बदलेगा पुलिस का ढर्रा, छोटे पुलिसकर्मियों की होंगी समस्याएं दूर

पुलिसकर्मियों
  • मैदानी हकीकत समझने प्रमुख सचिव गृह कर रहे दौरे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पहली बार गृह विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे मैदानी स्तर पर विभागीय कार्यालयों का दौरा कर पदस्थ पुलिसकर्मियों की न केवल समस्याएं पता कर रहे हैं, बल्कि वे पुलिस के कामकाज और आम आदमी को होने वाली परेशानियों को भी समझ रहे हैं। अहम बात  है कि वे इस दौरान पुलिस मुख्यालय की हर शाखा का कामकाज भी देख रहे हैं, जिससे की उन्हें विभाग की हर जानकारी हो सके। इस दौरान उनके द्वारा न तो कोई टीप लिखी जाती है और न ही कोई टिप्पणी की जाती है। वे केवल बातचीत कर कामकाज को समझने का प्रयास करते हैं। यह सब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उस मंशा का हिस्सा है, जिसके तहत वे पुलिस का चाल चरित्र और चेहरा बदलना चाहते हैं, जिससे हर आमजन की शिकायतों का पुलिस पारदर्शी तरीके से तेजी से समाधान करे। इसी तरह से पुलिस के व्यवहार में परिवर्तन आए इसके लिए मैदानी स्तर पर आरक्षक से लेकर उपनिरीक्षक तक की उन समस्याओं को भी पता करने का प्रयास किया जा रहा है , जिसकी वजह से वे परेशान रहते हैं और उनका व्यवहार खराब होता है। दरअसल यही वो अमला होता है, जो मैदानी स्तर पर पूरा कामकाज देखता है। फिर कानून व्यवस्था की बात हो या फिर सुरक्षा की। दरअसल पुलिस विभाग अनुशासन वाली यूनिफॉर्म फोर्स है। इसकी वजह से विभाग का निचला अमला अपनी समस्या विभाग के आला अधिकारियों को सीधे नहीं बता पाता है। यही नहीं अगर वह अपनी बात दमदारी से रखने का प्रयास भी करता है , तो उस पर अनुशासनहीनता तक की कार्रवाई कर दी जाती है। अगर दूसरे विभागों की बात करे तो उनमें एक चतुर्थ श्रेणी तक का कर्मचारी अपनी बात सीधे विभाग के मुखिया तक के सामने रख सकता है। फिर चाहे विभाग का प्रमुख सचिव ही क्यों न हो। फिलहाल पुलिस विभाग के अफसर जरुर प्रमुख सचिव के दौरों को लेकर हैरान परेशान हैं। वे इसकी वजह भी जानने व समझने का प्रयास अपने अपने हिसाब से कर रहे हैं।
रिपोर्ट बनाकर देंगे सीएम को…
अति विश्वसनीय सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर ही प्रमुख सचिव गृह द्वारा पुलिस विभाग की विभिन्न शाखाओं का दौरा कर उसकी कार्यप्रणाली को समझ रहे हैं। इसके बाद उनके द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। इसके बाद एक बैइक की जाएगी जिसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह तथा डीजीपी इस रिपोर्ट पर मंथन कर निर्णय लेंगे कि पुलिस विभाग के कामकाज को और किस तरह से पारदर्शी और बेहतर बनाया जा सकता है। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव के लिए लागू आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस कार्य में और तेजी आएगी। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पुलिस थाने में आम जन की शिकायतों का समय पर सही ढंग से निराकरण हो और पुलिस आम जनता से अच्छा व्यवहार करे, इसके लिए जो बेहतर हो सकता है, वह किया जाए।
इस तरह की परेशानियां
फिलहाल पुलिस कर्मियों को अभी जिस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उसमें उनके काम के समय का निर्धारण नहीं है। इसी तरह से उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलता है, तथा जरूरी होने पर भी  अन्य अवकाशों के लिए परेशान होना पड़ता है। थाना प्रभारी का पूरे स्टाफ के प्रति एक समान व्यवहार नहीं रहता। है।  अधिकारियों का व्यवहार निचले स्टाफ के प्रति बेहद खराब होता है। उन्हें शासन द्वारा घोषित सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। महिला कर्मचारियों के लिए थानों में अलग से कोई सुविधाएं नहीं रहती।  पदस्थापना के नियमों का पालन नहीं होता। सिस्टम में उन्हें सम्मान नहीं मिलता है और विभागीय जांच व पदोन्नति प्रकरण लंबे समय तक लंबित बने रहते हैं।

Related Articles