएगी। इसमें 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं भंडारण के लिए करीब चार लाख बोरे की जरूरत होगी। इसकी सप्लाई के लिए राज्य सरकार निगम एडवांस में करीब 960 करोड़ राशि देगी।