इस साल मप्र में बाघों की मौत के आंकड़े घटे

बाघों की मौत
  • 11 माह में 30 बाघों की हुई मौत

    भोपाल /विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम 
    टाइगर स्टेट कहलाने वाला मप्र बाघों की मौत के मामले में भी देश में नंबर 1 है। हालांकि पिछले 11 माह में 10 बाघों की मौत संख्या में कमी आई है। यह बाघों को बचाने के बारे में मप्र के लिए अच्छी खबर है। मप्र में वर्ष 2021 में जहां 42 बाघ खोए थे, वहीं इस साल 11 महीने में 30 बाघों की ही मौत हुई है। प्रदेश में बाघों की मौत के मामले में पार्क प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठते रहते हैं। वन्य प्राणी प्रेमी बाघों की मौत का कारण टाइगर रिजर्व में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति को मानते हैं, जिनका वाइल्ड लाइफ प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है। वर्ष 2022 की बाघ गणना हो चुकी है। विभाग के अफसरों को भरोसा है कि जिस तरह से संजय टाइगर, सतपुड़ा, रातापानी, सतना जिला, बालाघाट आदि में बाघों की संख्या बढ़ी है, उससे कुल संख्या 700 से अधिक होगी ।
    जानकारों के अनुसार प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसकी वजह से उनमें टेरिटोरियल फाइट होती है। इसमें कमजोर बाघ घायल होकर या तो इलाका छोड़ देता है या मर जाता है। यह प्राकृतिक है। टेरिटोरियल फाइट रोकने के लिए सेंचुरी बनाकर नए इलाके की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। साल 2012 के बाद से भारत में सबसे अधिक बाघों की मौत दर्ज करने वाले राज्य मध्य प्रदेश को अभी तक एक विशेष बाघ सुरक्षा बल (एसटीपीएफ) नहीं मिला है। हालांकि 10 साल पहले केंद्र ने इस संबंध में सलाह दी थी। 2012 के बाद से देश में 1,059 बाघों की मौत हुई है। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बाघों की मौत हुई जिसे देश के बाघ राज्य के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 270 मौतें दर्ज की गई हैं।
    डॉग स्क्वॉड बढ़ाने का प्लान
    अवैध शिकार को रोकने के लिए डॉग स्क्वॉड 16 कर दिए हैं। इसे भी बढ़ाकर 18 तक ले जाने का प्लान है। वन्यप्राणी विभाग के अफसरों को उम्मीद है कि वर्ष 2022 की बाघ गणना रिपोर्ट में प्रदेश में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 700 तक हो सकती है। नेशनल टाइगर कंजरवेशन अ‍ॅथारिटी के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले साल यानि वर्ष 2021 में दिसंबर तक 42 छोटे- बड़े बाघों की मौत हुई थी। जबकि वर्ष 2022 में 19 नवंबर तक बाघों की मौतों की संख्या 30 है। वन्यप्राणी विभाग के अफसर कहते हैं कि दिसंबर माह में बाघों की मौत संख्या कम रहती है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल मई में सर्वाधिक आठ और इस वर्ष अप्रैल में 6 बाघों की मौतें हुई हैं। जहां तक अवैध शिकार की बात है तो पिछले 18 सालों में 48 बाघ शिकार हुआ और 35 की करंट से मौत हुई। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार भारत ने 2012 के बाद से 1,059 बाघों को खो दिया। इस साल अभीतक के आंकड़े बता रहे कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की मौतें हुई हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 9 साल में 165 बाघों का शिकार हुआ ।
    ऐसे रोकेंगे प्रदेश में अवैध शिकार
    वन्यप्राणी विभाग का प्लान है कि सभी टाइगर रिजर्व में डॉग स्क्वॉड का विस्तार किया जा रहा है। अभी 16 डॉग स्क्वॉड हैं। दो और स्क्वॉड बढ़ाए जाना है। इसके साथ ही विभाग के एसटीएसफ को और सशक्त किया जा रहा है। इनके साधनों में बढ़ोत्तरी की जा रही है। खुफिया तंत्र को भी और बढ़ाया जा रहा है। अवैध शिकार को रोकने के लिए टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का विश्वास बढ़ाया जा रहा है। पीसीसीएफ वन्यप्राणी जेएस चौहान का कहना है कि पिछले 11 माह में प्रदेश में बाघों की मौतों में कमी आई है। इसके लिए हमने इन्वेस्टीगेशन सिस्टम को मजबूत किया है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भरोसे पर लेकर शिकारियों पर नजर रखी है। खुफिया तंत्र को और मजबूत किया। जहां तक मृत्युदर में देश में आगे रहने की बात है तो प्रदेश में सर्वाधिक बाघ हैं इसलिए आपसी संघर्ष की घटनाएं होती हैं।

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