मप्र में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान में सबसे कमजोर विद्यार्थी

  • स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की कमी…कैसे सुधरे रिजल्ट
  • विनोद उपाध्याय
विद्यार्थी

मप्र में हर साल जब भी 10वीं, 12वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम आता है सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, सुविधाओं के अभाव की चर्चा शुरू हो जाती है। कुछ दिन चर्चा के बाद मामला अधर में लटक जाता है। एक बार फिर परीक्षा परिणाम को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन जिम्मदार भी भलीभांति जानते हैं कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की कमी है। खासकर अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और अर्थशास्त्र के शिक्षकों की कमी के कारण इन विषयों में प्रदेश के विद्यार्थी सबसे अधिक कमजोर हैं। वित्त विभाग के आंकड़े कहते हैं कि 2022-23 सत्र में 23127, 2023-24 सत्र में 6144, 2024-25 सत्र में 942 पदों को स्वीकृति दी गई है। यानी 2022 से 2025 तक के लिए वित्त विभाग ने कुल 30213 पदों को भरने की स्वीकृति दी है। सरकारी दस्तावेज में ये भी कहा गया है कि वर्तमान में कई विषयों में पात्रताधारी अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की वजह से सीमित संख्या में ही भर्ती की जाएगी। इसलिए 2022-23 में 15 हजार 252, 2023-24 में 13 हजार 963 और 2024-25 में 942 पदों पर भर्तियां की जाएंगी। देश में नई शिक्षा नीति के बारे में भले ही बढ़-चढ़कर बातें हो रही हैं। लेकिन सरकारी स्कूलों में कोई खास बदलाव नजर नहीं दिख रहा है। कम से कम मध्यप्रदेश में तो कोई असर नहीं दिख रहा है। हाल ही में एमपी बोर्ड हायर सेकंडरी एग्जाम के नतीजों ने भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की पोल खोलकर रख दी है। हालही में मप्र बोर्ड 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षा के परिणाम आए तो उसमें यह तथ्य सामने आया है कि अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व अर्थशास्त्र में सबसे अधिक कमजोर विद्यार्थी हैं। दोनों कक्षाओं में विद्यार्थियों का सबसे खराब प्रदर्शन अंग्रेजी में है। जहां 10वीं में करीब तीन लाख तो 12वीं में करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी फेल हुए हैं। वहीं 10वीं में गणित में 2.91 लाख, विज्ञान में 2.41 लाख, सामाजिक विज्ञान में 2.27 लाख फेल हुए हैं। इसी तरह 12वीं में अर्थशास्त्र में 53 हजार, भौतिकी में 60 हजार फेल हुए हैं। यहां तक कि हिंदी में भी दोनों कक्षाओं में विद्यार्थियों का प्रदर्शन खराब है। इसका सबसे बड़ा कारण है स्कूलों में शिक्षकों की कमी।
शिक्षकों के 98470 पद खाली पड़े
मप्र में सरकार स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के सरकार कई तरह के नवाचार कर रही है। लेकिन शिक्षकों की कमी को दूर नहीं किया जा रहा है। इस कारण उच्च माध्यमिक शिक्षक वर्ग में विषयवार शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली है। ऐसे में प्रदेश के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना मुश्किल है। बता दें, कि 10वीं में 8.21 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। 58.10 प्रतिशत परिणाम रहा। वहीं 12वीं में 6.24 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनका परिणाम 64.49 प्रतिशत रहा। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी दोनों कक्षाओं के विषयवार परिणामों की समीक्षा करने में जुटे हैं। वहीं शिक्षाविद का कहना है कि जब शिक्षकों के पद आधे से अधिक खाली होंगे तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव नहीं है। विभाग को पहले खाली पदों को भरना होगा।
भर्ती न होने से गड़बड़ा रहा एजुकेशन सिस्टम
हैरानी की बात ये है कि इससे पहले प्रदेश में शिक्षक भर्ती परीक्षा साल 2018 में हुई थी तब 22 हजार नए पद थे, लेकिन इस बार नए पद सिर्फ 5052 हैं। दूसरी तरफ जितने पदों पर भर्तियों के लिए सरकार ने परीक्षा ली थी उन पर भी भर्तियां नहीं दी जा रही हैं। सरकार की ओर से कभी ओबीसी आरक्षण का हवाला दिया जाता है तो कभी सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग होने की बात कही जाती है। इधर, वर्ग-1 की उच्च माध्यमिक शिक्षक परीक्षा के चयनित उम्मीदवार लंबे समय से नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। चयनित उम्मीदवार नियुक्तियों और पदवृद्धि की मांग लेकर प्रदर्शन और आंदोलन भी कर रहे हैं। सरकार के उदासीन रवैये की वजह से अब उनकी नाराजगी और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उच्च माध्यमिक वर्ग में अंग्रेजी व हिंदी में शिक्षकों के आधे पद खाली हैं। जहां अंग्रेजी में शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से 5900 में से 2910 पद खाली हैं। वहीं गणित विषय में से स्वीकृत पद 3700 में से 1823 पद खाली हैं। इसी तरह हिंदी में 6040 स्वीकृत पदों में से 3029 पद खाली है।
शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली
1 दिसंबर 2022 को जारी मध्यप्रदेश सरकार राजपत्र के मुताबिक प्रदेश के हाईस्कूलों में प्राचार्य और उप-प्राचार्य के 1114, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 34789, मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक के 250, माध्यमिक शिक्षकों के 60686, माध्यमिक शिक्षक खेल के 931 और माध्यमिक शिक्षक संगीत के 700 पद खाली हैं… यानी राजपत्र कहता है कि प्रदेश में कुल मिलाकर 98470 पद खाली पड़े हैं। अब इनमें से प्राचार्य, उप प्राचार्य और प्राधानाध्यापकों के कुछ पद समय-समय पर भरे जाते रहे हैं लेकिन चिंता की बात ये है कि बच्चों को क्लासरूम में पढ़ाने वाले उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 34789 और माध्यमिक शिक्षकों के 60686 पद खाली हैं। यानी सिर्फ इन्हीं दोनों कैटेगरी के कुल 95475 पद खाली हैं। इनमें से उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 34789 पदों में से सरकार सिर्फ 8720 पदों पर भर्ती कर रही है। इनमें भी नए पद सिर्फ 5052 हैं। और इनमें भी 45 फीसदी पद बैकलॉग के हैं। इन पदों को भरने के लिए सरकार ने 2023 में वर्ग-1 की चयन और पात्रता परीक्षा ली थी।
विषयवार उच्च माध्यमिक शिक्षकों का आंकड़ा
विषय स्वीकृत पद भरे पद खाली पद

अंग्रेजी 5900 2990 2910
गणित 3700 1877 1823
हिंदी 6040 3011 3029
इकोनामिक्स 3100 1420 1680
भौतिकी 3400 1399 2001
रसायनशास्त्र 3800 1489 2311
जीवविज्ञान 4000 2200 1800
इतिहास 2400 1590 810
राजनीतिशास्त्र 3700 1690 2010
भूगोल 2350 900 1450
समाजशास्त्र 500 200 300
वाणिज्य 1200 800 400
कृषि 600 200 400
उर्दू 90 70 20

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