50 हेक्टेयर में होगा चीतलों का प्रजनन

चीतलों का प्रजनन
  • चीतों की भोजन समस्या दूर करने की कवायद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बढ़ती चीतों और बाघों की संख्या को देखते हुए उनके लिए पर्याप्त भोजन का संकट खड़ा होने लगा है। अभी तक कूनो में दूसरे वन अभ्यारणों से पकडक़र चीतलों के अलावा अन्य वन्य प्राणियों को भेज कर भोजन की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन जिस तरह से दूसरे अभ्यारणों में बाघों की संख्या में वृद्वि हो रही है उसे  देखते हुए वहां पर भी भोजन की प्र्याप्त व्यवस्था होना जरुरी है।  यही वजह है कि अब वन विभाग द्वारा श्योपुर के कूनो अभ्यारण में चीतलों की संख्या में प्र्याप्त वृद्धि के लिए उनके प्रजनन पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए कूनो क्षेत्र के बागचा गांव में 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चीतल का ब्रीडिंग एन्क्लोजर (प्रजनन के लिए बाड़ा) तैयार किया जा रहा है। फिलहाल इसके निर्माण का काम तेजी से किया जा रहा है। दरअसल, कूनो पार्क में में इस समय 26 चीते हैं, जिनमें से 17 चीते इस समय जंगल में घूम रहे हैं। जंगल में प्र्याप्त भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाने की वजह से वे आसपास के रहवासी क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं। दरअसल, चीतों के अलावा तेंदुए व अन्य वन्य जीव भी चीतल का शिकार करते हैं।
बकरियों का कर रहे शिकार
बीते एक पखवाड़े में दो बार चीतों द्वारा रहवासी इलाकों में जाकर बकरियों का शिकार किया जा चुका है। ऐसे में, चीतों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। हाल ही में ज्वाला नामक चीता अपने चार शावकों के साथ विजयपुर स्थित श्यामपुर गांव के आसपास डेरा जमाए हुए है। उसने दो दिन पहले शुक्रवार को खेत में बंधी छह बकरियों का शिकार किया। इससे कुछ दिन पहले भी एक गांव में बछड़े का शिकार करने का प्रयास किया गया था, तब ग्रामीणों द्वारा पथराव करने पर चीते भाग गए।
यह है शिकार की स्थिति
करीब 350 वर्ग किलोमीटर में फैला कुनो का पुराना अभयारण्य क्षेत्र चित्तीदार हिरणों का गढ़ है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 17.5 जानवर मौजूद हैं। मगर 400 वर्ग किलोमीटर के शेष संरक्षित क्षेत्र में हिरणों की मौजूदगी काफी कम है। वहां प्रति वर्ग किलोमीटर हिरणों की मौजूदगी महज 1.5 हिरण है। यहां पर स्थानांतरण के जरिये अधिक समय तक शिकारों की उपलब्धता जारी नहीं रह सकती है। इसलिए प्रजनन बाड़े  के जरिये उनकी आबादी बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। कूनो में शिकार जानवरों की आबादी के एक आंकलन से पता चलता है कि वहां प्रति वर्ग किलोमीटर 17 शिकार उपलब्ध हैं। जबकि बेहतर उपलब्धता वाले इलाके में प्रति वर्ग किलोमीटर 30 से 35 शिकार  मौजूद हैं। इस इलाके में चीतों के अलावा तेंदुए की आबादी अधिक है जो प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में करीब 26 है।

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