साध्वी, स्थिति का व्यंग्य यह की व्यंग्य की स्थिति बनी हुई है

साध्वी

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। शराब बंदी को लेकर अपनी सरकार को घेरने का चक्रव्यूह रचने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब खुद ही उसमें इस तरह उलझ गई हैं कि वे चाहकर भी उससे बाहर नहीं निकल पा रही हैं। इसकी वजह से उनको लेकर अब व्यंग्य की स्थिति बनी हुई है। दरअसल उमा भारती शराब बंदी के बहाने लोगों की सहानूभूति पाने के साथ ही सरकार में अपनी अहिमियत में वृद्धि देखना चाहती थीं , लेकिन अब यही दांव उन पर उल्टा पड़ गया है।
शिव सरकार तो दबाब में नहीं आयी , लेकिन उन्हें अब इस मामले में खुद दबाव महसूस होने लगा है। कहा तो यह जाता है कि उनकी फितरत ही कुछ ऐसी है कि वे राजनैतिक मामलों में मनमानी करना पसंद करती हैं, जिसका खामियाजा उनके साथ ही उनके समर्थकों को भी उठना पड़ता है। यही वजह है कि अब उनके साथ रहने वाली समर्थकों की फौज नाम के लिए ही रह गई है। शराब बंदी के मामले को भी इसी फितरत से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रखर वक्ता और मानस बिदुषी होने के साथ ही अपने लोधी समाज पर मजबूत पकड़ रखने की वजह से फायरब्रांड नेता की छवि होने के बाद भी उन्हें इन दिनों पार्टी में पूर्व की तरह महत्व मिलता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह उनकी इसी कार्यशैली को ही माना जा रहा है। शराब बंदी अब प्रदेश में ऐसा मुद्दा बन गया है जिसके मामले में वे सरकार व संगठन के अलावा विपक्षी नेताओं के निशाने पर भी आ चुकी हैं। उमा ने पहले शराबबंदी का ऐलान किया, लेकिन फिर यू-टर्न ले लिया। शुरुआत में तो उनके द्वारा सीधे शराबबंदी की जरूरत बताई गई, फिर संकल्प और जन जागरण के रास्ते से शराबबंदी का रास्ता खोजने पर जोर देना उनके द्वारा शुरू कर दिया गया। इसके बाद भी सरकार झुकती और संगठन व जनता का इस मामले में उन्हें साथ मिलता नही दिखा तो उन्होंने चेतावनी देते हुए 15 जनवरी तक शराबबंदी न होने पर भोपाल में लट्ठ लेकर सड़क पर उतरने का एलान कर दिया। इसके बाद घोषित तारीख पर आंदोलन करना तो दूर भोपाल तक नहीं आयीं। इसके बाद से ही उनका इस मामले में ढुलमुल रवैया बना हुआ है। यही वजह है कि अब इस मामले में उनकी जमकर किरकिरी के हालात बने हुए  हैं। कहा तो यह भी जा रही है अब इस मामले में उनके द्वारा साख बचाने का रास्ता खोजा जा रहा है। उधर, इस मामले में वे अब विपक्ष के निशाने पर भी आ गई हैं।
सनी देओल के डायलॉग के साथ लगाए पोस्टर  
इंदौर में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को उनके शराब बंदी के आंदोलन को याद दिलाने के लिए अभिनेता  सनी देओल के तारीख पर तारीख वाले डायलॉग लिखकर शहर के प्रमुख चौराहों पर उनके पोस्टर लगाए हैं। इस तरह के पोस्टर शहर के प्रमुख राजबाड़ा, रीगल, छावनी, सिंधी कॉलोनी आदि चौराहों पर लगाए गए हैं। पोस्टर पर लिखा तारीख पर तारीख दे रहीं दीदी पर प्रदेश में शराबबंदी आंदोलन नहीं कर रही। आज फिर 14 तारीख है। आप फैसले की पक्की तारीख बता दें हम आपके साथ हैं। इस मामले में तो अब कांग्रेस यह कह कर भी तंज कस रही है कि भाजपा में वापसी के बाद से केवल राजनीतिक टीआरपी के लिए ऐसे बयान देती हैं। इसके पहले भी उन्होंने 15 जनवरी की तारीख दी थी। मगर आंदोलन नहीं किया। इसके बाद 14 फरवरी की तारीख दी थी। उन्हें याद रहे इस वजह से इंदौर में पोस्टर लगाना पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी कांग्रेस इंदौर में उमा भारती के शराबबंदी आंदोलन को लेकर पोस्टर लगा चुकी है। पूर्व सीएम उमा भारती ने 15 जनवरी को शराबबंदी को लेकर लट्ठ लेकर आंदोलन करने की घोषणा की थी। उस दिन भी कांग्रेस ने उनकी घोषणा याद दिलाने के लिए शहर में पोस्टर लगाए थे। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि उमा भारती ने सरकार के शराब प्रेम के आगे घुटने टेक दिए हैं। वे लगातार तारीख पर तारीख दे रहीं हैं, लेकिन खुलकर विरोध नहीं कर पा रहीं। तीसरी बार की तारीख भी हवा- हवाई साबित हुई है। उल्टे प्रदेश सरकार ने उमा की घोषणा के बाद  उन्हें चुनौती देकर शराब सस्ती कर दी गई। उमा अब किरकिरी से बचने का रास्ता खोज रही हैं।
चुनाव की मंशा से बन रही असमंजस की स्थिति
कहा जा रहा है कि वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। वे कई बार अपनी यह इच्छा व्यक्त कर चुकी हैं। इसके लिए उनके द्वारा कई ट्वीट कर खुद को पात्र व कर्मठ साबित करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके बाद भी उनके नाम पर सहमति बनती नहीं दिख रही है। वे मप्र या फिर उप्र में कहीं से भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। मप्र में राजनीतिक परिदृश्य ऐसा है कि उनका यहां की किसी भी सीट से चुनाव लड़ना मुश्किल है, वहीं उप्र में भी उनके अनुकूल मौहाल नहीं बन पा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो चुनाव लड़ने की इच्छा को लेकर ही बार-बार शराबबंदी पर ऐलान और कदम रोकने की स्थिति बनी है।
इस तरह से किया गजब
उमा भारती ने शराबबंदी के लिए अपने घर से आंदोलन करने का ऐलान किया था। महिला दिवस के दिन आंदोलन के नाम पर उनके द्वारा रस्म अदायगी की गई।  खुद उमा भोपाल नहीं आई। सरकारी बंगले पर महिलाओं ने जुटकर शराबबंदी का संकल्प लिया। बाद में विधायकों के यहां शराबबंदी के संकल्प-पत्र भी बांटे गए।
इस तरह से बदलती रही बयान
उमा भारती ने 1 सितंबर 2020 को इस मामले में ऐलान करते हुए कहा था कि भाजपा शासित राज्य शराबबंदी करें। बवाल मचा, तो यू-टर्न लिया। कहा कि जनजागरण से ही ऐसा संभव। इसके बाद दिसंबर 2021 में उमा ने फिर शराबबंदी की बात कही। सरकार को 15 जनवरी 2022 तक का अल्टीमेटम दिया। कहा कि तब तक ठोस कदम नहीं, तो आंदोलन करेंगी। इसमें लट्ठ लेकर उतरने की जरूरत बताई। 2 जनवरी 2022 को एक बार फिर उनके द्वारा शराबबंदी की जरूरत बताते हुए आंदोलन का ऐलान किया गया। बीते माह 4 जनवरी को उमा ने वापस यू-टर्न लिया। उमा ने कहा कि अब 14 फरवरी को भोपाल में आंदोलन करेंगी। इस दिन से उम्मीदें फिर संबंधित शराबबंदी चाहने वालों को हुईं। इसके बाद उनके द्वारा 7 फरवरी को ट्वीट किया कि अचानक निजी काम से भोपाल आई हूं। अब नर्मदा स्नान के लिए रवाना। 14 फरवरी के शराबबंदी ऐलान पर चुप्पी साधी। 9 फरवरी को ट्वीट करते हुए सीएम के जैत गांव को नशामुक्त बनाने के संकल्प का स्वागत किया।

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