ये मौसम..ये राहें.. ये ‘राज’ नदी का किनारा.. ये महत्वाकांक्षी हवाएं…

राजनीतिक

और भाई बंगाल का मौसम कैसा है
बताओ कोरोना की  क्या तैयारी है

पिछले एक पखवाड़े से राजनीतिक सरगर्मियां दिग्गजों की मेल-मुलाकातों को लेकर चर्चा में हैं। राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक वीथिकाओं में यह गपशप चल रही हैं कि क्या मप्र में कोई परिवर्तन होने वाला है। जी नहीं! जिस व्यक्ति  का चौथा मुख्यमंत्रित्वकाल चल रहा हो। जिसकी गांव-गांव में जड़ें मजबूत हों। उसे डिगाना न केंद्र चाहेगा न प्रदेश की जनता। रही बात मेल-मुलाकातों की तो जो नेता स्वयंभू उपेक्षित हैं वे कयासोें के दौर दौरा को हवा दे रहे हैं। बहरहाल मन बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है।
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के साथ ही राजधानी का मौसम भले ही अचानक हो रही बारशि से बीते तीन दिनों से शीतल हो गया हो लेकिन इस बीच राजधानी में राजनैतिक तापमान बढ़ा हुआ है। इसकी वजह है अचानक राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश और कैलाश विजयवर्गीय का एक साथ भोपाल आकर लगातार मेल मुलाकातों के साथ ही बीते तीन दिनों से बैठकों का किया जाना। इसकी वजह से ही तीन दिनों से राजनैतिक सुगबुगाहट हर गलियारे में बनी हुई है, लेकिन ऐसा कुछ होने जाने वाला नहीं है और अगर होगा तो भी वह भविष्य के गर्भ में है। अभी तो इस पूरे घटनाक्रम पर चित्रपट फिल्म का वह गीत याद आ रहा है , जिसके बोल हैं कि ‘ये मौसम ये,राहें …ये राजनीति का किनारा……..’।  दरअसल तीन दिन पहले जिस तरह से शिव प्रकाश और विजयवर्गीय औचक रुप से एक साथ भोपाल आए और उसके पहले अलग नेताओं के बीच चले मेल मुलाकात के दौर ने लोगों का ध्यान भाजपा की तरफ खींचा है। इसकी शुरुआत एक सप्ताह पहले दिल्ली में प्रदेश संगठन के प्रमुख नेताओं की केन्द्रीय मंत्री और दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल से उनके घर की गई मुलाकात से हुई है। इस मुलाकात में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहाष भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा शामिल हुए थे।
इस मुलाकात में चर्चा का विषय जो भी रहा हो , लेकिन चर्चा में पटेल का बरमूडा स्टाइल रहा है। बैठक में उनकी भाव भंगिमा कुछ अलग ही नजर आ रही थी। इसके बाद भोपाल में ही तीन दिन से डेरा डाले शिव प्रकाश का यह दौरा उनके प्रभारी होने का अहसास जरुर करा रहा है। उनके इस दौरे में जिस तरह से उन्होंने मंत्रियों , विधायकों और पदाधिकारियों से मेल मुलाकात की है, उससे कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।  कहा जा रहा है कि इस दौरान उनके द्वारा संगठन के साथ ही सरकार के कामकाज का पूरा ब्यौरा लिया गया है। इसके पहले वे प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बैठक कर लंबी चर्चा कर चुके हैं। दरअसल प्रभारी बनने के बाद उनका यह दूसरा दौरा है , जो पांच माह बाद हुआ है।
उन्होंने यह दौरा ऐसे समय किया है जब केन्द्र की मोदी सरकार के सात साल पूरा होने पर सेवा संकल्प के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे।  जिससे यह संदेश दिया जा सके कि यह दौरा इसी कार्यक्रम के मद्देनजर किया गया है। इस बीच जिस तरह से विजयवर्गीय ने सरकार व पार्टी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोधी और प्रतिस्पर्धी माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा से बंद कमरे में एक घंटे तक मंथन किया, उसके भी मायने तलाशे जा रहे हैं। विजयवर्गीय की भी मुख्यमंत्री से पटरी नहीं बैठने की खबरें आती रहती हैं। यह बात अलग है कि इस मुलाकात पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जहां कोई नेता एक-दूसरे से मिलते हैं, वहां राजनीतिक चर्चा होना स्वाभाविक है, लेकिन इस मुलाकात में कोई नया समीकरण नहीं बन रहा है। मैं छह महीने बाद मित्रों से मिलने के लिए भोपाल आया हूं। इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने इस मुलाकात पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रभारी थे और मैं उनका सहायक था। वे मेरे अच्छे मित्र हैं। वे मेरे निवेदन पर चाय पर आए थे। यह सहज मुलाकात थी। इसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। इसके पहले विजयवर्गीय आठ दिसंबर 2020 को भोपाल आए थे। इस दौरान भी उनकी गृहमंत्री के साथ बंद कमरे में बैठक हुई थी।
वन टू वन चर्चा
खास बात यह है कि बीते रोज शिव प्रकाश द्वारा जिस तरह से विधायकों व मंत्रियों से वन टू वन चर्चा की गई है , उसके अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इनमें सरकार के पॉवरफुल मंत्रियों के अलावा वे विधायक भी मिले, जिनके द्वारा सरकार बनने के बाद से ही मंत्री पद के लिए पूरी ताकत के साथ दावेदारी की जा रही है। इसी तरह से उनके द्वारा संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों से भी चर्चा की गई।
संगठन के कामकाज की भी की समीक्षा
शिव प्रकाश द्वारा अपने इस दौरे में संगठन पर भी फोकस किया गया है। यही वजह है कि उनके द्वारा अलग-अलग स्तर पर संगठन की गतिविधियों की जानकारी ली गई है। इसके बाद एक बड़ी बैठक का पदाधिकारियों से परिचय के लिए आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। खास बात यह है कि चौहान लंबे समय बाद भाजपा दफ्तर गए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश संगठन में कार्यसमिति के साथ ही विभिन्न मोर्चा प्रोकाष्ठों की टीमों का गठन लंबित है। इसी तरह से यह पहला मौका है जब प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक ढाई साल में भी नहीं हुई है।
चुनावी तैयारियों पर लिया फीडबैक
उधर माना जा रहा है कि कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाओं के संकट के चलते लोगों में सरकार को लेकर बेहद नाराजगी है। यही वजह है कि इस मामले को लेकर भी जानकारी ली गई है। इसके अलावा प्रदेश में जल्द संभावित एक लोकसभा व तीन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही नगरीय निकाय चुनावों को लेकर भी फीडबैक लिया गया है। कहा तो यह भी जा रहा है दमोह विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी की हार के भी कारणों को तलाशने का प्रयास किया गया है।

Related Articles