ये बेचारे… माननीय अफसरशाही के मारे

अफसरशाही

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार की कमजोर पकड़ की वजह से मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल हो चुका है, जहां पर ब्यूरोक्रेसी हर मामले में हावी रहती है। आम आदमी तो पहले से ही अफसरशाही से परेशान है, लेकिन अब तो माननीय तक इसका शिकार लगातार हो रहे हैं। हद तो यह हो गई है कि ब्यूरोक्रेसी का रोना तो अब प्रदेश के मंत्री तक संगठन की बैठक में रो चुके हैं। हालात यह हैं कि ब्यूरोके्रसी से पीड़ितों के लिए कोई पुरसाने हाल नहीं है।
प्रदेश में हालात यह हो चुकी है कि अब तो अफसरों को विस तक का डर नहीं दिखाता है। शायद इसकी वजह से ही वे माननीयों के लिए तय प्रोटोकॉल तक का पालन करने में भी कोताही करना नहीं छोड़ते हैं। ऐसा भी नहीं है कि इसका शिकार विपक्ष के ही विधायक हो रहे हैं, बल्कि सत्तारुढ़ दल के भी कई विधायक अफसरशाही का शिकार हो रहे हैं। बीते दो सालों में अफसरशाही को लेकर अब तक करीब 21 विधायक विधानसभा में इस तरह के मामलों की शिकायतें कर चुके इनमें कांग्रेस के 11 तो भाजपा के 10 विधायक शामिल हैं।
इन सभी ने अफसरशाही पर सवाल खड़े करते हुए प्रोटोकॉल के उल्लंघन और अफसरों के रवैये को लेकर विधानसभा में भी शिकायतें की हैं। इसमें सबसे नया मामला छतरपुर जिले के चंदला से भाजपा विधायक राजेश प्रजापति का है। उन्होंने कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को लेकर शिकायत की है। हाल ही में विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति की बैठक में प्रोटोकॉल के उल्लंघन से जुड़े विधायकों के कई मामले सामने आए। दरअसल प्रदेश में विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन कराने का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग की है। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग मामले को तूल पकड़ता देख सिर्फ निर्देश जारी कर इतिश्री कर लेता है। खास बात यह है कि विभाग द्वारा अब तक 14 विधायकों के प्रोटोकॉल में की गई गड़बड़ी के बारे में कोई सफाई तक विधानसभा को नहीं दी गई है।
किस भाजपा विधायक की क्या शिकायत
छतरपुर जिले की चंदला विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश प्रजापति ने शिकायत में कहा है कि वे कलेक्टर से बार-बार मिलने के प्रयास करते रहे हैं, लेकिन कलेक्टर द्वारा उनकी उपेक्षा करते  हुए मुलाकात तक नही की गई। उनके घर मिलने गया तो कहलवा दिया कि घर पर नहीं हैं।
जबकि घर पर ही थे। बंगले के बाहर धरने पर बैठ गया तो बाहर आए। मैंने कहा कि घर पर चलिए वहीं बैठकर बात करेंगे तो उन्होंने मना कर दिया। रीवा जिले की मऊगंज विधानसभा के विधायक प्रदीप पटेल ने परिवहन विभाग के अधिकारियों की गलत एफआईआर दर्ज करने की शिकायत बीते साल की थी, जो अब भी विधानसभा में पेंडिंग है। दतिया जिले की भांडेर की तत्कालीन कांग्रेस और अब भाजपा विधायक रक्षा संतराम सिरौनिया ने नवंबर 2019 में शिकायत की कि दतिया एसडीएम ने घर पर आकर अभद्रता की। अब रक्षा भाजपा में हैं, लेकिन शिकायत विधानसभा में अभी भी पेंडिंग है। केवलारी विधायक  राकेशपाल सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि अधीक्षण यंत्री द्वारा छपारा में लघु जलाशय के लोकार्पण कार्यक्रम में सबसे आखिर में मेरा नाम लिया गया, जो पूरी तरह से प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। स्थानीय विधायक होने के नाते उनका नाम पहले लिया जाना था।
कांग्रेस विधायकों की यह हैं शिकायतें
बाबू जंडेल (श्योपुर) ने इसी साल अप्रैल माह में की शिकायत में कहा था कि विद्युत उपकेंद्र के लोकार्पण कार्यक्रम में न आमंत्रण पत्र में उनका नाम लिखा और न ही शिलालेख में। खरगौन के कांग्रेस विधायक रवि जोशी ने मार्च 2021 में अपनी शिकायत में कहा था कि उनके इलाके में आधा दर्जन सड़कों का भूमिपूजन था। इसकी सूचना उन्हेंं सबसे अंत में दी गई। उस समय उनके पास समय भी नहीं था, जो अवमानना है।
सागर जिले की देवरी सीट से विधायक हर्ष यादव ने इस साल जुलाई में की शिकायत में कहा है कि उन्हें लोकार्पण कार्यक्रमों में नहीं बुलाया गया। कई पत्र भी सीधे विभागों को भेज दिए गए। चार बार विधानसभा को शिकायत कर चुके हैं। उनके द्वारा इस साल जुलाई 2021 में शिकायत की जा चुकी है। इसी तरह से डिंडोरी से विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने शिकायत में कहा है कि हाल ही में राज्यपाल का जिले में दौरा हुआ। इसमें जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें मंच तक पर जगह नहीं दी गई।
यह है व्यवस्था
उनकी सुख-सुविधाओं के साथ शासकीय अधिकारियों द्वारा उनके प्रति सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए। यदि इसका उल्लंघन होता है तो विधायक सदस्य सुविधा समिति के सामने प्रकरण रख सकते हैं। समिति चाहे तो गंभीर मामलों की जांच की अनुशंसा विशेषाधिकार समिति को कर सकती है।

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