
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की शिव सरकार अब प्रदेश के कर्मचारियों को वार्षिक वेतनवृद्धि देने की तैयारी कर रही है, जिसकी वजह से प्रदेश के खजाने पर हर साल करीब 1800 करोड़ रुपए का भार आने का अनुमान है। यह वेतनवृद्धि ऐसे समय देने की तैयारी है जब सरकारी खजाने को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश सरकार द्वारा यह तैयारी प्रदेश के कर्मचारियों में केन्द्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते की किस्त के रुप में पिछड़ने से उपजे असंतोष को शांत करने के लिए की जा रही है। दरअसल केन्द्र की तुलना में प्रदेश के कर्मचारी पहले से ही पांच फीसदी पीछे चल रहे हैं, ऐसे में केन्द्र द्वारा अब एक बार फिर अपने कर्मचारियों को एक साथ 11 फीसदी महंगाई भत्ता देने की तैयारी कर ली गई है। केन्द्रीय कर्मचारियों को 11 फीसदी महंगाई भत्ता मिलने से मप्र के कर्मचारी उनसे करीब 16 फीसदी पीछे हो जाएंगे। इसकी वजह है अभी जहां प्रदेश के कर्मचारियों को 12 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है वहीं, केन्द्र के कर्मचारियों को अभी यह भत्ता 17 फीसद मिल रहा है। इस वजह से प्रदेश के कर्मचारी इस मामले में केन्द्र की तुलना में 16 फीसदी पीछे हो जाएंगे। इस मामले में पिछड़ने की वजह से अब प्रदेश के कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी में लग गए हैं। इन कर्मचारियों की नाराजगी सरकार को प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में भी भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि अब सरकार ने उन्हें निकाय चुनाव के पहले वार्षिक वेतन वृद्धि देने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों को एक साथ 2 साल का महंगाई भत्ता देने जा रही है।
10 से 20 हजार के बीच हो रहा नुकसान
दरअसल प्रदेश के कर्मचारियों की आर्थिक सेहत तीन तरह से मजबूत होती है। इसमें इंक्रीमेंट, महंगाई भत्ता व पदोन्नति शामिल होती है। इन कारणों से ही उनके वेतन में वृद्धि होती है। कोरोना की वजह से राज्य सरकार द्वारा बीते साल कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा इंक्रीमेंट व महंगाई भत्ता का लाभ नहीं मिल सका था। इसी तरह से पदोन्नति का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से उसका लाभ भी कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में यह पहला अवसर है जब मध्य प्रदेश के गठन 1956 के बाद से प्रदेश के कर्मचारियों को इंक्रीमेंट नहीं दिया गया है। प्रदेश में बीते डेढ़ साल से कर्मचारियों के इंक्रीमेंट पर रोक की वजह से कर्मचारियों को एक साल में 10 से लेकर 20 हजार रुपए तक का नुकसान हो रहा है। यही नहीं प्रदेश के कर्मचारी महंगाई भत्ता, वार्षिक वेतन वृद्धि एवं पदोन्नति न मिलने से मानसिक पीड़ा के दौर से गुजर रहे हैं। खास बात यह है कि जो कर्मचारी एवं अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं उन्हें पेंशन में भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सरकार की आनाकानी
प्रदेश के साढ़े चार लाख से अधिक कर्मचारियों की करीब डेढ़ साल से रुकी हुई वेतन वृद्धि देने में सरकार लगातार आनाकानी करती आ रही है। खास बात यह है कि 27 जुलाई 2020 को वित्त विभाग ने जारी आदेश में कोरोना की वजह से 1 जुलाई 2020 एवं 1 जनवरी 2021 को देय वार्षिक वेतन वृद्धि काल्पनिक रूप से देने की घोषणा की थी। इसमें कहा गया था कि स्थितियां सामान्य होने पर इसके वास्तविक वित्तीय लाभ प्रदान करने के संबंध में अलग से आदेश जारी किए जाएंगे लेकिन सरकार ने कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया ही नहीं है।