इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए अब नए सिरे से होगा सर्वे

इंटरनेशनल एयरपोर्ट

जगह बदली को बर्बाद हो जाएंगे जमीन के जादूगर

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। देश के सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट का मामला खटाई में  पड़ने  की खबर सामने आते ही देवास जिले के चापड़ा-हाटपीपल्या मुख्य मार्ग पर प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास जमीन खरीदने वाले जादूगर सदमे में हैं।  इसकी वजह यह है की जमीन के जादूगरों (व्यवसायी, उद्योगपति, नेता, अफसर ने मुंह मांगी कीमत देकर सैकड़ों एकड़ जमीनें खरीद ली है। अगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जगह बदली तो जमीन के कई जादूगर बर्बाद हो जाएंगे। दरअसल, कहानी ये है कि इसी साल अप्रैल में सर्वे शुरू हुआ, तो गांववालों ने पूछा क्या हो रहा।  पता चला कि देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट यहां बनने वाला है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने वायु की दिशा आदि का टेक्निकल सर्वे कर जगह को उपयुक्त बता दिया है।
जिससे जमीन खरीदने वालों की कतार लग गई। गौरतलब है कि देवास जिले के चापड़ा-हाटपीपल्या मुख्य मार्ग पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रस्तावित था। एयरपोर्ट के नक्शे के इर्द-गिर्द जो भी जमीन थी, वह रातों-रात 10 गुना तक महंगी हो गई। गांव वालों के मुताबिक हाटपीपल्या, चापड़ा और बागली में जिस जमीन के लिए रात को 400 से 500 रुपए वर्गफीट में सौदा होने की बात चलती, सुबह होने तक वही जमीन 600 रुपए वर्गफीट हो जाती थी। फिर भी जमीन खरीदने वालों की कतार लगी हुई है। लेकिन अचानक इंटरनेशनल एयरपोर्ट का मामला फिलहाल खटाई में पड़ गया है, जिसके चलते कई जमीनी जादूगर सदमे में आ गए हैं, जिन्होंने सैकड़ों एकड़ जमीनें आसपास खरीद ली थीं।  एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नए सिरे से सर्वे करने के लिए 40 लाख रुपए की राशि एमपीआईडीसी ने सौंपी है, जिसकी पुष्टि विभाग द्वारा की गई है। उनके मुताबिक देपालपुर, उज्जैन की तरफ नए सिरे से एयरपोर्ट के लिए सर्वे कराया जा रहा है।

एयरपोर्ट बनते ही जमीन उगलेगी सोना
प्रस्तावित इंटरनेशन एयरपोर्ट के कारण चापड़ा-हाटपीपल्या के आसपास के गांवों की जमीन के भाव जिस तेजी से बढ़े उसके खरीददार भी वैसे ही बढ़े। कर्मचारियों के अनुसार इतनी रजिस्ट्री 10 बरस पहले पूरे महीने में भी नहीं होती थी। चार महीने में यहां 1500 से ज्यादा जमीनों के सौदे हो गए। महंगी होती जमीन के खरीदार कुछ तो इन्हीं 12 गांव के लोग हैं, जो अपना घर बसाने के लिए नई जमीन तलाश रहे हैं। बाकी इंदौर से लेकर देशभर से पहुंचे निवेशक हैं, जिन्हें उम्मीद है कि एयरपोर्ट बनते ही यह जमीन सोना उगलेगी। खबरें हवा की तरह फैली और लोग नक्शे निकाल लाए। 12 गांव जद में थे यानी 2100 हेक्टेयर जमीन पर बनना था एयरपोर्ट। 9750 की आबादी। इंदौर से 46 किमी यानी आधा घंटा और भोपाल से 132 किलोमीटर यानी डेढ़ घंटा दूर। पास ही इंदौर-बैतूल हाईवे और रेलवे लाइन भी बिछ रही है यानी कनेक्टिविटी पक्की थी।
इधर, 12 गांव पितावली, रसलखेड़ी, गुरैया, खजुरियाबिना, उदयपुर, मऊखेड़ा, देवपिपल्या, अमरपुरा, पिपल्यासाहब, बिलावली, लसूडियालाइ, लालीपिपल्या के ग्रामीण भी इंदौर पहुंचे। इस उम्मीद में कि साहब बलिदान देंगे तो मुआवजा ही ठीक मिल जाए। किसान संघ के माखन नाहर बताते हैं कि सबकी जमीन जाएगी। हम नहीं चाहते कि ऐसा विकास हो। प्रेमजी कारपेंटर कहते हैं कि हमने हाटपीपल्या में पांच गुना पैसे देकर प्लॉट खरीदे हैं, ताकि सिर पर छत तो रहे। लोकेन्द्र सिंह सेंधव , धर्मेंद्र सिंह फागवा, परम सिंह सेंधव जैसे कई लोगों की कम या ज्यादा जमीन चपेट में आई है, तो भटक रहे हैं। अब नई खबर मिलते ही गांव में अजीब सा सन्नाटा है। असमंजस ज्यादा है कि अब क्या होगा। गांव वाले कहते हैं कि गाइडलाइन इतनी कम है कि मुआवजा भी उस हिसाब से बहुत कम बनेगा।

रियल इस्टेट कारोबार लगातार ऊंचाई पर
पिछले 6 महीने से चापड़ा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जमीनी कारोबारियों के बीच धूम मची है। इंदौर में तो रियल इस्टेट कारोबार लगातार ऊंचाई पर रहा ही और चारों तरफ ढेरों कालोनियां कट गईं और डायरियों पर करोड़ों का माल भी बिक गया। वहीं जमीनी जादूगरों ने प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास भी सैकड़ों एकड़ जमीनें खरीद लीं, जिसके चलते चार से पांच गुना अधिक भाव भी यहां जमीनों के हो गए। मगर अब पता चला कि यह इंटरनेशनल एयरपोर्ट ही खटाई में पड़ गया, क्योंकि भोपाल से इसकी दूरी 132 किलोमीटर और इंदौर से 46 किलोमीटर है, जिसके चलते उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सांसद शंकर लालवानी और अन्य विशेषज्ञों ने यह दूरी अधिक बताई है। इससे समय के साथ-साथ वाहनों के जरिए होने वाला प्रदूषण भी बढ़ेगा। लिहाजा अब एयरपोर्ट अथॉरिटी आॅफ इंडिया दो से तीन स्थानों पर नए सिरे से सर्वे करेगा, जिसमें देपालपुर के अलावा इंदौर-उज्जैन के बीच जगह तलाशी जाएगी। अभी एमपीआईडीसी ने 40 लाख रुपए की राशि इस सर्वे के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी है। एमडी मनीष सिंह के मुताबिक नए स्थलों के सर्वे के बाद ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जगह तय होगी। दरअसल पूर्व में एमपीआईडीसी ने चापड़ा के आसपास ही तीन जगह का सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे एयरपोर्ट अथॉरिटी ने भी अमान्य कर दिया।

चार गुना बढ़े भाव
इंटरनेशनल एयरपोर्ट का जैसे ही हल्ला मीडिया में मचा उसके बाद जमीनों से जुड़े कारोबारी सक्रिय हो गए। धड़ाधड़ प्रस्तावित स्थल के आसपास जमीनें खरीदी जाने लगीं। 4-5 लाख रुपए एकड़ की जमीन 30-40 लाख रुपए एकड़ तक पहुंच गई। नेता-मंत्रियों से लेकर इंदौर-भोपाल के कई अफसरों ने भी यहां जमीनों में निवेश कर डाला। प्रदेश के कई चर्चित प्रॉपर्टी ब्रोकर भी इस काम में जुटे रहे, मगर अब एयरपोर्ट खटाई में पड़ने और नई जगह शिफ्ट होने के चलते करोड़ों रुपए का निवेश डूब जाएगा। अब श्री महाकाल लोक के कारण इंदौर से उज्जैन के बीच की जगह को इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।  

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