भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पीडब्ल्यूडी और जल संसाधन विभाग अपने चहेते अफसरों को उपकृत करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं फिर सरकारी खजाने को कितना ही नुकसान क्यों न उठाना पड़े। सरकार भी इन दोनों ही विभागों के अफसरों पर इसके बाद भी जमकर मेहरबान बनी रहती है, जिसकी वजह से उनके हौसले बुलेद बने रहते हैं और वे सरकार के खजाने को चूना लगाते रहते हैं।
इन दोनों ही विभागों को लेकर जो मामला सामने आया है उसमें पाया गया है कि पिछले तीन सालों के दौरान ठेकेदारों से करीब 44 करोड़ की रॉयल्टी की ही वसूली तो की ही नहीं गई है साथ ही करीब 11 करोड़ रुपए का निर्धारण भी कम किया गया है। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 55 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार को हर साल करीब 6 हजार करोड़ का राजस्व खनिज रॉयल्टी और नीलामी से मिलता है। निर्माण कार्यों में लगे विभाग भी ठेकेदारों से रॉयल्टी की राशि को वसूल करते हैं। सड़क निर्माण और बांधों के निर्माण के उपयोग में लाई जाने वाली गिट्टी, मुरम, रेत और मिट्टी पर ठेकेदारों से 100 रुपए घनमीटर के हिसाब स रॉयल्टी ली जाती है, लेकिन मार्च 2018 के बाद से लोक निर्माण विभाग द्वारा 18 संभागों में कराए गए 1,364 करोड़ के कार्यों तथा जल संसाधन विभाग द्वारा 13 संभागों में कराए जाने वाले 1,655 करोड़ के कामों में ठेकेदारों से 44 करोड़ की रॉयल्टी की वूसली ही नहीं की गई है। यही नहीं इस अवधि में लगभग 11 करोड़ रुपए की रॉयल्टी का कम निर्धारण किया गया है। सीएजी की जांच में पीडब्ल्यूडी के 70 अनुबंधों एवं जल संसाधन के 337 अनुबंधों के कार्य 50 लाख से अधिक की लागत के काम कराए गए हैं। इस खुलासे के बाद अब यह दोनों विभाग ठेकेदारों से रॉयल्टी की वसूली की जांच में लग गए हैं।
रेत उपयोग पर नहीं की गई वूसली
जल संसाधन विभाग ने गंजबासौदा, सीहोर, शाजापुर, सिंगरौली, जबलपुर, रतलाम, उमरिया आदि जिलों में रेत का उपयोग ठेकेदारों द्वारा किए जाने पर उनसे रॉयल्टी के रूप में करीब 11 करोड़ की राशि की वूसली ही नहीं की है। इस मामले में अब जल संसाधन विभाग के आला अफसरों का कहना है कि ठेकेदारों से रॉयल्टी नहीं वसूले जाने के मामले में सीएजी द्वारा लिखे जाने के बाद इसकी वमसली के लिए कार्यपालन यंत्रियों को निर्देश दे दिए गए हैं।
07/02/2022
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