प्रदेश के कई विभागों में अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं लोग
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक तरफ सरकार ने आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए पेसा एक्ट लागू कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ आज भी आदिवासियों का हक मारा जा रहा है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी करने वालों की भरमार है। वह भी तब जब सरकार बराबर कहती रहती है कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करने वालों की अब खैर नहीं है। उसके बाद भी प्रदेश के लगभग सभी जिलों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कई लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में हक पर डाका डालने का खुला खेल चल रहा है। पड़ोसी राज्य का एक व्यक्ति प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर प्राचार्य बन बैठा। कई पिछड़ा वर्ग में होने के बाद भी अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी करते रहे। अकेले डिंडोरी के 88 लोगों पर अनुसूचित जनजाति के फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर सरकारी नौकरी की। जांच में उन्हें दोषी भी पाया गया, पर कार्रवाई नहीं हुई। आरटीआई कार्यकर्ता मुरलीधर मिश्रा का कहना है सरकार को अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए। मामले में विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल से संपर्क करने की कोशिश की गई, पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी
सर्व शिक्षा अभियान अनूपपुर में हाईस्कूल प्राचार्य हेमंत खैरवार पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी करने का आरोप है। हाईस्कूल प्राचार्य हेमंत खैरवार मूलत: डिंडोरी के रहने वाले हैं। उन्होंने अनूपपुर में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी की। पदोन्नति भी ली। खुलासा तब हुआ जब जनजाति कार्य विभाग ने अनूपपुर एसपी से जांच कराई। एसपी ने रिपोर्ट जनजाति कार्य विभाग को भेजी, पर कार्रवाई नहीं हुई। रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया, पर कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उपवन मंडलाधिकारी बैढ़न वन मंडल सिंगरौली सुंदरदास सोनवानी पर आरोप है कि फर्जी प्रमाण-पत्र बनवाकर शासकीय सेवा व पदोन्नति पाई है। आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ कि सुंदरदास सोनवानी मूलत: डिंडोरी के चाभी, झंडा टोला के रहने वाले हैं। उनकी जाति पनिका है। वे अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं। लेकिन उन्होंने शहडोल में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र बनवाया। शिकायत वनमंडल अधिकारी से लेकर प्रमुख सचिव व लोकायुक्त तक की गई, कार्रवाई नहीं हुई। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते का कहना है कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। इसको लेकर पहले सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। डिंडौरी की पनिका जाति जो वहां पिछड़ा वर्ग में आती है, वो शहडोल, अनूपपुर, सीधी और रीवा में अनुसूचित जनजाति में आती है। इसका फायदा उठाकर सैकड़ों लोग फर्जी नौकरी कर रहे हैं। फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले लोगों से जब उनका पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने ऊल-जुलूल सफाई दी। एक ने कहा कि शहडोल में उनका नाना-नानी का घर था, इसलिए आना-जाना लगा रहता था बाकि खबर आपको छापनी है तो आप खुद पता कर लो…. हमारी कहानी क्या है।
प्रदेशभर में 12 हजार 494 जाति प्रमाण पत्र फर्जी
फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर प्रदेशभर में नौकरी, स्कॉलरशिप और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का खेल चल रहा है। 2018 में इस बात का खुलासा मैन्युअल जाति प्रमाणपत्र को डिजिटल बनवाने के लिए आ रहे आवेदनों की जांच में हुआ था। ऐसे आवेदनों में लगे करीब 12 हजार 494 मैन्युअल जाति प्रमाण पत्र प्रदेश में बीते 24 जुलाई से अब तक फर्जी पाए गए हैं। जिनमें से 2733 जाति प्रमाण पत्र भोपाल के हैं। पुराना रिकॉर्ड न मिलने के कारण इन्हें निरस्त कर दिया गया है। इनकी संख्या और बढ़ने की आशंका है।
स्कूल-कॉलेज सहित अन्य जगहों पर जाति प्रमाण पत्र की डिजिटल कॉपी लगाना अनिवार्य हो गई है। इसलिए भोपाल सहित प्रदेशभर में मैन्युअल जाति प्रमाण पत्र को डिजिटल बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इन आवेदनों की जांच में कभी प्रमाण पत्र की मूल फाइल नहीं मिल रही, तो कभी पूरे दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में जांच अधिकारी इन जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर रहे हैं। भोपाल में बीते 24 जुलाई से अब तक ऐसे करीब 2830 आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति के 1345 तो पिछड़ा वर्ग के 1388 जाति प्रमाण पत्र शामिल हैं। वहीं अनुसूचित जाति जनजाति के 28 आवेदनों को तो इसलिए निरस्त कर दिया गया, क्योंकि आवेदक ने अपने भाई के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदन किया गया था।
कलेक्टर से शिकायत पर नहीं हुई जांच
फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वालों के खिलाफ जांच करने के लिए भी कोई तैयार नहीं है। शहडोल जिला के जनजाति कल्याण विभाग के स्कूल सेमरा, ब्लॉक बुढ़ार में सहायक शिक्षक राकेश सोनवानी पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप है। राकेश डिंडोरी के हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं। शहडोल में एसटी का फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाया कर सरकारी नौकरी ली है। आरोप है कि कलेक्टर से शिकायत पर भी नहीं हुई जांच। वहीं 31 अगस्त 2022 को रिटायर हुए प्राचार्य दयाशंकर राव पर आरोप है कि यूपी में एसटी प्रमाण-पत्र बनवाया और एमपी में आरक्षण पर नौकरी ले ली। जौनपुर यूपी के दयाशंकर राव एसटी में आते हैं। नियम अनुसार उन्हें मप्र में इसका लाभ नहीं मिलता। फिर भी उन्होंने मप्र में आरक्षण लाभ लिया। चार बार पदोन्नत भी हुए। शिकायत कलेक्टर से मुख्य सचिव तक पहुंची, पर कार्रवाई नहीं हुई। उन पर सर्विस बुक से दस्तावेज गायब कराने के भी आरोप हैं। सर्विस बुक में व्हाईटनर लगा जन्मतिथि को 1957 की जगह 1960 बना दिया गया।