महाकाल लोक के बाद उज्जैन में एक और आकर्षण का केंद्र
हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। हाकाल लोक के बाद उज्जैन में 18 पुराणों की सचित्र गाथा आकर्षण का केंद्र बनने वाली है। महाकाल मंदिर के समीप संस्कृति विभाग के त्रिवेणी संग्रहालय में 18 पुराणों की गाथा सजेगी। यह गाथा पेंटिंग्स के रूप में रहेगी। 18 चित्रकार 18 पुराणों की पेंटिंग्स तैयार कर रहे हैं। इस पेंटिंग्स की विशेषता यह होगी की इस देखकर पुराणों की गाथा को लोग जान सकेंगे। संग्रहालय को इस तरह संचालित किया किया जाएगा, जिससे कि विभिन्न अवसरों पर आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। संग्रहालय में ओपन थिएटर व सभागृह भी है। स्मार्ट सिटी कंपनी महाकाल मंदिर क्षेत्र को पर्यटन के नजरिए से विकसित कर रही है। संग्रहालय प्रबंधक डॉ. भावना व्यास बताती हैं कि संग्रहालय को और दर्शनीय बनाया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न उपाय होंगे। गौरतलब है कि त्रिवेणी संग्रहालय महाकाल मंदिर के समीप होने से इसे शिव, शक्ति और श्रीकृष्ण पर केंद्रित किया है। यहां शिव, देवी और श्रीकृष्ण से संबंधित चित्र व मूर्ति कला के अलावा अन्य पौराणिक व लोक संदर्भों को संग्रहित किया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज्ञानवर्धक व शोधपरक जानकारी मिलती है। अब इसी कड़ी में यहां 18 पुराणों की चित्रमयी गाथा सजेगी। ताकी यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक पुराणों को जान और समझ सकें। पूरी के के आर्टिस्ट प्रहलाद महाराणा ने बताया कि उन्होंने उडिय़ा पट्ट शैली में विष्णु पुराण के चित्रों को तैयार किया है। कैनवास हाथों से तैयार करना पड़ता है। इसके लिए काथा गोंद मिलाकर वॉटर कलर तैयार किए जाते हैं। इससे 100 सालों तक पेंटिंग खराब नहीं होती। किशनगढ़ के रहने वाले शहजाद अली ने बताया कि पदम पुराण के संस्कृत का हिंदी अनुवाद कर उसे पढ़ा और कथा को समझा। मैंने 280 चित्र तैयार किए हैं। ज्यादातर पेंटिंग में स्टोन कलर का यूज किया गया है।
नौ पुराणों पर अब तक काम पूरा
उल्लेखनीय है कि सनातन धर्म में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है। यह हमें ईश्वर के स्वरूपों और उनकी लीलाओं के जरिए उनकी महिमा और जीवन के सिद्धांतों का ज्ञान देते हैं। हिंदु धर्म में पुराणों की कुल संख्या 18 है। 18 पुराणों में अलग-अलग देवी- देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं। इन्हें अब तक सिर्फ सुना या पढ़ा ही जाता है, लेकिन अब देश में पहली बार इनमें लिखी उपदेश नियमों को चित्रों के माध्यम से भी समझा जा सकेगा। मप्र संस्कृति विभाग इन पर देश के ख्यात 18 चित्रकारों से पेंटिंग्स तैयार करवा रहा है। नौ पुराणों पर अब तक काम पूरा हो चुका है और शेष पर चल रहा है। इन्हें उज्जैन स्थित त्रिवेणी संग्रहालय में लगाया जाएगा। जनजातीय संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया कि तैयार किए जा रहे चित्रों में सबसे ज्यादा चित्र श्रीमद्भागवत के हैं। इनकी संख्या 300 है और सबसे कम 25 चित्र अग्नि पुराण में हैं। भविष्य, नारद और मतस्य पुराण के लिए अब तक चित्रकार नहीं मिल पाए हैं।
पुराणों का चित्रण बनेगा आकर्षण
त्रिवेणी संग्रहालय में शिव, देवी और श्रीकृष्ण से संबंधित पर्व-त्योहारों पर सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। संग्रहालय को इस तरह संचालित किया जाता है कि विभिन्न अवसरों पर आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। जब यहां पुराणों का चित्रण होगा तो यह अपने आप में आकर्षक होगा। अशोक मिश्रा के अनुसार कैलाश चंद्र शर्मा ने लिंग पुराण में लघु चित्र जैन शैली में 179 चित्र बनाए हैं, वहीं रघुपति भट्ट ने ब्रह्माण्ड पुराण में गंजिफा शैली में 48 चित्र तैयार किए हैं। विष्णु पुराण के चित्र उडिय़ा पट्ट शैली में प्रहलाद महाराण बना रहे हैं। इसमें 150 चित्रों के माध्यम से कथा को कहा गया है। मार्कण्डेय पुराण के 90 चित्रों को वैकुण्ठम नक्काश ने चेरियाल पट्टम शैली में तैयार किया है। विश्वनाथ रेड्डी ने ब्रह्म पुराण को कलमकारी में तैयार किया है, इस शैली में 90 चित्रों का संयोजन है। सुजीथ कुमार ने शिव पुराण के 50 चित्रों को केरला म्यूरल में तैयार किया है। वराह पुराण के 50 चित्र पद्मश्री भज्जू श्याम गोंड चित्र शैली में बनाए हैं। शहजाद अली ने पद्म पुराण के 280 चित्र किशनगढ़ शैली में तैयार किए हैं। गरुड़ पुराण की नाथद्वारा शैली में 50 चित्रों को नरोत्तम मिश्रा ने तैयार किया है। विजय शर्मा गुलेर शैली में भागवत पुराण के 250 चित्र तैयार कर रहे हैं। इसी तरह अग्नि पुराण के 27 चित्रों को मैसूर शैली में जेएस श्रीधर राव बना रहे हैं। वामन पुराण के 45 चित्रों को तंजावुर शैली में महेश राज और कूर्म पुराण के 50 चित्रों को एम रमेश राज नायका शैली में बना रहे हैं। शांति देवी झा स्कन्द पुराण के 250 चित्रों को मधुबनी शैली में बना रही हैं, वहीं ब्रह्म वैवर्त पुराण के 160 चित्रों को जयशंकर शर्मा बूंदी चित्र शैली में तैयार कर रहे हैं। कैलाश चंद्र शर्मा नारद पुराण को जोधपुर जैन शैली में तैयार करेंगे, इसमें 175 चित्र होंगे।