परीक्षा पेपर आउट करने वालों पर अंकुश नहीं

परीक्षा पेपर
  • ‘रासुका’ भी नहीं आई काम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस साल मई में पेपर लीक मामले में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने बड़ा फैसला लेते हुए पेपर आउट करने वालों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई करने की घोषणा की थी। छात्र-छात्राओं के भविष्य से आगे खिलवाड़ ना हो, इसलिए पेपर लीक करने वाले शिक्षकों को 10 साल की सजा होगी। वहीं 10 लाख रुपए का आर्थिक जुर्माना भी वसूला जाएगा। लेकिन सरकार का यह कदम भी काम नहीं आया। हाल ही में संपन्न पांचवी से आठवीं तक की अद्र्धवार्षिक परीक्षा के लगभग सभी पेपर सोशल मीडिया पर एक दिन पहले ही आउट हो गए थे। वहीं लोक शिक्षण संचालनालय की समाप्त हुई नवमीं से बारहवीं तक अर्धवार्षिक परीक्षा के पेपर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने वायरल हुए पेपरों को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की। जानकारों का कहना हैं माध्यमिक शिक्षा मंडल ने रासुका लगाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसके तहत किसी पर कार्रवाई नहीं की है। पांचवीं से बारहवीं तक की परीक्षा के पेपर आउट करने वाले टेलीग्राम पर 52 चैनल हैं। विभाग ने एक पर भी कोई कार्यवाही नहीं की है। ऐसे में पेपर आउट करने वालों के हौसलें बुलंद हैं। दूसरी तरफ लगभग एक महीने बाद दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षा शुरू हो जाएगी। बोर्ड परीक्षा के इस साल मार्च में पेपर वायरल होने के बाद पुलिस कार्रवाई की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। वहीं, मार्च में पेपर वायरल होने के बाद माशिमं की कार्यपालिका समिति की बैठक में इसे रोकने के लिए कई सुझाव दिए गए, लेकिन इन पर आठ महीने बाद भी अमल नहीं हो सका है।
रासुका पर कोई अमल नहीं
गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र की पांचवीं से आठवीं तक की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की गई थी। इसके पेपर बकायदा राज्य शिक्षा केंद्र से भेजे गए थे। प्रश्न- पत्रों को लेकर गोपनीयता बरती जानी थी, लेकिन अर्धवार्षिक परीक्षा के सभी पेपर सोशल मीडिया पर एक दिन पहले वायरल हो गए थे। पांचवीं से बारहवीं तक पेपर आउट करने वाले टेलीग्राम पर 52 चैनल है, लेकिन विभाग की तरफ से अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अब लगभग एक महीने बाद माशिमं की दसवीं-बारहवीं की परीक्षा शुरू होने वाली है। दसवीं-बारहवीं की पिछली मार्च में आयोजित परीक्षा के पेपर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। जिसका मुद्दा विधानसभा में भी उठा। गत अप्रैल में परीक्षा के प्रश्न-पत्रों को लीक होने से रोकने के लिए विभाग ने कई प्रस्ताव तैयार किए। इसमें पेपर लीक करने वालों पर रासुका, दस साल की कैद समेत अन्य सुझाव थे। लेकिन प्रस्ताव बनाने के करीब दस महीने बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग अभी तक इस पर अमल नहीं कर सका है। इस संबंध में विभाग के अधिकारी भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। सिर्फ जल्द ही आदेश जारी करने की बात कह रहे हैं। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं-बारहवीं के प्रश्न-पत्रों को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग गंभीर नहीं है। दरअसल माशिमं की परीक्षा के प्रश्न-पत्र परीक्षा केंद्र के नजदीकी थानों में जमा रहते है। परीक्षा केंद्र की दूरी के अनुसार प्रश्न-पत्रों को परीक्षा शुरू होने के एक घंटा या डेढ़ घंटा पहले कलेक्टर प्रतिनिधि की उपस्थिति में केंद्राध्यक्ष या सहायक केंद्राध्यक्ष थाने से पेपर निकालकर परीक्षा केंद्र तक ले जाते है। लेकिन मार्च 2023 में आयोजित परीक्षा के पहले ही यह प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया पर लीक होने की सूचना चलने लगी। पेपर लीक करने का पूरा खेल थाने से परीक्षा केंद्र पहुंचने के बीच में होता है। मामले में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने चार मार्च को व्राइम ब्रांच भोपाल को कार्यवाही के लिए आवेदन दिया था। लेकिन क्राइम ब्रांच ने इस पर तत्पर कार्यवाही नहीं की। इसके अलावा भिंड जिले में भी एफआइआर करवाई गई। लेकिन पुलिस की तत्परता नहीं दिखाने से सोशल मीडिया पर पेपर लीक होने की सूचनाएं चलती रही। सोशल मीडिया पर पेपर लीक होने का मामला बढ़ा, तो भोपाल, दमोह मुरैना, समेत कई जिलों में पेपर आउट करने वाले शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर करवाई गई। भोपाल समेत कई जगहों पर प्रश्न-पत्र परीक्षा शुरू होने के आधा घंटा पहले सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए गए थे। यही पेपर टेलीग्राम के गुपों तक भी पहुंचे। इन्हीं लीक पेपर के आधार पर कई विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। बावजूद इसके स्कूल शिक्षा विभाग इसे लीक मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस बार फरवरी 2024 में आयोजित होने वाली परीक्षा को लेकर विभाग गंभीर नहीं है। विभाग की तरफ से अभी तक कोई ठोस आदेश जारी नहीं किए गए है।

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