भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कई ऐसे अफसर व कर्मचारी है जिनकी रुचि पदोन्नति की जगह मौजूदा पद पर ही बनी रहती है। इसकी वजह है, जिस पद पर वे पदस्थ रहते हैं, उसे मलाईदार माना जाता है। ऐसे में अगर पदोन्नति ली जाती है तो फिर उन्हें मिलने वाली मलाई के नुकसान होने का डर सताता रहता है। यही वजह है कि कई अफसरों द्वारा पदोन्नति मिलने के बाद भी उसे स्वीकार नहीं किया जाता है। इसकी वजह से अब सरकार ने तय किया है कि जिस अफसर या कर्मचारी द्वारा पदोन्नति लेने से इंकार किया जाएगा उसे भविष्य में वेतनवृद्धि का लाभ नहीं दिया जाएगा। हालांकि सरकार के इस निर्णय का कर्मचारी संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि दो दशक से अधिक पुराने आदेश में संशोधन करने का कोई औचित्य नहीं है। गौरतलब है कि फिलहाल प्रदेश में पांच लाख से अधिक सरकारी नियमित कर्मचारी हैं। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर वेतनमान 3,600 रुपए पाने वाले कर्मचारी का दस साल बाद ग्रेड-पे 4,200 रुपए हो गया और 15 साल बाद कर्मचारी का प्रमोशन होता है लेकिन वह प्रमोशन लेने से इनकार कर देता है तो पांच साल तक मंजूर उच्च वेतनमान की बकाया राशि वापस नहीं ली जाएगी। लेकिन इसके बाद आगे कोई उच्च वेतनमान नहीं मिलेगा।
दो साल पहले यह हुआ था आदेश
23 सितंबर 2022 को आदेश जारी हुआ था कि ऐसे शासकीय सेवक, जिन्हें क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है, को जब उच्च पद पर पदोन्नत किया जाता है और वह ऐसी पदोन्नति लेने से इंकार करता है तो उसे प्रदान किए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी समाप्त कर दिया जाएगा। साथ ही पदोन्नति आदेश में इसका भी स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि यदि शासकीय सेवक इस पदोन्नति को छोड़ देता है, तो उसे पदोन्नति के एवज में पूर्व में दिए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों में नाराजगी
क्रमोन्नति योजना में संशोधन करने पर कर्मचारियों की तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा है कि वर्ष 2016 से पदोन्नति पर रोक है। ऐसे में कर्मचारियों से क्रमोन्नति का लाभ छीनना ठीक नहीं है। इसलिए सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। मंच इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन भी सौंपेगा।
सरकार के आदेश में राहत भी, सजा भी, समय सीमा तय हो
पहली बात यह कि सरकार अब क्रमोन्नति की जगह समयमान वेतनमान दे रही है। जहां तक प्रमोशन से इनकार करने पर पूर्व में दी गई उच्च वेतनमान की राशि वसूल नहीं करने का निर्णय है, इसमें कंफ्यूजन है। अगर किसी एलडीसी को दस साल की नौकरी में उच्च वेतनमान प्राप्त होता है और 15 साल में पदोन्नति होने पर वह निजी कारणों से इसे स्वीकार नहीं करता है तो उसका उच्च वेतनमान हमेशा के लिए रोककर बड़ा आर्थिक नुकसान किया गया। यह तो एक सजा है। समय सीमा तय होना चाहिए। – सुधीर नायक, अध्यक्ष मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी संघ भोपाल ।
07/09/2024
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