- मंत्रियों के बंगलों और दफ्तरों के स्टाफ को दिया जा रहा प्रशिक्षण
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। अब मंत्रियों के बंगलों और दफ्तरों में कार्य करने वाला स्टाफ आपका स्वागत या अभिनंदन करे तो आप घबराइएगा नहीं। दरअसल, माननीयों के बंगलों पर काम करने वाले स्टाफ को प्रदेश सरकार शिष्टाचार का पाठ पढ़ा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा है की माननीयों का स्टाफ कर्मयोगी बने। यानी वह रचनात्मक, कल्पनाशील, सक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊजार्वान, सक्षम, पारदर्शी होने के साथ ही शिष्ट बने। जाकि मंत्रियों से मिलने आने वाले लोग अपने आप को उपेक्षित न समझे। प्रशिक्षण के दौरान तनाव प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, यातायात संबंधी नियमों की जानकारी भी दी जा रही है। अकादमी के महानिदेशक अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने वाहन चलाते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में ब्Ñजानकारी दी है। प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को गोपनीयता बरतने का पाठ भी पढ़ा गया है। सरकार की कोशिश है कि मंत्रियों के शासकीय आवास या कार्यालय में जब कोई मिलने आए तो उसके साथ व्यवहार ऐसा होना चाहिए, जिससे उसे संतोष रहे कि उसकी पूछ-परख हुई है, सम्मान मिला है। इससे सरकार की छवि बनती है और सकारात्मक संदेश भी जाता है। इसके लिए मंत्रियों के सेवकों को अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पहली बार शिष्टाचार का पाठ पढ़ा रही है। भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में अभी भृत्य, सुरक्षाकर्मी और वाहन चालकों को शामिल किया गया है। अगले चरण में मंत्रियों के निज सचिव और सहायकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्रशासन अकादमी ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किया है। जानकारी के अनुसार सीएम शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप प्रशासन अकादमी ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किया है। पहले चरण में 30 कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। पाठ्यक्रम तैयार करने वाली ज्ञानेश्वरी राव ने बताया कि केंद्र सरकार के मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम के आधार पर क्षमता संवर्धन का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया गया है। जब भी कोई मंत्री के कार्यालय या आवास पर आता है तो उसके साथ किस तरह पेश आना चाहिए, इसका प्रशिक्षण होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से दिलाया गया है। उन्हें बताया गया है कि जब भी पानी या चाय लेकर आएं तो हाव-भाव ऐसे रहने चाहिए कि जैसे आपको उनके आने से प्रसन्नता हुई है। आदर के साथ बात करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें।
शिष्टाचार की बारिकियां भी सिखाई जाएगी
मिशन कर्मयोगी के तहत काम को किस तरह और ज्यादा बेहतर किया जाए, उस पर काम किया जाएगा। मिशन कर्मयोगी में कर्मचारियों की कुशलता बढ़ाना योजना का प्रमुख लक्ष्य है। टेलीफोन उठाएं तो विनम्रता से बात करें। परिचय पूछें और समाधानकारक उत्तर दें। यदि मंत्री जी व्यस्त हैं और बात कराना संभव नहीं है तो बताएं कि बाद में संपर्क करें। सुरक्षाकर्मियों को बताया जा रहा है कि आप सर्वाधिक समय मंत्री के साथ रहते हैं। आमजन जब मंत्री को ज्ञापन देना चाहते हैं या मिलना चाहते हैं तो उस समय व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि कोई भी उपेक्षित महसूस न करे। धैर्य से बात सुनें और बताएं कि संबंधित तक इन्हें पहुंचा दिया