सक्रियता में खरा उतरने पर ही रहेगा पार्टी में रुतबा बरकरार

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  • प्रदेश भाजपा करेगी पदाधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक का आंकलन

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अब भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को अब अगर अपना रुतबा कायम रखना है तो उन्हें मैदानी स्तर पर पसीना बहाना होगा , अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो फिर उन्हें अपने पदों से भी हाथ धोना पड़ सकता है। दरअसल पार्टी हाईकमान को लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि पद के रुतबे से सत्ता की मलाई खाने वाले प्रदेश के अधिकांश नेता सक्रियता दिखने में कोताही बरत रहे हैं। यही नहीं वे आम आदमी तो दूर पार्टी कार्यकर्ताओं तक से मिलने जुलने में भी परहेज करते हैं। यही वजह है कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रवास के बाद प्रदेश संगठन इस मामले में सक्रिय हो गया है।
इसके लिए पार्टी के आला नेताओं के बीच बंद कमरे में मंथन कर रणनीति पर भी चर्चा की जा चुकी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी पदापधिकारियों की सक्रियता का आंकलन करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक टीम का गठन किया जा रहा है। इस टीम की रिपोर्ट को दिल्ली भेजा जाएगा। दरअसल इसको लेकर दो दिन पहले भोपाल प्रवास के समय पार्टी दफ्तर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिए थे। उनके द्वारा कहा गया था कि केवल सत्ता के बेहतर काम से ही संगठन मजबूत नहीं होगा, बल्कि संगठन के मजबूत होने से सत्ता हमें मिलती रहेगी।
उन्होंने जिम्मेदारों से कहा था कि अब एसी कमरे और गाड़ी में बैठकर भाजपा की राजनीति नहीं होगी, बल्कि मैदान में जाकर पसीना बहाना होगा, जिसमें इसका सामर्थ्य न हो, उन्हें पद पर नहीं रहना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री शाह ने एक बार तय कर दिया है कि भाजपा में सत्ता से ज्यादा संगठन को महत्व दिया जाता है। इसलिए हर नेता को अपनी उपयोगिता सिद्ध करनी होगी। बताया गया है कि जो नेता सक्रिय नहीं रहेंगे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। शाह के इस निर्देश के बाद प्रदेश संगठन ने बीते रोज एक अहम बैठक की, जिसमें प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की बंद कमरे में हुई, जिसमें तय किया गया कि बूथ लेबल पर पदाधिकारियों की सक्रियता की मॉनिटरिंग की जाएगी।
कॉमन सिविल कोड से वोट बैंक पर निशाना
आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कॉमन सिविल कोड के जरिए बड़े वोट बैंक पर निशाना साधा है। शाह ने दौरे में कहा था कि सीएए, धारा 370, राम मंदिर और ट्रिपल तलाक हो चुका, अब कॉमन सिविल कोड की बारी है। उत्तराखंड में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। भाजपा की इस कॉमन सिविल कोड के जरिए बड़े हिंदू वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश है। हिंदू तबका कई बार मांग उठा चुका है कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। कुछ तबके विरोध भी कर रहे हैं, पर भाजपा एजेंडे के तहत कॉमन सिविल कोड लागू करने कदम बढ़ा रही है। चुनावों में मप्र में इसके जरिए फायदे की उम्मीद है।
सरकार व संगठन को मिली ताकत…
शाह के दौरे से सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को ताकत मिली है। एक ओर जहां वनवासी सम्मेलन में शाह ने सीएम की तारीफ की, तो दूसरी ओर प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठक के दौरान कामकाज और अध्यक्ष को सर्वोपरि मानने की गाइडलाइन दी। संगठन के महत्व को बताकर नेताओं को मजबूत करने का संकेत दिया। ऐसे में अब शिवराज और वीडी और ताकतवर होकर उभरेंगे।
दिग्गजों को कमजोर बूथ करने होंगे मजबूत
मिशन 2023 की तैयारी में जुटी प्रदेश भाजपा को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल प्रवास पर चुनावी जीत के कई टिप्स दिए हैं। उनके द्वारा बूथ मजबूती पर फोकस करने का फॉर्मूला तो दिया ही गया है साथ ही नसीहत भी दी है कि कमजोर इलाकों के बूथ को जिताने की जिम्मेदारी मंत्री-विधायकों सहित क्षेत्र के दिग्गज नेताओं को दें। संगठन ने सभी बूथों को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर कमजोर और कभी न जीत सकने वाले बूथ चिन्हित किए हैं। विधानसभा की ऐसी सीटों की संख्या करीब आधा सैकड़ा बताई जाती हैं, जिन पर भाजपा कभी -कभार ही जीत सकी है या फिर कभी नहीं जीत सकी है। इसी तरह से भाजपा ने अपने बूथ विस्तार अभियान के तहत हर बूथ पर 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है। इस अभियान को सफलता के साथ पूरा करने शाह ने अपनी ओर से यह फॉमूर्ला भी दिया है कि मंत्री-विधायकों जैसे बड़े नेताओं को सबसे कमजोर बूथों पर जीत सुनिश्चित करने की ड्यूटी सौंपी जाए। इसके लिए उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता- संगठन में जो लोग बड़े पदों पर बैठे हैं उन सभी को इस अभियान में लगाया जाए।
मंडल स्तर के पदाधिकारियों तक होगी मॉनिटरिंग
सूत्रों का कहना है कि मॉनिटरिंग के लिए नए सिरे से जो रणनीति बनाई जा रही है, उसमें जिला और मण्डल स्तर के पदों पर भी काम करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की भी जिम्मेदारी भी तय होगी,जिससे वे अपने अपने क्षेत्रों में और अधिक सक्रिय हो सके। यही नहीं इसके लिए जल्द ही पदाधिकारियों से पूछा जाएगा कि वे किन दस बूथ को गोद ले रहे हैं। वे अपने बूथ पर हर माह कितना प्रवास कर रहे हैं, इसका रिकार्ड प्रदेश संगठन के पास रहेगा। साथ ही उनकी सक्रियता की वजह से बूथ स्तर पर पार्टी को कितना लाभ मिला है, इसकी भी जानकारी संकलित की जाएगी। इसी आधार पर रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा।

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