- सरकार बदली लेकिन सालों से जमे अफसरों को नहीं हिला सका कोई
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही सुशासन व कानून के राज की कितने ही दावे किए जाएं , लेकिन यह सब हवा हवाई ही नजर आते हैं। कई विभाग तो ऐसे हैं जिनमें इसके कोई मायने नहीं रहते हैं। इसका बड़ा उदाहरण सूबे का लोक निर्माण विभाग है। इस विभाग में सैकड़ों अफसर व कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके एक ही जगह पर पदस्थ हुए डेढ़ दशक से अधिक का समय हो गया है , लेकिन मजाल है कि सरकार से लेकर शासन तक उनका तबादला करने की हिम्मत दिखा सका हो। यह हाल प्रदेश में तब है, जबकि नियमानुसार एक अफसर को एक ही जगह तीन साल से अधिक समय तक पदस्थ नहीं किया जा सकता है। इस मामले में राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि जिलों में पदस्थ प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी के कार्यपालक अधिकारियों के एक ही स्थान पर तीन वर्ष की पदस्थापना पूर्ण कर लेने पर जिले से अन्यत्र प्राथमिकता पर स्थानांतरण किया जा सकेगा। इसके बाद भी लोक निर्माण विभाग में उप यंत्री और इससे ऊपर के करीब 200 अधिकारी बीते एक दशक से भोपाल में ही जमे हुए हैं। इनके अलावा करीब तीन सैकड़ा अन्य कर्मचारी अलग से है जो अपनी आधी नौकरी भोपाल में ही कर चुके हैं। इस मामले में भी शासन के आदेश हैं, कि जिलों में पदस्थ प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी के कार्यपालक अधिकारियों के एक ही स्थान पर तीन वर्ष की पदस्थापना पूर्ण कर लेने पर जिले से अन्यत्र प्राथमिकता पर स्थानांतरण किया जा सकेगा। अगर अधिक कभी -कभार दबाव पड़ता ही है तो, इन अफसरों को एक से दूसरी शाखा में पदस्थ कर इतिश्री कर ली जाती है। हद तो यह है कि प्रदेश में सरकार किसी की भी हो मंत्री कोई भी हो और विभाग का प्रशासनिक मुखिया कोई भी आ जाए, इनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
यह हैं राजधानी में कार्यालय
राजधानी में लोक निर्माण विभाग के कई कार्यालय हैं, जिनमें प्रमुख रुप से मुख्य अभियंता (राजधानी परियोजना), अधीक्षण यंत्री मंडल क्रमांक एक, एसई कार्यालय मंडल दो, राजधानी मंडल, राजधानी संभाग क्रमांक एक, संभाग क्रमांक दो, राजधानी वि/यां संभाग, राजधानी भवन नियंत्रक विधानसभा, राजधानी गैस राहत संभाग एक, कार्यालय प्रमुख अभियंता, एसई कार्यालय विद्युत यांत्रिकीय मंडल भोपाल, कार्यपालन यंत्री संभाग क्रमांक एक, संभाग क्रमांक दो, कार्यपालन यंत्री नया भोपाल, कार्यपालन यंत्री वि/यां संभाग क्रमांक एक, संभाग क्रमांक दो, परियोजना संचालक पीआईयू, अतिरिक्त परियोज संचालक पीआईयू, मुख्य अभियंता, सेतु निर्माण परिक्षेत्र भोपाल, मुख्य अभियंता (रा. रा. परि. ) भोपाल, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम शामिल हैं।
इस तरह के तर्क
विभाग के एक अधिकारी का तर्क है कि भृत्यों और लिपिकों के तबादले सामान्यतः: नहीं किए जाते। शासन की ट्रांसफर पॉलिसी है कि 10 फीसदी से अधिक स्थानांतरण नहीं हों। ईएनसी ऑफिस का अलग कॉडर है। एक जोन से दूसरे जोन इसलिए नहीं जाते क्योंकि ग्रेडेशन प्रभावित होती है। एमपीआरडीसी के और कार्यालय नहीं है। तीन साल से अधिक समय के क्राइटेरिया में उप यंत्री से लेकर एसई तक ही दायरे में आते हैं।
एमपीआरडीसी में यह हैं हाल
मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम इस मामले में अहम रोल निभा रहा है। यहां पर पदस्थ हुए प्रभारी महाप्रबंधक दिवाकर शुक्ला को 13 साल का समय हो चुका है। इसी तरह से प्रभारी सहायक महाप्रबंधक सोनल सिन्हा 12 साल, प्रभारी प्रबंधक स्थापना नमिता पांडेय 17 साल 6 माह, कंप्यूटर टेक्नीशियन प्रकाश अग्रवाल 17 साल 6 माह, कार्यपालन यंत्री सीडी शर्मा 16 वर्ष 10 माह, उप यंत्री राजेश नायक 14 वर्ष 7 माह, उपयंत्री सत्य प्रकाश दुबे 11 वर्ष 9 माह और प्रभारी सहायक महाप्रबंधक आसिफ इकबाल खान को भोपाल में 9 वर्ष 11 माह एवं प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार दस साल से अधिक समय से भोपाल में ही पदस्थ बने हुए हैं।