मिशन 2023 में दिक्कत देगा थर्ड फोर्स

थर्ड फोर्स
  • विंध्य क्षेत्र से आप की एंट्री और कांग्रेस की वापसी ने दी चेतावनी

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनावों के माध्यम से आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम की प्रदेश में एंट्री तथा विंध्य में कांग्रेस की वापसी ने भाजपा को पसोपेस में डाल दिया है। यह सियासी तस्वीर भाजपा के लिए बड़ी चेतावनी है। अगर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल नहीं किया तो पार्टी के लिए मिशन 2023 आसान नहीं होगा। प्रदेश में सात साल बाद हुए निकाय चुनाव के परिणाम विंध्य में अप्रत्याशित रहे हैं। महापौरी जीतकर आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली के रास्ते सूबे में प्रवेश किया तो कांग्रेस 25 साल बाद रीवा में भाजपा का तिलिस्म तोड़ पाई। सतना में भी बड़ी मुश्किल से भाजपा की इज्जत बची। विंध्य के ये नतीजे आगे की सियासत की कुछ और ही तस्वीर दिखा रहे हैं।
    विंध्य में कांग्रेस की वापसी की शुरुआत
    कांग्रेस ने 24 साल बाद रीवा नगर निगम के महापौर पद पर जीत हासिल की है। पार्टी के उम्मीदवार अजय मिश्रा बाबा ने भाजपा के प्रबोध व्यास को दस हजार से अधिक वोटों से हराकर बड़ी जीत हासिल की। विंध्य क्षेत्र में भाजपा को यह सबसे तगड़ा झटका लगा है।  पार्षदों की बात करें तो भाजपा के 18 और कांग्रेस के 17 पार्षद जीतकर आए। 45 वार्डों वाली परिषद में 10 निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीते हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने रीवा, सीधी व चुरहट में कांग्रेस की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए जीते हुए प्रत्याशियों को बधाई दी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। सिंह ने कहा कि उप चुनाव के समय ही उन्होंने कहा था कि अब विन्ध्य में भाजपा के सफाए की शुरूआत हो चुकी है। उन्होने कहा कि भाजपा की शिवराज सरकार ने हमेशा विन्ध्य प्रदेश की उपेक्षा की है और झूठे वायदे किए जो आज तक पूरे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बाद भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दमदारी से चुनाव लड़कर जीता। उन्होने कहा कि चुनावों में सरकारी मशीनरी का जमकर दुरूपयोग किया गया।
    भाजपा के गढ़ में कांग्रेस और आप
    रीवा संभाग में तीन नगर निगम और दो नगर पालिका सहित 26 निकाय हैं। ज्यादातर भाजपा के कब्जे में थे। इस बार दो नगर निगम में महापौर सीट भाजपा से छिन गई। रीवा में कांग्रेस ने तो सिंगरौली में आप ने कब्जा जमाया है। संभाग की दो नगर पालिका में से सीधी कांग्रेस के हाथ चली गई, जबकि मैहर का गढ़ भाजपा ने जीत लिया। 17 नगर परिषद में से 14 पर भाजपा तीन पर कांग्रेस का वर्चस्व है। रीवा में राजेन्द्र शुक्ला जैसे कुशल संगठक के होते हुए भी पार्टी एक नहीं हो पाई और उसे नगर निगम में हार मिली। वर्षों से कांग्रेस के कब्जे में रही मैहर नगर पालिका के लोगों ने भाजपा को बढ़त देकर विधायक नारायण त्रिपाठी को एक तरह से आगाह किया है। सीधी- चुरहट में भाजपा की हार कांग्रेस की वापसी के संकेत हैं तो चुरहट विधायक शरदेंदु तिवारी को अलर्ट करने वाले हैं। विंध्य के इकलौते मंत्री रामखेलावन पटेल का घर अमरपाटन नगर परिषद भी भाजपा हार गई। भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह के दुर्ग नागौद नगर परिषद पर भी कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। ये नतीजे कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो रहे हैं तो सत्ताधारी नेताओं के हिसाब से भाजपा के कब्जे में रहे रीवा निगम में कांग्रेस को मिली जीत भी कई मायने में अहम है।
    रीवा की जीत से विंध्य के कांग्रेसियों में उत्साह
    2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था, लेकिन इस चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस के सभी बड़े नेता एकजुट दिखे उसका ही परिणाम है कि 25 साल बाद भाजपा का विजय रथ रुक गया। रीवा की इस जीत से विंध्य के कांग्रेसियों में उत्साह है। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद से उपेक्षित महसूस कर रहे अजय सिंह, पूर्व विस उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने कांग्रेस को बढ़त दिलाकर सियासी ताकत का अहसास कराया है। विंध्य में कांग्रेस के पतन का प्रमुख कारण खेमेबाजी रही है। यह अब भाजपा में भी सामने आ रही है। रीवा-सतना में संगठन और विधायक का तालमेल नहीं दिखा तो यही हाल सीधी और सिंगरौली में भी रहा। भाजपा नेताओं ने पंचायत चुनाव में जिस तरह से ताकत झोंकी थी और जनता ने उनके परिवार और समर्थकों को नकार दिया, उससे संदेश जाता है। कि जनता ने मर्जी से विधायक चुना था। नेता उसे अपने जेब की वोट मानने की भूल न करें। यही कारण रहा कि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम अपने पुत्र और मनगवां विधायक पंचूलाल अपनी पत्नी को जिला पंचायत का चुनाव नहीं जिता पाए। राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल के बेटे और पूर्व विधायक व भाजपा के कद्दावर नेता प्रभाकर सिंह के बेटे का चुनाव हार जाना भी नए सियासी समीकरणों की ओर इशारा करता है।

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