पिछले दरवाजे से नियुक्तियों की पहली बार टूटी परंपरा

  • चहेते लोगों को उपकृत करने में असफल रहे सरकार के आधा दर्जन से अधिक बड़े मंत्री

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मंत्री स्थापना में उनकी पसंद के रहने वाले कर्मचारियों को इस बार सरकार की पक्की नौकरी नहीं मिल सकी है। अपने चहेते इन कर्मचारियों को सरकार की पक्की नौकरी के लिए सरकार के एक दो नहीं बल्कि सात-सात मंत्रियों द्वारा प्रयास किए गए थे, लेकिन मामला पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ सका है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या करीब सवा सौ के आसपास है। हालांकि इसके लिए आचार संहिता लागू होने के पहले उनका साक्षात्कार करा लिया गया था। इन्हें मंत्रालय में बतौर स्थाई रुप से चतुर्थ श्रेणी पद पर पदस्थ किया जाना था। इसके लिए सात मंत्री दो बार जीएडी को नोटशीट लिख कर अपनी अनुंशसा भेज चुके हैं। अब अगर प्रदेश में सरकार बदल जाती है तो , ऐसे कर्मचारियों की आशाओं पर पानी फिर सकता है। सरकारी नियमों के अनुसार  प्रदेश में मंत्रियों को अपने स्टाफ में चार कर्मचारी रखने के अधिकार हैं। यह कर्मचारी मंत्री अपनी पसंद के आधार पर रखते हैं। परंपरा के अनुसार विधानसभा चुनाव आचार संहिता के पूर्व सरकार के अंतिम कार्यकाल तक इन्हें मंत्रालय में इसलिए पदस्थ किया जाता रहा, क्योंकि अगली सरकार किसकी आती है। यह तय नहीं रहता है। इसी वजह से आचार संहिता के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, आयुष राज्य मंत्री रामकिशोर कांवरे, स्वास्थ्य मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाहा ने सामान्य प्रशासन विभाग को नोटशीट लिखी थी। यह नोटशीट इसलिए भी लिखी गई थी ताकि, इन कर्मचारियों को आचार संहिता के पूर्व वल्लभ भवन में पदस्थापना मिल सके। मंत्री स्थापना के इन कर्मचारियों को वल्लभ भवन में चतुर्थ श्रेणी पद पर पदस्थापना देने के लिए 17 सितम्बर को परीक्षा आयोजित की गई थी। वल्लभ भवन पर मंत्री स्थापना के तहत भृत्य, फर्राश, चौकीदार, जमादार एवं कुली कर्मचारियों की परीक्षा कराई गई थी। इसमें परीक्षा के अलावा साइकिल चालन टेस्ट हुआ था। उम्मीद थी कि साक्षात्कार के उपरांत कर्मियों की पदस्थापना होगी, लेकिन जानकारी है कि शिकायत होने पर मुख्य सचिव द्वारा इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। यह बात अलग है कि इस तरह की नियुक्तियों का आम बेरोजगार विरोध करता है। उसका मानना है कि पिछले दरवाजे इस तरह से नियुक्तियां नहीं की जानी चाहिए।
कुली कर्मचारियों से बढ़ी उलझन
 कुली कर्मचारियों को परीक्षा में शामिल करने के बाद यह मामला उलझा है। कारण है कि मंत्री अपने विवेक के आधार पर अपनी स्थापना में भृत्य, फर्राश, चौकीदार और जमादार को रखते हैं। जीएडी को जो शिकायत की गई थी। उसमें इसी बात का उल्लेख किया गया था कि जब मंत्री स्थापना में कुली रखने का प्रावधान है ही नहीं, तो आखिर उन्हें परीक्षा में शामिल क्यों किया गया। इसी शिकायत पर सीएम ने रोक लगाकर जांच के निर्देश दिए थे।

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