बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ रही स्कूल शिक्षा विभाग की कार्यशैली

स्कूल शिक्षा विभाग
  • दशकों से संचालित स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण का मामला  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी स्कूलों की सुचारु व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित होने वाला स्कूल शिक्षा विभाग अब निजी स्कूलों की भी व्यवस्थाएं बिगाडऩे में लगा हुआ है। इससे बच्चों का भविष्य तक खतरे में पडऩे लगा है। दरअसल, विभाग के अफसर जिस स्कूल को चाहते हैं उसकी मान्यता का नवीनीकरण कर देते हैं और जिन्हें नहीं चाहते हैं उनकी मान्यता का नवीनीकरण नहीं करते हैं। ऐसे में कई स्कूलों के बच्चों का साल बर्बाद होने तक के आसार बन गए थे। अगर मान्यता नवीनीकरण नहीं करना है तो सत्र शुरु होने के पहले ही निर्णय ले लिया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में फैसला तब किया जाता है, जब सत्र का कुछ समय निकल गया होता है। ऐसा ही एक मामला  भोपाल के एक स्कूल का है। यह स्कूल करीब साढ़े चार दशक से संचालित हो रहा है, लेकिन बीते साल इसकी मान्यता का नवीनीकरण ही नहीं किया गया। इसके पीछे की जो वजहें बताई गई हैं, वे किसी के गले नहीं उतर रही है। वह तो भला हो हाईकोर्ट का जिसने स्कूल के परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिला दिया है, अन्यथा स्कूल के छात्रों का पूरा साल बर्बाद होना तय था।  दरअसल प्रदेश में पहली से आठवीं की मान्यता जिलों में डीपीसी और नवमीं से बारहवीं तक की मान्यता संभाग स्तर संभागीय संयुक्त संचालकों द्वारा दी जाती है। मान्यता में सबसे ज्यादा अनिमितताएं मान्यता नवीनीकरण में की जा रही है। मान्यता नवीनीकरण सिर्फ प्राइवेट स्कूलों से उगाही का जरिया बनकर रहा गया है। ऐसा इसलिए कि स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण सिर्फ स्कूल संचालकों की अधिकारियों से पटरी बैठने के बाद किया जाता है। अब ऐसा ही मामला राजधानी में आया है।  राजधानी के चांदबड़ इलाके में  मुस्तफा मेमोरियल हाईस्कूल है। यह निजी स्कूल वर्ष 1980 से संचालित है। वर्ष 1996 से नवमी-दसवीं की स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता मिली हुई है। पिछले साल वर्ष 2024 में स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण करने से अधिकारियों ने मना कर दिया। इसमें कारण बताया कि स्कूल तीन मंजिला है। जिससे विद्यार्थियों को ऊपर चढऩे में परेशानी होगी। तकरीबन 44 साल से संचालित स्कूल की मान्यता निरस्त करने की जानकारी स्कूल संचालक को अगस्त 2024 में मिली। तब तक दसवीं में 38 विद्यार्थी प्रवेश ले चुके थे। स्कूल शिक्षा विभाग की गलत नीतियों के चलते संचालक ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। फिलहाल मान्यता को लेकर हाईकोर्ट ने अभी निराकरण नहीं किया है, लेकिन 21 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट ने विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिया है। इसके बाद आनन-फानन में माशिमं ने 23 फरवरी को विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र जारी किए। इन विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र बालक स्टेशन दिया गया है।
मान्यता नवीनीकरण का खेल खेल
मान्यता नवीनीकरण में जमकर उगाही का खेल खेला जाता है। मान्यता नवीनीकरण में पिछले साल तक जिन स्कूलों को संभाग स्तर पर संयुक्त संचालकों ने मान्यता दी थी, उसे इस साल सेटिंग नहीं होने पर निरस्त कर दिया जाता है। ऐसा ही मुस्तफा मेमोरियल के साथ हुआ। सवाल यह है कि जब स्कूलों में कमियां थी, तो पिछले सालों में किस आधार पर मान्यता दी गई। अधिकारियों ने पिछले साल नियमों के विपरीत मान्यता दी, तो ऐसे अफसरों पर विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है। सवाल यह भी है कि बीस-तीस सालों से चल रहे स्कूलों में अब नये मान्यता के नियम किस आधार पर देखे जा रहे है। अगर देखे भी जा रहे, तो सभी में देखे जाए। मान्यता नवीनीकरण में सेटिंग वालों को छोड़ दिया जाता है, जिनकी सेटिंग नहीं होती उनकी मान्यता निरस्त कर दी जाती है।
परीक्षा के लिए मंडल ने वसूले विलंब शुल्क के रुप में 12 हजार  
विभाग की गलत नीतियों से मान्यता को लेकर पूरे सत्र में बच्चे अधर में  रहे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद माशिमं ने 38 विद्यार्थियों को फिलहाल प्रायवेट छात्र के रूप में शामिल किया है। इतना ही नहीं हर विद्यार्थी से 12 हजार रुपए का विलंब शुल्क के साथ परीक्षा फीस ली गई है।  
मान्यता के नियम: स्कूलों की मान्यता के प्रमुख नियम जमीनों का है। नवीन मान्यता में एक एकड़ जमीन होना चाहिए, जबकि पुराने स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण में हाईस्कूल के लिए 4000 वर्गफीट जमीन होनी चाहिए , जिसमें दो हजार निर्मित व दो हजार खाली व हायर सेकेंडरी के लिए 5600 वर्ग फीट जमीन में से 2600 निर्मित व 3000 खाली होना चाहिए। इसके अलावा बालक-बालिका शौचालय, प्रयोगशाला समेत अन्य सुविधाएं भी होना जरुरी है। 

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